18th October 2024

मौलवियों के विरोध के चलते पाकिस्तान का ब्रेस्ट मिल्क बैंक बंद

मौलवियों का कहना है कि एक मां का दूध पीने वाले भाई बहन हो जाएंगे फिर उनके बीच शादी कैसे होगी?

उन नवजात बच्चों के लिए जिन्हें जन्म के बाद मां का दूध नहीं मिल पाता, पाकिस्तान के सिंध में एक ह्यूमन मिल्क बैंक खोला गया था। शनिवार को इसे मौलावियों के विरोध के बाद बंद करना पड़ा है। खास बात ये है कि यह बैंक यूनिसेफ के साथ मिलकर खोला गया था। मौलवियों ने इस बैंक को इस्लाम के खिलाफ बताया है। उनका कहना है कि इस्लामिक कानून के हिसाब से एक ही मां का दूध पीने वाले भाई बहन हो जाएंगे ऐसे में उनके बीच शादी का रिश्ता कैसे होगा? पाकिस्तान का स्वास्थ्य विभाग इस मुद्दे पर इस्लामिक विचारकों की काउंसिल से मार्गदर्शन लेने की तैयारी कर रही है। यह काउंसिल सरकारी है।

यह ब्रेस्ट मिल्क बैंक हाल ही में सिंध के कराची स्थित सिंध इंस्टिट्यूट ऑफ चाईल्ड हेल्थ एंड नियोनेटोलॉजी यानी SICHN में पाकिस्तानी पीडियाट्रिक एसोसिएशन तथा यूनिसेफ के सहयोग से खोला गया था। सस्थान के निदेशक डॉ. जमाल रजा ने बताया कि ये बैंक प्रीमैच्यौर पैदा हुए बच्चों के जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। बैक के खुलने के साथ ही पाकिस्तान के सोशल मीडिया में इसे लेकर बहस छिड़ गई थी और इसे इस्लाम के खिलाफ बताया जाने लगा था। खास बात ये है कि इसके विरोध में मजेदार तर्क दिया गया है। रावलपिंडी के एक प्रमुख इस्लामी विद्वान मुफ्ती सैयद कैसर हुसैन तिर्मिज़ी ने कहा, “दूध का यह रिश्ता खून के उस रिश्ते के समान है, जो इस्लामी कानून के मुताबिक एक ही मां का दूध पीने वाले भाई-बहनों के बीच विवाह पर रोक लगाता है।”

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पश्चिमी देशों में ब्रेस्ट मिल्क बैंक 20वीं सदी की शुरुआत से ही मौजूद हैं, लेकिन इस्लाम की रदाह की अवधारणा ने मुस्लिम दुनिया में ब्रेस्ट मिल्क बैंक्स के लिए बाधाएं पैदा की हैं। इसी तरह के धार्मिक विरोध के बाद बांग्लादेश में एक नया खुला ब्रेस्ट मिल्क बैंक 2019 में बंद कर दिया गया था।

दुनिया में ईरान ऐसा इकलौता मुस्लिम देश है जहां ब्रेस्ट मिल्क बैंक चल रहा है। यह बैंक 2016 में अल जाहरा टीचिंग हॉस्पिटल में शुरू किया गया था।

कराची स्थित संघीय शरीयत न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश और प्रमुख इस्लामी विद्वान मुफ्ती मुहम्मद तकी उस्मानी ने ब्रेस्ट मिल्क बैंक की स्थापना को अवैध घोषित करते हुए इसके खिलाफ एक फतवा जारी किया है।

SICHN के प्रवक्ता ने कहा कि इस फतवे के बाद हमने बैंक के कामकाज को रोक दिया है। प्रवक्ता ने आगे इस स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि  इस बैंक के जरिए मुस्लिम बच्चों को केवल मुस्लिम महिलाओं का दूध उपलब्ध कराया जाएगा और यह सेवा निःशुल्क होगी। परिवारों को रिश्तेदारी की इस्लामिक अवधारणा के बारे में भी बताया जाना चाहिए।

अब सरकार इस मामले में इस्लामिक आईडियोलॉजी काउंसिल से सलाह लेने जा रही है हालांकि काउंसिल 2014 में ही ब्रेस्ट मिल्क बैंक के खिलाफ राय दे चुकी है।

उधर इस्लामिक स्कॉलर तिरमिजी ने कहा है कि ब्रेस्ट मिल्क बैंक को अनुमति दी जा सकती है यदि वे दूध लेने और देने का विस्तृत ब्यौरा रखते हैं। इससे एक मां का दूध पीने वाले बच्चों के बीच शादी के रिश्ते न करने के इस्लामिक नियम का पालन हो सकता है।

 
 
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