21st November 2024

मस्जिद में घुसकर जय श्री राम के नारे लगाना गलत नहीं 

कर्नाटक हाई कोर्ट का निर्णय, कोर्ट ने खारिज की आरोपियों के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर

कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि मस्जिद में ‘जय श्री राम’ के नारे लगाने से किसी समुदाय की धार्मिक भावनाओं का अपमान नहीं हुआ है। कोर्ट ने इस आधार पर दो आरोपियों (कीर्तन कुमार और सचिन कुमार) के खिलाफ चल रहे आपराधिक मामले को खारिज कर दिया है। यह मामला पिछले साल सितंबर में कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले में दर्ज किया गया था। दोनों ने इस FIR को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। 

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 कर्नाटक हाई कोर्ट ने मंगलवार को एक मस्जिद के भीतर कथित तौर पर “जय श्री राम” के नारे लगाने के मामले में दो लोगों के खिलाफ पुलिस की तरफ से दर्ज आपराधिक मामले को रद्द कर दिया। जस्टिस एम. नागप्रसन्ना की सिंगल बेंच ने आरोपियों की याचिका पर आदेश पारित करते हुए कहा कि यह समझ में नहीं आता कि “जय श्री राम” के नारे लगाने से किसी समुदाय की धार्मिक भावनाएं कैसे आहत होंगी। 

मस्जिद में जय श्रीराम का नारा लगाने पर हुआ था केस दर्ज

दोनों आरोपियों पर मस्जिद के भीतर कथित तौर पर ‘जय श्री राम’ के नारे लगाने के लिए आईपीसी की धारा 295ए के तहत आरोप लगाए गए थे। दोनों पर आईपीसी की धारा 447 (आपराधिक अतिक्रमण), 505 (सार्वजनिक उत्पात मचाने वाले बयान), 506 (आपराधिक धमकी), 34 (सामान्य इरादा) और 295ए (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना) के तहत भी मामला दर्ज किया गया था।

कर्नाटक हाई कोर्ट की दलील

हाई कोर्ट की बेंच ने कहा कि इस मामले में शिकायतकर्ता ने खुद कहा था कि संबंधित इलाके में हिंदू और मुस्लिम सद्भाव से रह रहे थे। बेंच ने इस बात को भी रेखांकित किया कि याचिकाकर्ताओं के खिलाफ आगे की कार्रवाई की परमिशन देना कानून प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा। कर्नाटक हाई कोर्ट की बेंच ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि कोई भी कृत्य आईपीसी की धारा 295ए के तहत अपराध नहीं बनेगा।

न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, “धारा 295A उन अपराधों से संबंधित है, जो जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण तरीके से किसी समुदाय की धार्मिक भावनाओं का अपमान करते हैं। ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने से किसी भी समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस नहीं पहुंची है।”

पुलिस का आरोप, सरकार ने क्या कहा

पुलिस ने आरोप लगाया था कि आरोपी ने 24 सितंबर, 2023 को रात को करीब 10.50 बजे मस्जिद के अंदर घुसकर “जय श्री राम” के नारे लगाए। उन पर धमकी देने का भी आरोप है. शिकायत दर्ज करने के समय आरोपियों को अज्ञात व्यक्तियों के रूप में दिखाया गया था लेकिन बाद में दोनों को हिरासत में ले लिया गया।

कोर्ट ने रद्द किया केस, जाने क्या कहा?

राज्य सरकार ने इस मामले में और जांच की मांग की थी लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में कोई ऐसी बात सामने नहीं आई है, जिससे पब्लिक ऑर्डर या शांति पर कोई नकारात्मक प्रभाव पड़ा हो। अदालत ने यह भी कहा कि बिना किसी ठोस कारण के इस तरह के मामलों को जारी रखना न्याय प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा और इससे न्याय का हनन हो सकता है।

‘ऐसे नहीं दे सकतें इजाजत, इससे न्याय की होगी हत्या’

‘बार एंड बेंच’ के मुताबिक, कोर्ट ने कहा कि किसी भी तरह का अपराध आईपीसी की धारा 295 ए के तहत अपराध नहीं साबित किया जा सकेगा। जिन अपराधों का शांति भंग या सार्वजनिक व्यवस्था को खतरे में डालने से रिस्क नहीं होता, वे आईपीसी की धारा 295 ए के तहत अपराध नहीं होंगे। किसी भी कथित अपराध में पुख्ता सबूत या एलिमेंट न मिलना, इन याचिकाकर्ताओं के खिलाफ आगे की कार्यवाही की इजाजत देना कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा और नतीजतन न्याय की हत्या होगी।”

आरोपियों ने खुद के खिलाफ आरोपों को चुनौती देते हुए कर्नाटक हाई कोर्ट का रुख किया और एक अपील दायर की थी। अदालत ने भी मामले पर गौर करते हुए दोनों के खिलाफ मामला रद्द कर दिया है। 

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