शिवराज सिंह चौहान का विदाई भाषण..!
कैबिनेट मीटिंग में दिया साथियों को धन्यवाद
भोपाल .
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की विदाई की खबरों के बीच स्वयं शिवराज ने बुधवार को कुछ ऐसा कहा है जिसे उनका विदाई भाषण माना जा रहा है। वे कैबिनेट की बैठक में बोल रहे थे। इस दौरान उन्होंने अपने किए हुए कामों को याद किया और साथ ही अधिकारियों और मंत्रियों को उनकी मदद के लिए धन्यवाद दिया। इस दौरान शिवराज सिंह की बातें भूतकाल से प्रेरित थीं। ऐसा लग रहा था कि मानो वो अपने पुराने कार्यकाल के संस्मरण सुना रहे हैं। उन्होंने कहा कहा कि पिछले तीन साल नौ माह में वे कभी भी रात साढ़े बारह बजे के पहले सोने नहीं गए और सुबह साढ़े पांच बजे बिस्तर छोड़कर साढ़े छह बजे मोबाइल लेकर काम में लग जाता था।
सबसे पहले शिवराज ने भूतकाल के लिए वित्तमंत्री और उनकी टीम को बधाई दी। उन्होंने कहा कि बहुत सी योजनाएं पिछली सरकार के द्वारा बंद कर दी गई थी। उन बंद योजनाओं को चालू करना, उनके बजट जुटाना और उसके साथ-साथ इतनी नई योजनाएं शुरू की। मैं अभी देख रहा था कि अभी तक हम कितनी योजनाएं चालू कर पाए..। मैं हृदय से वित्त मंत्री जी आपको और आपकी पूरी टीम को बधाई देता हूं। मैं योजना बनाता था और पैसे की व्यवस्था हो जाती थी।
इसके बाद शिवराज मुख्य सचिव की ओर बढ़े और कहा कि मुख्य सचिव को मैं दिन-रात परेशान करता रहता था आधी रात को सुबह 4 बजे, लाड़ली बहना मैंने सुबह 4 बजे फाइनल की थी। एक दिन रात में जागते-जागते मेरे दिमाग में आया कि यह करना चाहिए लेकिन ताल-मेल सामंजस्य के साथ हमने काम किया और बड़ी-बड़ी समस्याओं का समाधान हमने निकाला इसलिए मैं चीफ सेक्रेटरी को और उनकी पूरी टीम को भी बधाई देता हूँ और धन्यवाद देता हूँ।
इसके आगे उन्होंने अपनी योजनाओं का उल्लेख किया और कहा कि 30 लाख लोगों को खाद्यान वितरण कई मंत्री ये कहते थे, कि उस जमाने में कहते थे कि नाम जोड़ लो राशन की सूची में, तो कहते थे होता ही नहीं है, अपन आए और अपन ने जोड़ दिए, नाम 35 लाख जोड़े थे जो रह गए थे। फिर हमने कई किसानों, पशु-पालकों, मछली-पालकों के लिए चलित पशु एम्बुलेंस सेवा हमने प्रारंभ की।
आनंद उत्सव, आनंद क्लब, वो हमने शुरू किया। महाकाल महलोक हमने बनाया । अद्वैत लोक बन रहा है, राम-राजा लोक बन रहा है, देवी लोक बन रहा है, हनुमान लोक बन रहा है, महाराणा प्रताप जी का स्मारक बन रहा है, संत रविदास जी का विशाल और भव्य मंदिर स्मारक उसका निर्माण प्रारंभ किया, रानी दुर्गावती जी का स्मारक बन रहा, शंकर शाह, रघुनाथ शाह, टंट्या मामा, भीमा नायक… कोई कल्पना कर सकता है क्या, इतने महापुरुषों को हमने सही अर्थों में सम्मान दिया, ताकि वो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा दे सके।
कोरोना काल को याद करते हुए शिवराज ने कहा कि कोविड के दूसरे दौर में जब ऑक्सीजन का संकट पैदा हुआ तो हमने एसीएस की टीम बनाई की टैंकर ढूंढो। कईं को तो कोलकाता तक दौड़ाया, अलग-अलग जगह जहां मिल सकता था।
हवाई जहाज से भी खाली टैंकर भेजना और ट्रेनों से ट्रैक कर लाना, ड्राइवर तक को ट्रैक करना। मैं भी उस समय ड्राइवरों से बात करता था, कहां तक पहुंच गए, कहीं नींद ना आ जाए..? हमारे अधिकारी भी इस काम में लगे रहते थे। उन कठिन परिस्थितियों में हमने मध्य प्रदेश को संकट से निकलने में सफलता प्राप्त की।
आज जब पिछले पौने 4 साल के कार्यकाल को देख रहा हूं तो इतनी उपलब्धियां हमारे खाते में है कि मन गर्व से भर जाता है। कठिन समय में हम इतना काम कर पाए।
हमने जब भी संकट आए बाढ़, अतिवृष्टि, सिचुएशन रूम में बैठ बैठ कर देखना। रात-रात भर हमारी टीम और मैं सिचुएशन रूम में बैठता था। आप सबने बहुत परिश्रम किया सच में उसके कारण हमें संतोष है कि इतना बड़ा काम मध्य प्रदेश की धरती पर कर पाए।
उज्जैन पर मौन
उज्जैन में 12 वर्ष की बेटी के साथ हुई घटना पर भी दो दिन बीत जाने के बाद भी शिवराज सिंह ने कोई बयान नहीं दिया है। सरकार के भीतर के सूत्र कहते हैं कि ऐसा पहली बार हुआ है जबकि इस तरह की घटना पर मुख्यमंत्री ने प्रतिक्रिया न दी हो। आमतौर पर इस तरह के मामलों में अब तक गृह मंत्रालय की प्रतिक्रिया के पहले ही शिवराज प्रतिक्रिया दे देते थे और साथ ही अधिकारियों को निर्देश भी दे देते थे। माना जा रहा है कि अब उन्होंने राजनीति की दीवार पर लिखी इबारत को पढ़ और समझ लिया है। आखिर वे इसके पुराने खिलाड़ी हैं।