शोध में सामने आया कोविड वैक्सीन से कुछ लोगो की ह्रदय की मांसपेशियों में सूजन हुई
एस्ट्रा जेनेका और फाइजर के वैक्सीन में ज्यादा समस्याएं
10 दस करोड़ लोगों के डाटा का हुआ अध्ययन , वैक्सीन जर्नल में छपा शोध
कोविड वैक्सीन को लेकर जनता के बीच हमेशा से सवाल उठते रहे हैं। कम उम्र के लोगों की हार्ट अटैक से होने वाली मौतों ने इसे और भी कटघरे में खड़ा कर दिया है। इसे लेकर अलग-अलग स्तरों पर शोघ हो रहा है लेकिन अब तक कुछ भी ठोस सामने नहीं आया है। लेकिन जनता के बीच इसे लेकर आशंकाएं हैं। इसी बीच इंटरनेशनल वैक्सीन जर्नल में एक शोध प्रकाशित हुआ है इसमें मोडे वैक्सीन के दो मेजर साइड इफेक्ट मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में सूजन सामने आए हैं। इसी के साथ दो माइनर साइड इफेक्ट ह्रदय की मांसपेशियों में तथा सूजन तथा ह्रदय को ढ़कने वाले थैली में सूजन के सामने आए हैं। हालांकि भारत सरकार का शोध संस्थान इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (आईएमसीआर) सितंबर 2023 में ही कोरोना वैक्सीन से हार्ड अटैक होने की बात को खारिज कर चुका है।
वैक्सीन को लेकर जो नया शोध सामने आया है वो ग्लोबल वैक्सीन डाटा नेटवर्क में किए गए हैं। ये नेटवर्क ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटिना, कनाड़ा, डेनमार्क, फिनलैंड, फ्रांस, न्यूजीलैंड और स्कॉटलैंड के लगभग दस करोड़ लोगों के डाटा का अध्ययन कर रहा है। इस अध्ययन का कहना है कि इन माइनर साइड इफेक्ट के सामने आने के बाद भी वैक्सीन से मिलने वाले फायदे नुकसान की तुलना में अधिक हैं।
दो डिसऑर्डर सामने आए
कोविड वैक्सीन पर लगे आरोपों के बाद विश्व स्वस्थ्य संगठन सहित कईं संस्थानों ने वैक्सीन साईट इफेक्ट्स पर शोध शुरू किया है। दो दिन पहले ही ब्रिटिश शोधकर्ताओं ने कोविड वैक्सीन के दो डिसऑर्डर की पहचान की है। शोध में कहा गया है कि फाइजर और मोर्डेना के वैक्सीन लेने वालों में न्यूरोजिकल डिसऑर्डर और रीढ़ की हड्डी में सूजने जैसी समस्याएं मिली हैं। इसके साथ ही इन दो वैक्सीन को लेने वालों में हार्ट की दो माइनर समस्याएं भी सामने आई हैं। जिसमें माइक्रोकार्डिटिस यानी ह्रदय की मांसपेशियों की सूजन तथा पेरिकार्डिटिस यानी ह्रदय को ढ़ंकने वाली थैली की सूजन शामिल हैं। इसके साथ ही एस्ट्रा जेनेका के वैक्सीन में गुलियन बेरी सिंड्रोम और सेरेब्रल वेनस साइनस थ्रोंबोसिस यानी कि मस्तिष्क में रक्त का थक्का जमने जैसी समस्याओं का भी पता चला है। हालांकि इनकी दर कम है। फाइजर का वैक्सीन भारत में प्रतिबंधित भी किया गया था।
वहीं भारत में इंडियन मेडिकल काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर), जो 18 से 45 साल के लोगों की अचानक मौत होने के मामलों की जांच कर रही है, ने भी कहा है कि जो कोविड संक्रमण के शिकार हुए थे उन्हें ठीक होने के एक दो साल तक अधिक श्रम करने से बचना चाहिए। हालांकि सितबंर 2023 में भारत सरकार ने हार्ड अटैक के कोविड वैक्सीन से जोड़े जाने को खारिज किया था और कहा था कि इससे ह्रदय घात नहीं होता है।
एस्ट्रा जेनेका का और अध्ययन हो
ग्लोबल वैक्सीन डाटा नेटवर्क के सह निदेशक प्रो. जिम बटरी ने कहा है कि अब तक के शोध से जो परिणाम सामने आए हैं वो आगे और अध्ययन करने को प्रेरित करते हैं। स्वतंत्र शोधकर्ताओं को इस पर शोध करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस बार उन 68 लाख ऑस्ट्रेलियन लोगों का अध्ययन करना चाहिए जिन्हें एस्ट्रा जेनेका वैक्सीन लगाया गया था। कोविड 19 वैक्सीन ट्रेकर वेबसाइट के अनुसार सीरम इंस्टिट्यूट का वैक्सीन कोविशील्ड एस्ट्रा जेनेका और ऑक्सफोर्ड फार्मूलेशन से बना है। इसके चलते हमारे यहां भी और अध्ययन की गुंजाइश है।