देव तुल्य सैयाम !

बगावत के मौसम में टिकट कटने पर भी चार बार के विधायक ने स्वीकार किया पार्टी का आदेश

चुनाव के मौसम में टिकटों के बाद अब सबसे ज्यादा सुने जाने वाला शब्द है नाराजगी और बगावत। मध्य प्रदेश की दोनों प्रमुख पार्टियां दर्जनों सीट में इनसे परेशान हैं। हाल ये है कि केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह जबलपुर से लेकर इंदौर तक बागियों को मनाने में मशक्कत की। इसके बाद भी तय नहीं है कि कितने बागी पार्टी के आदेश को स्वीकार करेंगे। यही हाल कांग्रेस में है। वहां दिग्विजय सिंह बागियों को समझाने की कवायद में लगे हैं।

इन सब के बीच एक चार बारा का विधायक ऐसा भी है जिसका टिकट पार्टी ने दूसरी बार काटा है लेकिन उसने उफ्फ तक नहीं की और पार्टी के निर्णय को आदेश मानकर स्वीकार कर लिया है। इस विधायक का नाम है देव सिंह सैयाम। वे मंडला के वर्तमान विधायक हैं। सैयाम पहलीबार 1998 में मंडला की नैनपुर सीट से विधायक बने थे। उस समय उन्होंने कांग्रेस के दीनू तारम को हराकर यह सीट जीती थी। उसके बाद 2003 में सैयाम दूसरी बार विधायक बने। इसके बाद नैनपुर सीट परिसीमन में समाप्त हो गई और 2008 में सैयाम मंडला से चुनाव मैदान में उतरे और तीसरी बार विधानसभा पहुंचे। इस बार शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें अपने मंत्रिमंडल विस्तार में शामिल किया और उन्हें राज्यमंत्री बनाया। लेकिन 2013 में पार्टी ने सैयाम की टिकट काटकर संपतिया उईके को प्रत्याशी बना दिया। इस पर भी सैयाम ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। संपतिया मंडला से चुनाव हार गईं। चुनाव हारने के बाद भी पार्टी ने संपतिया उईके को राज्यसभा भेजा।

2018 में पार्टी ने सैयाम को फिर से मंडला सीट से मौका दिया और सैयाम फिर चुनाव जीतने में सफल रहे। यह उनकी चौथी जीत थी। इस बार फिर वे चुनाव की तैयारी कर रहे थे लेकिन पार्टी ने एक बार फिर हारी हुई संपतिया उईके को टिकट देना पसंद किया। सैयाम ने इसे सहज भाव से स्वीकार किया। जबकि यह देखने में आ रहा है कि छोटे मोटे नेता भी टिकट के लिए पार्टी पर दबाव बना रहे हैं और बगावत की धमकी दे रहे हैं ऐसे में सैयाम ने इस पार्टी की इच्छा बताते हुए इसे स्वीकार कर लिया। उन्होंने कहा कि वे हारी हुई सीट जीतने वाले नेता है लेकिन यदि पार्टी को संपतिया जी ठीक लगती हैं तो यही ठीक है।

आज की राजनीति में इस तरह का नेता दूसरा शायद ही देखने को मिले लेकिन सैयाम की कहीं चर्चा भी नहीं है। उनसे ज्यादा चर्चा तो छोटे मोटी नाराजगी दिखाने वालों की है।

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