कुत्तों को जंगल में फैंक रहे है सनातन के नाम पर वोट लेने वाले…!

ऋग्वेद ने सबसे पहले बताया था कुत्तों को मनुष्य का सबसे अच्छा दोस्त

खबर मिली कि मंदसौर नगर पालिका की अध्यक्ष, पार्षद और अधिकारी पशु सेवा करने वालों के साथ दुर्व्यवहार कर रहे हैं, उन्हें धमकी दे रहे हैं और यहां तक की उन्होंने एक पशु सेवक के साथ मारपीट भी की। मंदसौर की एक लड़की की रोती हुई ऑडियो रिकॉर्डिंग भी आई और साथ में उसका प्रधानमंत्री को लिखा गया आत्महत्या करने का पत्र भी। मंदसौर का मीडिया खोजा तो वहां कुछ नहीं मिला। कुछ यूट्यूब के वीडियो जरुर मिले जिसमें कहा गया कि मंदसौर के अलग-अलग स्थान पर कुत्तों को जंगलों में छोड़ा जा रहा है लेकिन पत्रकार को शायद यह नहीं पता था कि सुप्रीम कोर्ट में चल रही याचिका ने यथा स्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है और साथ ही एबीसी के नियम किसी को भी यह करने की अनुमति नहीं देते। इतना ही नहीं सरकार ने संसद में दी गई जानकारी में बताया है कि पिछले पांच साल में देश में कुत्तों के काटने के मामले 75 लाख से घटतक 27.5 लाख बचे हैं। इसे मोदी सरकार की उपलब्धि बताने की बजाय मंदसौर नगरपालिका जैसे निकाय इस समस्या को बढ़ा चढ़ाकर पेश कर रहे हैं।

किसी भी पत्रकार ने नेताओं और अधिकारियों से यह पूछने की जहमत नहीं उठाई कि आखिर नगर पालिका के नेता और अधिकारी यह सारे क्रियाकलाप किस कानून के अंतर्गत कर रहे हैं? बल्कि गैर कानूनी काम करने के आधार पर यहां की नगरपालिका को बर्खास्त करने की मांग की जानी चाहिए और आवश्यकता पड़ने पर इसके लिए कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया जाना चाहिए। खोजने पर पता चला कि नगर पालिका अध्यक्ष सनातन की सबसे बड़ी झंडाबरदार होने का दावा करने वाली पार्टी से संबंधित है और इस मामले में भावातिरेक दिखाने वाली पार्षद का संबंध भी उसी दल से है।

यह वीडियो भी देखिए

हाल ही में राज्यसभा भेजे गए बंशीलाल गुर्जर की पत्नी रमादेवी गुर्जर मंदसौर नगर पालिका की अध्यक्ष हैं। इसके पहले उनका बेटा जनपद सदस्य का चुनाव हार चुका है। यह सभी उस पार्टी से संबंधित है जो कि कांग्रेस के परिवारवाद को कोसती है लेकिन शायद बंशीलाल गुर्जर का परिवारवाद अभी तक मोदीजी और पार्टी की जानकारी में नहीं आया है?  

खैर लौटते हैं सनातन की ओर क्योंकि गुर्जर जी की पार्टी सनातन के पैरोकार है और नगर पालिका अधिकारी के नाम के अंत में लगा हुआ शर्मा सरनेम यह बताता है कि उनके पूर्वजों ने भी कभी ना कभी वेद का पाठ किया होगा?

बताना चाहूंगा कि ऋग्वेद दुनिया का पहला ऐसा ग्रंथ है जिसमें की कुत्तों को इंसान का सबसे अच्छा दोस्त बताया गया है। ऋग्वेद में सरामा नाम की एक कुत्तिया का उल्लेख है जो कि इंद्र की पालतू थी । उसने भगवान इंद्र के साथ कईं युद्धों में भाग लिया था। ऋग्वेद के हिसाब से माना जाता है कि सरामा ही दुनिया के सारे कुत्तों की मां है। एक बार जब पणियों ने किसानों की गाय चुरा ली थी तब इंद्र ने उन गायों को खोजने की जिम्मेदारी सरामा को सौंपी थी। सरामा ने पणियों का पीछा किया और गाय तक पहुंच गई।

