सेंट्रल यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार ने अपने सरकारी लेटर हेड पर आरएसएस प्रमुख से मांगा मिलने का समय
बंगलुरु
कर्नाटका सेंट्रल यूनिवर्सिटी के प्रभारी रजिस्ट्रार ने अपने सरकारी लेटर हेड पर पत्र लिखकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत से मिलने का समय मांगा है। इस पत्र के सोशल मीडिया पर सार्वजनिक होने के बाद शिक्षा जगत में राजनीतिक गहमागहमी बढ़ गई है। संघ के वैचारिक विरोधियों ने इस मुद्दे को गरमा दिया है तो वहीं रजिस्टार का कहना है कि मोहन भागवत न तो आतंकी हैं और ना ही देश विरोधी। ऐसे में उनसे मुलाकात का समय लिए जाने पर किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए।
कर्नाटका सेंट्रल यूनिवर्सिटी के प्रभारी रजिस्ट्रार बसवराज दोनुर ने 9 दिसंबर को सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत को एक पत्र लिखा है। यह पत्र उन्होंने विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार के रूप में लिखा है। पत्र में उन्होंने स्वयं को अंग्रेजी का प्रोफेसर बताते हुए द्विभाषी लेखक बताया है और कहा है कि उन्होंने कई कहानियां, उपन्यास, नाटक ,कविताएं और आलोचनाएं लिखी है।
पत्र में उन्होंने लिखा है कि उन्हें 8 जनवरी को महाराष्ट्र के रामटेक में कवि कलागुरु कालिदास संस्कृत यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित समारोह में भाग लेने के लिए बुलाया गया है।पत्र में उन्होंने लिखा है कि रामटेक में पवित्र शहर है जहां पर गोलवलकर गुरुजी का जन्म हुआ है। उन्होंने आगे लिखा है कि मैं नागपुर में संघ कार्यालय पर आकर आपसे सौजन्य भेंट करना चाहता हूं।
बसवराज ने 8 या 9 जनवरी की तिथि का उल्लेख करते हुए सरसंघचालक से अपॉइंटमेंट मांगा है। उन्होंने लिखा है कि आप देशभर में प्रवास करते हैं और समाज के कई वर्गों के साथ संवाद करते हैं ऐसे में आपके व्यस्त समय से यदि मेरे लिए समय निकाल सकें तो कृपया मुझे अवगत कराएं।
पत्र के सामने आते से ही सोशल मीडिया पर दोनों ओर की आलोचनाएं शुरू हो गई है। फेसबुक पर दोनुर को मानसिक गुलाम बताया गया है और साथ ही इस कदम के लिए कई लोगों ने यूनिवर्सिटी के कुलपति बट्टा सत्यनारायण को जिम्मेदार ठहराया है।
एक्टिविस्ट और लेखिका के नीला ने कहा है कि कुछ समय पूर्व एक बैठक में यूनिवर्सिटी के कुलपति ने बुद्धिजीवियों और लोकतांत्रिक लोगों को सुइडो सेकुलर बताया था। उन्होंने आरोप लगाया कि हिंदूवादी ताकतें यूनिवर्सिटी से राम मंदिर के लिए जबरन चंदा भी उगा रही हैं। जो भी राम मंदिर के लिए चंदा देने से मना कर रहा है उसे धमकाया भी जा रहा है।
कुलपति बट्टा सत्यनारायण ने इस मामले में कहा है कि उन्हें इसकी जानकारी मीडिया के जरिए ही लगी है। उन्होंने कहा कि मैंने रजिस्ट्रार को पत्र लिखने के लिए नहीं कहा था और ना ही उन्हें आर एस एस चीफ से मिलने के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि इसकी जानकारी लेंगे और जो भी आवश्यक होगा वह कदम उठाएंगे।
अपराधिक केस करूंगा
उधर रजिस्ट्रार ने अपने पत्र का बचाव करते हुए कहा है कि वह स्वीकार करते हैं कि उन्होंने पत्र लिखा है और मेरे रजिस्ट्रार के लेटर हेड पर पत्र लिखने में मुझे कुछ भी गलत नहीं लगता इसमें कुछ भी विवादित नहीं है। मैं तो डॉक्टर मोहन राव भागवत कोई आतंकवादी है और ना ही वे राष्ट्र विरोधी हैं।उन्होंने कहा कि राजनीति से प्रेरित लोग इस मामले को गलत रंग दे रहे हैं।
उन्होंने इन लोगों के ऊपर अपराधिक प्रकरण दर्ज कराने की चेतावनी भी दी है ।