5th September 2024

स्ट्रीट डॉग की हत्या का बदला लेने के लिए चेन्नई से कोलकाता गया आईआईटी स्टूडेंट

चाकू से किया तीन लोगों पर हमला

श्वान प्रेम की एक अनूठी कहानी सामने आई है जब आईआईटी चेन्नई में पढ़ने वाला एक फर्स्ट ईयर का स्टूडेंट  स्ट्रीट डॉग की हत्या का बदला लेने के लिए चेन्नई से कोलकाता गया और उसने श्वान की हत्या के आरोपी परिवार पर चाकू से हमला किया। हमले में परिवार के तीन लोग घायल हुए हैं और उनका अस्पताल में उपचार चल रहा है।

हमले में घायल होने वाले लोगों के ऊपर आरोप है कि उन्होंने मई महीने में एक स्ट्रीट डॉग की पिटाई की थी जिसके बाद में उसे कुत्ते की मौत हो गई थी। यह हमला उसे कुत्ते की मौत का बदला लेने के लिए किया गया है। 

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कोलकाता निवासी अर्चन भट्टाचार्य आईआईटी मद्रास मेंबीटेक 1ST ईयर का स्टूडेंट है। उसे कोलकाता में रहने वाली अपनी दोस्त स्मृति देवनाथ से जानकारी मिली कि देवनाथ के पड़ोसी ने एक स्ट्रीट डॉग की पिटाई की और बाद में इस कुत्ते की मौत हो गई। इस कुत्ते को लेकर देवनाथ और उनके पड़ोसी के बीच में अक्सर विवाद होता रहता था। इससे गुस्साए अर्चन ने चेन्नई से कोलकाता आने का निर्णय लिया और कोलकाता पहुंचकर शनिवार को वह देवनाथ के पड़ोसी गोबिन्दो अधिकारी के घर में चाकू लेकर पहुंच गया और उसने वहां पर गोविंद उनकी पत्नी और बेटे पर चाकू से हमला किया। चीख पुकार सुनकर आसपास के लोग इकट्ठा हो गए और उन्होंने अर्चन को पकड़ा और उसे पुलिस के हवाले किया। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर केस दर्ज किया और अर्चन को गिरफ्तार कर लिया है। 

अर्चना स्वीकार किया है कि स्ट्रीट डॉग की मौत केबाद गुस्से में उसने यह कदम उठाया है। अर्चन पर हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया गया है। 

कमजोर एनिमल क्रुएलिटी कानून

इस तरह के मामले को कमजोर एनिमल एनिमल एट्रोसिटी कानून से जोड़ा जा सकता है। एनिमल लवर अपने पेट या दूसरे एनिमल्स को बहुत प्यार करते हैं लेकिन उनकी हत्या कर दिया जाने के मामले में ₹50 के जुर्माने जैसे छोटे प्रावधान लागू होते हैं। इसके चलते एनिमल लवर को हमेशा से यह शिकायत रही है कि कानून एनिमल क्रुएलिटी करने वालों के पक्ष में है । इसे बदलने की मांग लंबे समय से हो रही है लेकिन अब भी इसे बदला नहीं गया है। 

मामले में आरोपी अर्चन भट्टाचार्य कोई सामान्य छात्र नहीं है। उसने आईआईटी की परीक्षा पास करने के बाद चेन्नई आईआईटी में एडमिशन लिया है। इस मामले को उदाहरण समझकर एनिमल एट्रोसिटी लाँ में बदलाव किए जाने की जरूरत है। यदि एनिमल एट्रोसिटी कानून स्ट्रीट डॉग को न्याय दे सकते तो संभव था कि अर्चन जैसा आईआईटी का स्टूडेंट कानून अपने हाथ में कभी नहीं लेता।

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