एक हजार लोग भी 11 कुत्तों की देख रेख नहीं कर पा रहे

भारत में प्रति हजार व्यक्तियों पर स्ट्रीट डॉग्स की संख्या 11 है

जिस राज्य में सबसे ज्यादा श्वान वहां डॉग बाईट कम

पिछले कुछ समय से देखने में आ रहा है कि कुछ लोगों को स्ट्रीट डॉग्स से बहुत समस्याएं हैं और वे बार-बार इस मुद्दे को उठाते रहते हैं, वहीं एक वर्ग ऐसा भी है जो इस समस्या के लिए कुत्तों के साथ इंसान के व्यवहार को जिम्मेदार ठहराता है। इस वर्ग का कहना है कि यदि कुत्तों को खाना पानी और बैठने के लिए स्थान दे दिया जाए तो समस्या का समाधान हो सकता है। हाल ही में एक अध्ययन में सामने आया है कि हमारे देश में औसतन एक हजार मनुष्य पर केवल 11 स्ट्रीट डॉग हैं। सीधे सीधे कहें तो हमारे यहां लगभग सौ मनुष्यों पर एक स्ट्रीट डॉग है। अब सवाल ये उठता है कि क्या सौ लोग मिलकर एक कुत्ते को रोटी और पानी नहीं दे सकते? क्या इतने लोग मिलकर एक कुत्ते को बैठने की जगह नहीं दे सकते? कुलमिलाकर एक हजार मनुष्य भी मिलकर 11 स्ट्रीट डॉग्स को कम्युनिटी डॉग्स नहीं बना सके, मूल समस्या यही है।

प्रति हजार मनुष्य पर श्वानों का यह औसत अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग है। जहां तक सबसे अधिक की बात करें तो देश के गरीब राज्यों में गिने जाने वाले ओडीशा में यह औसत सर्वाधिक है। यहां प्रति हजार मनुष्य पर औसतन 40 स्ट्रीट डॉग्स पाए जाते हैं तो वहीं पूर्वोत्तर के नागालैंड और मणिपुर में स्ट्रीट डॉग्स न के बराबर हैं। यही हाल मिजोरम के भी हैं। ये आंकड़े 2019 के हैं और इन्हें केंद्र सरकार के पशुपालन विभाग ने जारी किया था। माना जा रहा है कि एबीसी प्रोग्राम के चलते इन आंकड़ों में और गिरावट आई होगी। ओडीशा में श्वानों का औसत अधिक होने का मतलब यह है कि वहां पर इनकी देखरेख होती है और इनके साथ वहां के निवासियों ने दुश्मनी नहीं पाल रखी है। खास बात ये है कि ओडिशा सबसे कम डॉग बाईट वाले राज्य में शामिल है।

राज्यवार कुछ ऐसा है हिसाब

यदि सबसे ज्यादा क्म्यूनिटी डॉग्स की बात करें तो ओडीशा में प्रति हजार व्यक्ति पर 39.7 कम्युनिटी डॉग्स हैं। कम्युनिटी डॉग्स की औसत संख्या के आधार पर जम्मू कश्मीर दूसरे स्थान पर है। यहां प्रति हजार मनुष्य पर 22.9 श्वान हैं। इसके बाद नंबर आता है गोवा का। यहां के कम्यूनिटी डॉग प्रोग्राम की पूरे देश में प्रशंसा होती है। यहां प्रति हजार जनसंख्या पर 18.1 कम्युनिटी डॉग पाए जाते हैं। इसके बाद कर्नाटक है, यहां पर प्रति हजार जनसंख्या पर 17.3 श्वान हैं। इसके बाद राजस्थान का नंबर आता है। यहां यह आंकड़ा 16.5 का है तो हरियाणा में 16.2, सिक्कीम में 16.1, गुजरात और छत्तीसगढ़ में 13.7, अंडमान निकोबार में 13.3, पुडुचेरी में 13.1, मध्य प्रदेश 12.3, बंगाल 11.8, झारखंड 11.7 और  महाराष्ट्र में प्रति हजार जनसंख्या पर 10.4 कम्युनिटी डॉ़ग्स पाए जाते हैं। देश में सर्वाधिक जनसंख्या वाले राज्य उत्तर प्रदेश में यह आंकड़ा 9.2 का है तो बिहार में 5.8 का।

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ज्यादा श्वान और कम डॉग बाईट के मामले

यदि हम प्रति हजार जनसंख्या पर औसत कम्युनिटी डॉग्स के आंकड़ों का अध्ययन डॉग बाईट के मामलों से करते हैं तो चौकाने वाली बात सामने आती है। जिस राज्य में कम्युनिटी डॉग्स का औसत सबसे ज्यादा है वहां पर डॉग बाईट के मामले कम हैं और जहां ये औसत कम है वहां ये मामले ज्यादा हैं।

ओडीशा जैसे राज्य में प्रति हजार जनसंख्या पर 39.7 कम्युनिटी डॉग्स का औसत बताता है कि यहां पर कम्युनिटी डॉग्स की देखभाल की जाती है। इसी के चलते इनकी संख्या बढ़ी है तो वहीं देश में डॉग बाईट के सबसे ज्यादा मामले वाले राज्य महाराष्ट्र में प्रति हजार जनसंख्या पर कम्युनिटी डॉग्स का औसत केवल 10.4 है। ओडीशा की जनसंख्या 4.33 करोड़ है। औसत के हिसाब से ओडीशा में 17.35 लाख कम्यूनिटी डॉग्स हैं। 2023 में भारत सरकार के आंकड़ों के हिसाब से ओडीशा में डॉग बाईट के मामले केवल 80 हजार हैं। वहीं महाराष्ट्र की जनसंख्या लगभग 13 करोड़ है और प्रति हजार जनसंख्या पर कम्युनिटी डॉग्स के औसत के हिसाब से महाराष्ट्र में 13.50 लाख स्ट्रीट डॉग्स हैं लेकिन यहां डॉग बाईट के मामले 4.35 लाख हैं।

इसी तरह से तमिलमाडू डॉग बाईट्स की मामलों में देश में दूसरे स्थान पर है। यहां प्रति हजार जनसंख्या पर स्ट्रीट डॉग्स की संख्या केवल 5.8 है। तमिलनाडु की जनसंख्या लगभग 7.25 करोड़ है, इस हिसाब से यहां पर केवल 4.20 लाख स्ट्रीट डॉग्स हैं। इसके बाद भी यहां डॉग बाईट के मामले 4.04 लाख हैं।

ये आंकड़े बताते हैं कि डॉग बाईट का संबंध श्वानों की संख्या से नहीं बल्कि उनके रखरखाव से है। यदि महाराष्ट्र और तमिलनाडु में कम्युनिटी डॉग्स की देख-रेख होती तो क्या इन राज्यों में स्ट्रीट डॉग्स की संख्या राष्ट्रीय औसत से कम होती?

ये आंकड़ें उन लोगों के लिए आईना है जो डॉग बाईट के मामलों केवल श्वानों की संख्या से जोड़ते हैं जबकि इसका संबंध श्वानों के प्रति होने वाले बर्ताव से है।

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