लद्दाख क्यों याद कर रहा है धारा 370 को..!
पूर्ण राज्य के दर्जे की मांग को लेकर सोनम वांगचुक 21 दिन की हड़ताल पर
क्या आप लद्दाख के सोनम वागंचुक को जानते हैं? यदि दिमाग पर ज्यादा जोर डालना पड़े तो थ्री इडियट फिल्म का रेफेरेंस ले लें, आपको तुरंत याद आ जाएगा। फिलहाल लद्दाख में ठंड का माहौल है और रात का तापमान माइनस तीस डिग्री तक हो जाता है। इस ठंड में भी लद्दाख के लोगों में मन उबल रहे हैं। सोनम वागचुक 21 दिनों की भुख हड़ताल पर बैठे हैं। सोमवार को उनकी हड़ताल का छठा दिन है। वे लद्दाख के लोगों की पूर्ण राज्य के दर्जे की मांग तथा संविधान की छठी अनुसूची लद्दाख में लागू किए जाने की मांग कर रहे हैं।
वांगचुक का न केवल लद्दाख बल्कि देश में बहुत सम्मान है। उन्होंने लद्दाख की शिक्षा व्यवस्था में बहुत सुधार किए हैं इसके अलावा लद्दाख की पानी की समस्या के समाधान के लिए आर्टिफिशयल ग्लेशियर की व्यवस्था भी शुरू की है।
वांगचुक की भुख हड़ताल उसी मैन स्ट्रीम मीडिया से गायब जो मीडिया थ्री इडियट के समय उनके पीछे-पीछे घूमता रहता था। वांगचुक को इसका मलाल भी है। वे हर दिन अपनी हड़ताल का वीडियो जारी करते हैं। सोमवार को भी वांगचुक ने वीडियो जारी किया और लद्दाख के मौसम के अलावा उन्होंने बड़े शहर में रहने वाले लोगों से दो अपील की है। पहली तो उपभोग को कम करने की और दूसरी लद्दाख के समर्थन में अपने-अपने शहर में एक दिन की भूख हड़ताल करने की। इस वीडियो को आप यहां देख सकते हैं।
जहां तक जीवन शैली की बात है तो वांगचुक लंबे समय से इसे लेकर अभियान चला रहे हैं। उनका कहना है कि जिसके पास एक घर है वो दो-तीन घर क्यों बना रहा है या फिऱ जिसके पास दो तीन जोड़ी जूते हैं वो और जूते क्यों खरीद रहा है। वांगचुक का कहना है कि ज्यादा उपयोग की कीमत प्रकृति को चुकानी पड़ती है। उद्योगपति आपकी मांग को पूरा करने के लिए प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करते हैं। इसकी कीमत हम पहाड़ को लोग चुकाते हैं।
वांगचुक के धरना स्थल पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का होर्डिंग भी लगा है। इस होर्डिंग में मोदी संयमित जीवन शैली की बात कर रहे हैँ। वांगचुक ने कहा कि लद्दाख के लोग मोदी से गुस्सा हैं और वो पूछते हैं कि उनका होर्डिंग क्यों लगाया गया है। इस पर वांगचुक कहते हैं जो काम अच्छा होगा उसका समर्थन तो करना पड़ेगा और बुरे काम का विरोध।
क्या है समस्या ?
उधर चुनावी मोड में चल रहे प्रधानमंत्री ने हाल ही में कश्मीर धारा 370 की वर्षगांठ के अवसर पर एक रैली में कहा था कि धारा 370 हटाने वाली पार्टी को जनता चुनाव में 370 देगी और एनडीए को चार सौ से ज्यादा। बीबीसी से बातचीत में सोनम वांगचुक ने लद्दाख के लोगों और उनकी मांगों के बारे में बात करते हुए कहा कि सरकार ने धारा 370 समाप्त करते समय जो वादे किए थे वो उससे मुकर गई है। हम अपनी लड़ाई को मांगें पूरी होने तक जारी रखेंगे।
उन्होंने कहा कि उम्मीद थी कि लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश बनेगा तो उसके साथ विधानमंडल भी होगी लेकिन, लद्दाख को विधानमंडल के बग़ैर केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया। इसका मतलब ये हुआ कि यह क्षेत्र हमेशा राज्यपाल के शासन में रहेगा। वांगचुक ने कहा कि हाल ही में कहा गया कि जम्मू-कश्मीर का स्टेटहुड बहाल किया जाएगा लेकिन लद्दाख को नहीं मिलेगा। तो इसका मतलब ये हुआ कि हमें लोकतंत्र के बग़ैर रखा जाएगा। अब तो चार साल बीत गए हैं, हमें उम्मीद नहीं दिख रही है।
पहले जम्मू-कश्मीर के हिस्से के रूप में हमें अनुच्छेद 370 का सेफ़गार्ड मिलता था जो कि इसके समाप्त होने के साथ खत्म हो गया है इसके चलते यहां हमारी पहचान को बनाय रखने के लिए यहां संविधान की छठी अनुसूची लागू की जानी चाहिए।
इसकी कहानी आप धरने में शामिल लोगों ने जो बैनर ले रखे हैं उससे समझ सकते हैं। इन पर लिखा है कि हमारे व्यवसाय की सुरक्षा के लिए हमें छठी अनुसूची चाहिए।
सरकार विरोधी मानने से पहले जान लें वागचुक को
इसके पहले कि आप सोनम वांगचुक को मोदी और सरकार विरोधी मान लें उसके पहले इतना जान लें कि वांगचुक ने चीन के गलवान में जो संघर्ष हुआ था उसके पहले ही चीनी सामान के बहिष्कार की अपील की थी। इतना ही नहीं उनके शैक्षणिक सस्थान के कैंपस में फॉसिल फ्यूल का उपयोग नहीं होता है। ये पूर्ण रूप से सौर ऊर्जा से चलता है।
उन्होंने 1988 में एनआईटी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी और उसके बाद अपने पांच साथियों के साथ लद्दाख की शिक्षा प्रणाली में सुधार के लिए काम करने लगे थे। उन्होंने लद्दाख में आने वाले यात्रियों के लिए फार्म स्टे कैंपेन भी चलाया था। इसके अतंर्गत पर्यटकों को स्थानीय निवासियों के घर रुकने की व्यवस्था की जाती थी।