सर इंटर में फर्स्ट आए हैं, सुनते ही जज ने आरोपित को किया बरी
बच्चे के भविष्य को देखते हुए कोर्ट का निर्णय
नालंदा.
नालंदा की कोर्ट में एक अलग ही मामला सामने आया। कोर्ट में आरोपी किशोर ने जज के सामने अपनी इंटर की अंकसूची पेश की और बताया कि हाल ही में बिहार बोर्ड के परिणामों में वो प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुआ है। जज ने छात्र की अंकसूची देखी और किशोर के खिलाफ लंबित मामला समाप्त करने के आदेश दे दिए। छात्र ने विज्ञान विषय से इंटर में 69 प्रतिशत अंक प्राप्त किए हैं।
यह मामला नालंदा के बाल न्यायालय के प्रधान दंडाधिकारी मानवेन्द्र मिश्र की कोर्ट का है। जज साहब ने किशोर को छोड़ने के पहले उसकी और उसके माता पिता को समझाइश भी दी। आरोपित किशोर नालंदा थाना क्षेत्र के एक गांव का रहने वाला है। उसके विरुद्ध वर्ष 2019 में अपने वयस्क परिजनों के साथ मिलकर मारपीट करने और छेड़छाड़ करने का आरोप था।
इंजीनियरिंग की पढ़ाई करना चाहता है किशोर
आरोपित किशोर के माता-पिता ने कोर्ट में बातचीत के दौरान जज साहब को बताया कि यह लड़का बचपन से ही पढ़ाई में होशियार है और वह इंजीयनियर बनना चाहता है। माता-पिता ने कोर्ट से कहा कि मुकदमा लंबित रहते हुए उसे पढ़ाई के लिए बाहर नहीं भेजा जा सकेगा। इसी आधार पर उन्होंने जज से केस बंद करने की अपील की थी।
छात्र के हित में जरुरी
न्यायाधीश ने किशोर से आगे की पढ़ाई के बारे में पूछताछ की। साथ ही उसके माता-पिता से भी बच्चे के भविष्य को लेकर जानकारी ली। किशोर और उसके माता-पिता ने बताया कि किशोर मेघावी है। वह आगे इंजीनियरिंग की पढ़ाई करना चाहता है। इसके लिए वह बिहार से बाहर जाना चाहता है। ऐसी स्थिति में कोर्ट में अगर मुकदमा चलता है, तो उसे समय-समय पर पढ़ाई छोड़कर न्यायालय आना पड़ेगा। उन्होंने न्यायालय से मुकदमे को समाप्त करने की आग्रह किया। जज ने बच्चे की प्रतिभा को देखते हुए केस में आगे की कार्रवाई बंद कर दी।
जज ने अपने निर्णय में कहा है कि आरोपित किशोर के भविष्य को देखते हुए मामला जारी रखने का कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि माता-पिता के विवाद में बच्चे अपने आप ही शामिल हो जाते है। यह हर किसी परिजन की मानसिकता होती है ऐसे में उचित देखभाल और संरक्षण को देखते हुए कोर्ट ने मुकदमे से किशोर को रिहा करना उचित होगा।
जज मानवेन्द्र मिश्र पहले भी इसी तरह के मानवीय निर्णयों के लिए जाने जाते हैं।