पाणियों ने सरामा मांस की रिश्वत देने की कोशिश की और मांस लेकर वहां से चले जाने को कहा , लेकिन सरामा ने मना कर दिया और वह गाय लेकर ही लौटी। इससे प्रसन्न होकर इंद्र ने सरामा को वरदान दिया कि तुम गाय लेकर आई हो उनके दूध पर तुम्हारा अधिकार होगा। इस पर सरामा ने कहा कि हमारे साथ-साथ इस दूध पर मनुष्य को भी अधिकार दे दो। ऋग्वेद के हिसाब से इस तरह से सरामा के कारण गाय का दूध इंसान के लिए उपलब्ध हुआ। शायद सरामा को यह नहीं पता था कि वह जिस इंसान पर इतना विश्वास कर रही है वह उसकी आने वाली पीढियां के साथ कितना बड़ा विश्वासघात करेंगे? हो सकता है कि यदि सरामा ने गाय के दूध पर मनुष्य को भी अधिकार देने की बात नहीं की होती तो कुत्ते आज सड़कों पर भूखे नहीं घूम रहे होते और आज ये समस्या नहीं पैदा होती?

खैर सनातनी परंपरा में आगे बढ़ते हैं । महाभारत की शुरुआत भी कुत्ते की घटना से होती है और उसका अंतिम अध्याय भी कुत्ते के साथ ही समाप्त होता है । प्रथम अध्याय में जन्मेजय अपने भाइयों के साथ यज्ञ की तैयारी कर रहे होते हैं। इसी बीच उनके भाई वहां पहुंचे एक पिल्ले की पिटाई कर देते हैं। पिल्ला रोता हुआ अपनी मां के पास पहुंचता है। मां उससे कहती है कि उसने जरूर कोई अपराध किया होगा इसलिए जन्मेजय के भाइयों ने उसे पीटा है। इस पर पिल्ला कहता है कि ना तो उसने किसी चीज को अपवित्र किया और न हीं यज्ञ की वेदी की ओर देखा फिर भी उसे मारा गया है।

इससे गुस्सा होकर कुतिया जन्मेजय के पास पहुंचती है और कहती है कि तुमने मेरे बच्चे को बिना वजह क्यों मारा ? जनमेजय और उनके भाईयों को कोई कारण नहीं सूझता तो वह चुप बैठे रहते हैं। इस पर कुतिया उनसे कहती है कि तुमने मेरे पिल्ले को बिना वजह मारा है इसके चलते तुम जिंदगी भर अनजान डर से भयभीत रहोगे । जन्मेजय अपने जीवन के लंबे समय तक अनजान डर से भयभीत ही रहे।

वहीं महाभारत का समापन युधिष्ठिर के स्वर्ग जाने के साथ होता है, जहां पर उनके साथ उनके कुत्ते को अंदर जाने की अनुमति नहीं मिलती है तो वह स्वयं भी स्वर्ग जाने से इनकार कर देते हैं। इतना ही नहीं भगवद गीता के अध्याय 5 श्लोक 18 में कहा गया है कि एक ब्राह्मण (एक पुजारी जो पूजा समारोह आयोजित करता है), एक गाय, एक हाथी, एक कुत्ता और एक व्यक्ति जो शारीरिक श्रम में संलग्न है, एक समान ही हैं। भौतिक दृष्टि से ये प्रजातियाँ विपरीत हैं। हालाँकि, आध्यात्मिक ज्ञान से संपन्न एक सच्चा विद्वान व्यक्ति उन सभी को समान आत्माओं के रूप में देखता और व्यवहार करता है।

सनातनी होने का दम भरने वालों को यह भी पता होना चाहिए कि वे अपनी राजनीतिक यात्रा में जिस काशी विश्वनाथ मंदिर के नाम का उपयोग कर रहे हैं, वहां पर जब हमला हआ था (कौन सा और किसने किया था यह बताने की जरुरत नहीं है) तो पहली लड़ाई काशी के कोतवाल के मंदिर पर मौजूद श्वानों ने ही लड़ी थी।

चुनावी सनातनी होना अलग बात है और वास्तविक सनातनी होना अलग बात है? चुनावी सनातनियों को यह पता होना चाहिए कि कुरान एक ऐसी धार्मिक पुस्तक है जिसमें कुत्तों को हराम बताया गया है। संभव है कि राम के नाम से वोट पाने वाले कुछ लोगों ने गीता, वेद और महाभारत न पढ़ी हो लेकिन कुरान अध्ययन किया हो? नहीं तो मंदसौर की नगर पालिका परिषद जो कि भारतीय जनता पार्टी से संबंध है क्या कुत्तों की सेवा करने वालों और कुत्तों के साथ इस तरह का दुर्व्यवहार करती ?

