सेब के बाजार में अड़ानी ग्रुप की एंट्री से हिमाचल के किसानों को लगा 16 रुपए प्रति किलो का झटका !

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कांग्रेस ने दिया धरना, राज्य सरकार की मदद से खुले हैं अड़ानी के स्टोर

शिमला.

कृषि में कॉरपोरेट्स के प्रवेश को लेकर जो आशंकाएं जताई जाती हैं, हिमाचल के सेब उत्पादक किसान उसको करीब से देख रहे हैं। राज्य सरकार द्वारा किसानों के फायदे के नाम पर लाए गए अड़ानी ग्रुप ने सेब के दाम इस तरह तय किए हैं कि किसानों को इससे प्रति किलो 16 रुपए का नुकसान हो रहा है। हाल ये है कि अड़ानी ग्रुप के कम दाम दिए जाने के चलते अब किसानों को मड़ी में भी कोई ठीक दाम नहीं दे रहा है।

हिमाचल में अचानक सेब के दाम गिरने के विरोध में कांग्रेस नेताओं ने शिमला में मौन धरना प्रदर्शन किया। तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे किसानों का डर सच साबित होने लगा है। प्रदर्शनकारी किसान शुरू से ये आशंका जता रहे हैं कि इन कृषि कानूनों के आने के बाद बड़ी कॉरपोरेट कंपनियां अपने हिसाब से फसल के दाम तय कर औने पौने दामों में किसानों से फसलें खरीदेगी जिससे किसानों को भयंकर नुकसान पहुंचेगा।

किसानों की यह आशंका हिमाचल में सच साबित हुई, जहां गौतम अडानी की कंपनी ने पिछले साल की तुलना में सेब के दाम प्रति किलो 16 रुपए कम तय किए। दाम तय किए जाने के बाद अचानक ही सेब के दाम नीचे गिरने लगे हैं। सेब के गिरते दामों के खिलाफ कांग्रेस की हिमाचल इकाई ने शिमला में मौन धरना दिया।

72 रुपए प्रति किलो में खरीदी

सेब के गिरते दामों के खिलाफ हिमाचल कांग्रेस ने शिमला में हिमाचल निर्माता डॉ यशवंत सिंह परमार की प्रतिमा के सामने मौन धरना दिया। सेब के गिरते दामों के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हिमाचल कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौड़ ने कहा कि एक बड़ी प्राइवेट कंपनी (अडानी) ने उच्च क्वालिटी के सेबों के दाम 72 रुपए प्रति किलो निर्धारित किए हैं। जिससे सेब बाजार को नुकसान पहुंचा है। साथ ही उन्होंने कहा कि अचानक से सेब के दाम गिरना एक साजिश है। आखिर अडानी ने किन मानकों के तहत सेब के दाम 72 रुपए प्रति किलो निर्धारित किए है

इसके अलावा हिमाचल कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौड़ ने कहा कि राज्य सरकार ने अडानी को राज्य में स्टोर खोलने के लिए भारी सब्सिडी दी थी लेकिन अब ये हिमाचल के बागवानों से सस्ता सेब खरीद कर उन्हें महंगे दामों में बेच रहे हैं। अडानी जैसी कंपनियां सेब बागवानों का शोषण कर रही है। साथ ही उन्होंने इस दौरान जम्मू कश्मीर की तरह ही हिमाचल में भी सेब का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने की मांग की।

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