28th March 2024

सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए मेडिकल और इंजीनियरिंग में 15 प्रतिशत आरक्षण

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उड़ीसा सरकार ने विधानसभा में पारित किया प्रस्ताव

भुवनेश्वर

उड़ीसा सरकार ने शैक्षिणक सत्र 2021-22 से प्रदेश के सरकारी मेडिकल और इंजीयनियरंग कॉलेजों में उन छात्रों को 15 प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा जिन्होंने हाई स्कूल की पढ़ाई सरकारी विद्यालयों से की होगी। उड़ीसा सरकार ने इस प्रस्ताव को बुधवार को राज्य विधानसभा में रखा था। सदन ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है।

बताया जा रहा है कि जल्द ही इस आशय की नोटिफिकेशन जारी कर दी जाएगी। खास बात ये है कि विधानसभा में इस प्रस्ताव में मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने रखा और विपक्षी दलों कांग्रेस औऱ् भाजपा ने भी इसका समर्थन किया । सत्तारुढ़ बीजेडी के नेताओं ने सरकार के इस कदम को गरीबों के हितों के लिए उठाया गया एतिहासिक कदम बताया है।

सभी को मिलेगा लाभ

सरकार ने जो जानकारी दी है उसके अनुसार इस प्रस्ताव का लाभ सभी जाति और श्रेणियों के स्टूडेंट्स को मिलेगा। यानी की इसका लाभ अनुपातिक रूप से आरक्षित और अनारक्षित वर्गों के छात्रों को मिलेगा। उड़ीसा में मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों में अनुसूचित जाति को 12 तथा अनुसूचित जनजाति को आठ प्रतिशत आरक्षण दिए जाने का प्रावधान है।

खास बात ये है कि सरकारी स्कूलों के छात्रों को दिया जाने वाला ये 15 प्रतिशत आरक्षण पहले ही आरक्षित कोटे के भीतर दिया जा रहा है इसके चलते सुप्रीम कोर्ट द्वारा आरक्षण पर लगाई गई अथिकतम पचास प्रतिशतकी सीमा का इससे उल्लंघन नहीं होगा।

86 प्रतिशत छात्र हैं सरकारी स्कूलों में लेकिन मेडिकल में हिस्सेदारी केवल 23 प्रतिशत

इस नियम के बारे में बात करते हुए उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने बताया कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे आर्थिक रूप से पिछड़े होते हैं,जिसके चलते वे महंगी कोचिंग भी नहीं ले पाते हैं। इसके चलते विद्यार्थियों के बीच असमानता बढ़ती जा रही है। इसके चलते प्रदेश में एक उच्च स्तरीय कमेटी बनाई गई थी जिसकी रिपोर्ट में सामने आया कि प्रदेश में 86 प्रतिशत बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं जबकि मेडिकल कॉलेज में 23 प्रतिशत तथा इंजीनियरिंग कॉलेज में 21 प्रतिशत ही पहुंच पाते हैं। इसके उलट 12 प्रतिशत छात्र निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे मेडिकल औऱ् इंजीनिरियंग की साठ प्रतिशत सीट पाते हैं।

यह एक बड़ी असमानता है। किसी भी बच्चे को आर्थिक कमी के चलते अवसरों से वंचित नहीं होना चाहिए। इसके पहले तमिलना़डु और पुडुचेरी की सरकारों ने इस तरह के आरक्षण के लिए प्रस्ताव पारित किया था। तमिलनाडु में साढ़े सात प्रतिशत औऱ पुडुचेरी ने सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को मेडिकल औऱ् इंजीनियरिंग में दस प्रतिशत आरक्षण देने की घोषणा की थी।

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