पशु सेवा करने वाले बिना स्वार्थ के यह सब करते हैं। क्योंकि न तो पशु किसी के सामने उनकी तारीफ कर सकता है कि ये लोग उसकी भूख प्यास का ध्यान रखते हैं और न ही पशुओं को इस देश और दुनिया में मताधिकार प्राप्त है कि वे पशु सेवकों को वोट देकर उन्हें नेता बना देंगे। ऐसे में पशु सेवा करने वालों को कुछ नहीं मिलता है। वहीं इंसान की सेवा तो वोट और प्रशंसा के लिए कोई भी कर सकता है? नेता तो यह करते ही आए हैं ?

वैसे राजनीति में कार्यरत लोगों को श्वान की उस शक्ति का अंदाज़ा होना चाहिए जो उन्हें पशुपतिनाथ से मिली है। दिल्ली में एक भाजपा नेता है विजय गोयल। संभवत: नरेंद्र मोदी उनकी योग्यता पहचान गए हैं इसके चलते अब गोयल के पास श्वानों के विरुध्द जहर उगलने के अलावा कोई काम नहीं है? वे अब राजनीतिक रूप से बेरोजगार हैं! 

इसी तरह से प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती भी लोकसभा चुनाव लड़ना चाहती थीं। जब टिकट नहीं मिला तो उन्होंने कहा कि उन्हें चुनाव नहीं लड़ना था। कुछ समय पहले इन्होंने भी प्रदेश के मुख्यमंत्री को श्वानों के विरुद्ध एक पत्र लिखा था । 

मैसूर के दो बार के भाजपा सांसद प्रताप सिम्हा कुछ समय पूर्व यह कहते पाए गए थे कि जब वे मैसूर के कुत्तों को मारेंगे तब मीडिया इन घटनाओं को ना दिखाएं। हाल यह है कि उनका भाई जंगल कटाई में जेल गया और राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह वाले दिन मैसूर के ही राम मंदिर में उनके विरोध में नारे लगाए गए थे। अब मोदी जी ने उनका टिकट भी काट दिया है।

ज्योतिषियों के मुताबिक केतु कलयुग का राजा है और जब शनि शिव जी के पीछे लगे थे तो शिवजी को भी अपने आसन से उठकर भागना पड़ा था। ज्योतिष इन दोनों ग्रहों के उपाय के रूप में श्वान सेवा को ही सर्वश्रेष्ठ बताते हैं। लेकिन जिनकी आस्था सनातन में केवल चुनावी हो और व्यवहार में वह “आसमानी” हो तो उनके लिए किसी बात का कोई महत्व नहीं है।

मंदसौर में एक बालिका श्वानों के हमले का शिकार हुई है। इससे दु:खद कुछ नहीं हो सकता लेकिन जरा मंदसौर के थानों से पता करें कि वहां पर पिछले एक साल में कितने श्वानों की हत्या की गई? इंदौर उज्जैन संभाग में इस तरह की सबसे ज्यादा घटनाएं मंदसौर और उसके आसपास ही सामने आई हैँ। मुश्किल से एक या दो प्रतिशत कुत्ते हमलावर होते हैं. वो भी उन परिस्थितियों के कारण जो कि उन पर गुजरती है। मंदसौर की पांच प्रतिशत आबादी भी ऐसी नहीं होगी जो श्वान के हमलों का शिकार हुई हो लेकिन क्या मंदसौर की सड़क पर एक भी कुत्ता ऐसा है जो कि कभी इंसान के प्रताड़ना का शिकार न हुआ हो? जो लोग बालिका मृत्यु पर व्यथित हो रहे हैं यदि वे श्वानों के विरुद्ध हो रहे अत्याचार पर भी व्यथित होते तो शायद इस तरह की स्थिति नहीं बनती!

प्रकृति का सामान्य सा नियम है जो आप देंगे वही आप पाएंगे। आपने श्वानों को मार कर तो देख लिया एक बार प्यार देकर भी देख लो शायद कुछ बदल जाए। कुछ नहीं तो इस मामले में इंदौर के महापौर से ही कुछ सीख लें। इंदौर में कचरा गाड़ियों के साथ अनाउंसमेंट हो रहा है कि श्वानों को मारें न उन्हें भोजना पानी दें अन्यथा वे आक्रामक हो सकते हैं। क्या मंदसौर ये नहीं कर सकता?

error: Content is protected !!