गोवा में बीजेपी ने 40 में से 13 टिकट दूसरे दलों से आये नेताओं को दिए

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लेकिन पर्रिकर के बेटे को टिकट नहीं दे सकी पार्टी, इस सीट से भी दिया है कांग्रेसी प्रत्याशी

पणजी

गोवा में इस बार विधानसभा चुनाव दिलचस्प होता जा रहा है। भाजपा ने जिन प्रत्याशियों को टिकट दिए हैं उनमें से 25% से अधिक उम्मीदवार पूर्व कांग्रेसी हैं। मतलब ये न तो बीजेपी काडर का हिस्सा रहे हैं और न ही कभी बीजेपी की टिकट पर पहले चुनाव लड़े हैं। खास बात यह है कि 40 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा ने 13 ऐसे लोगों को टिकट दिए हैं जो कि दूसरे दलों से आए हैं जबकि पार्टी गोवा में आधार स्तंभ रहे मनोहर परिकर के बेटे को टिकट नहीं दे पाई है। वो अब निर्दलीय मैदान में उतरने की तैयारी में हैं।

2017 के गोवा विधानसभा चुनाव के आंकड़े देखें तो बीजेपी ने महज दो ऐसे प्रत्याशियों को टिकट दिया था जो कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए थे। ये दो प्रत्याशी थी डाबोलिम विधायक मौविन गोडिन्हो और कुम्भरजुआ विधायक पांडुरंग मडकाइकर। दोनों ही प्रत्याशियों ने 2017 का विधानसभा चुनाव जीता था।

कांग्रेस से आये इन लोगों को बीजेपी ने दिया टिकट

इस बार भाजपा ने पूर्व कांग्रेसियों को दस टिकट दिए हैं- नीलकंठ हलारंकर (तिविम), अतानासियो ‘बाबुश’ मोनसेरेट (पणजी), जेनिफर मोनसेरेट (तालिगाओ), फ्रांसिस्को सिल्वीरा (सेंट आंद्रे), एंटोनियो फर्नांडीस (सांता क्रूज़), क्लैफसियो डायस (कनकोलिम) ), चंद्रकांत ‘बाबू’ कवलेकर (क्यूपेम), रवि नाइक (पोंडा), सावियो रोड्रिग्स (वेलिम) और जोसेफ सेकीरा (कलंगुट)।

दो निर्दलीय और एक GFP विधायक को भी टिकट

बीजेपी ने दो निर्दलीय विधायकों- पोरवोरिम से रोहन खुंटे और प्रियोल से गोविंद गौडे और जीएफपी के पूर्व विधायक जयेश सालगांवकर को भी उम्मीदवार बनाया है। खूंटे 2012 और 2017 के चुनावों में निर्दलीय विधायक चुने गए थे। गौडे, 2007 में मरकाइम से कांग्रेस के उम्मीदवार थे, बाद में प्रोल में से 2017 में निर्दलीय विधायक के रूप में चुने गए। पूर्व कांग्रेसी सलगांवकर, जो जीएफपी में शामिल हो गए थे पहली बार सालिगाओ विधायक चुने गए।

2019 में पर्रिकर की मृत्यु के बाद, भाजपा के मौजूदा विधायकों में से पार्टी कैडर के सिर्फ सखाली विधायक प्रमोद सावंत थे, इसीलिए उन्हें गोवा का मुख्यमंत्री बनाया गया था।

प्रमोद सावंत के बाद भाजपा में पलायन हुआ, इसी समय दस विधायक हलारंकर, मोनसेरेट्स, फर्नांडीस, सिल्वीरा, डायस, कवलेकर, फिलिप नेरी रॉड्रिक्स, विल्फ्रेड डी’सा और इसिडोर फर्नांडीस बीजेपी में आए।

दो ने चुनाव से पहले फिर छोड़ी बीजेपी

हालांकि, इन 10 में से कुछ ने चुनाव से पहले पार्टी छोड़ दी क्योंकि वे भाजपा के टिकट पर चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे। कानाकोना के पूर्व विधायक इसिडोर फर्नांडीस और पूर्व मंत्री फिलिप नेरी रोड्रिग्स टिकट से वंचित रह गए। रॉड्रिक्स ने पहले कहा था कि वह भाजपा के टिकट पर चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं। डी’सा ने निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ने के लिए भाजपा छोड़ी है।
अन्य जो कांग्रेस से शामिल हुए और भाजपा ने उन्हें टिकट दी उनमें जोसेफ सिकेरा (कैलंगुट) और सावियो रोड्रिग्स (वेलिम) शामिल हैं। सोपते 2012 के विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस में शामिल होने से पहले भाजपा के पेरनेम विधायक थे। 2012 में परिसीमन के बाद, सोपते के पास कांग्रेस में शामिल होने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था क्योंकि पेरनेम को दो निर्वाचन क्षेत्रों पेरनेम और मंड्रेम में विभाजित किया गया। पेरनेम एससी के लिए आरक्षित है और मंड्रेम से पूर्व मुख्यमंत्री लक्ष्मीकांत पारसेकर चुनाव लड़ रहे हैं।

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