मोदी अन्नदाता नाम से योजना चला रहे और समर्थक किसानों को अन्नदाता बोलने पर आपत्ति जता रहे
किसान आंदोलन को लेकर कटुता चरम पर, किसानों को नीचा दिखाने की कोशिश कर रहे भाजपा समर्थक
लोकसभा चुनाव के कुछ महीने बचे हैं और किसान आंदोलन अपने पूरे चरम पर है। चुनाव पास में है इसलिए आंदोलन को चुनाव से भी जोड़ा जा रहा है। ठीक उसी तरह से जिस तरह से राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह को भी लोकसभा चुनाव से जोड़ा गया था। खैर आंदोलन के समर्थन और विरोध में सोशल मीडिया पर ध्रुवीकरण की स्थिति बन गई है, जहां मोदी समर्थक इस आंदोलन को निशाने पर ले रहे हैं और किसानों को अन्नदाता कहे जाने पर भी आपत्ति ले रहे हैं। हालांकि सच्चाई यह है कि किसानों को अन्नदाता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 2018 में बनाई गई आशा योजना में कहा गया है। इस योजना का पूरा नाम प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान है जिसे संक्षिप्त रूप से आशा कहा जाता है। 2024 के बजट में भी सरकार ने इस अभियान के लिए भारी भरकम राशि का प्रावधान किया है।
किसान आंदोलन को लेकर पक्ष और विपक्ष में कटुता बढ़ती जा रही है । अब सोशल मीडिया पर इस तरह के पोस्ट भी देखने में आ रही है जिसमें सरकार समर्थक लोगों का कहना है कि वो पैसे देकर अनाज लेते हैं और किसान पैसे लेकर अनाज बेचता है ऐसे में वह अन्नदाता कहां हुआ? देखिए यह ट्वीट आपको इसकी भाषा भी आपत्तिजनक लगेगी-
कुछ लोग करदाता को अन्नदाता से बड़ा बताकर भी तंज कस रहे हैं। अब कह रहे हैं कि वे स्वयं करदाता हैं और पैसे देकर अनाज खरीदने हैं इसलिए अन्नदाता से बड़े हैं। कॉलेज कैंपस नमक ट्वीटर आईडी ने ऐसे ही एक पोस्ट में नरेंद्र मोदी की योजना के साथ जवाब दिया है। यह जवाब भी गुस्से से भरा हुआ है।
हालांकि प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान यानी की आशा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वांकाक्षी योजना है। आईए इस योजना के बारे में जानते हैं।
2018 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने किसान कल्याण हेतु एक नई समग्र योजना ‘प्रधानमंत्री अन्न्दाता आय संरक्षण अभियान’ (Pradhan Mantri Annadata Aay SanraksHan Abhiyan- PM-AASHA) को स्वीकृति दी थी। इसे किसानों की आय के संरक्षण की दिशा में भारत सरकार द्वारा उठाया गया एक असाधारण कदम माना गया था। है जिससे किसानों के कल्याण हेतु किये जाने वाले कार्यों में अत्यधिक सफलता मिलने की आशा है।
योजना का उद्देश्य किसानों को उनकी उपज के लिये उचित मूल्य दिलाना है, जिसकी घोषणा वर्ष 2018 के केंद्रीय बजट में की गई है। इसी योजना के तहत किसानों को 6000 रुपए प्रति वर्ष की राशि दी जाती है 2024 के बजट में घोषणा की गई है कि अब इस राशि को बढ़ाकर ₹8000 किया जाएगा।
पीएम- आशा की मुख्य बातें
जैसा कि बताया गया है कि नई समग्र योजना में किसानों के लिये उचित मूल्य सुनिश्चित करने की व्यवस्था शामिल है और इसके अंतर्गत आने वाले प्रमुख घटक निम्नलिखित हैं
♦ मूल्य समर्थन योजना (Price Support Scheme-PSS)
♦ मूल्य न्यूनता भुगतान योजना (Price Deficiency Payment Scheme- PDPS)
♦ निजी खरीद एवं स्टॉकिस्ट योजना (Private Procurement & Stockist Scheme- PPSS)मूल्य समर्थन योजना : इसके तहत दालों, तिलहन और गरी (Copra) की भौतिक खरीदारी राज्य सरकारों के सक्रिय सहयोग से केंद्रीय नोडल एजेंसियों द्वारा की जाएगी।यह भी निर्णय लिया गया है कि नैफेड के अलावा भारतीय खाद्य निगम (FCI) भी राज्यों/ज़िलों में PSS परिचालन की जिम्मेदारी संभालेगा। खरीद पर होने वाले व्यय और खरीद के दौरान होने वाले नुकसान को केंद्र सरकार मानकों के मुताबिक वहन करेगी।