जिन राज्यों से ओलंपिक में 9 एथलीट गए उन्हें मिले 464 करोड़ और जिन्होंने भेजे 48 एथलीट उन्हें मिले 144 करोड़

खेलो इंडिया योजना में केंद्र सरकार द्वारा दी गई राशि पर परगट सिंह का सवाल

नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली खेल केंद्र सरकार ने अपने कार्यकाल में भारत को खेलों में मिली सफलता का श्रेय खेलो इंडिया योजना को दिया है। भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान और कांग्रेस विधायक परगट सिंह ने खेलो इंडिया योजना के तहत राज्यों को दी गई धनराशि के बंटवारे पर सवाल उठाया है। उनका कहना है कि पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में, जहां से की पेरिस ओलंपिक में 48 खिलाड़ी गए हैं, उन्हें इस योजना के तहत केवल 144 करोड रुपए मिले हैं जबकि वहीं केवल नौ खिलाड़ी भेजने वाले गुजरात और उत्तर प्रदेश को 464 करोड़ रुपए की धनराशि दी गई है।

उन्होंने इस धनराशि के बंटवारे को पक्षपात बताया है। परगट सिंह ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा है कि पेरिस ओलंपिक में 48 खिलाड़ी भेजने के बाद भी पंजाब और हरियाणा को 78 और 66 करोड़ रूपया मिला है वहीं 9 एथलीट भेजने वाले यूपी और गुजरात को क्रमशः 438 और 426 करोड़ रूपया मिला है, क्या यह पक्षपात नहीं है? भाजपा कब तक राज्यों के बीच पक्षपात करती रहेगी? इसके साथ ही परगट सिंह ने देश के सभी राज्यों में इस योजना के तहत प्रदान की गई राशियों की टेबल भी पोस्ट की है।

तीन ओलंपिक मेडल दिलाने वाले राज्य के साथ भी अन्याय

पूर्वोत्तर भारत का राज्य मणिपुर फिलहाल राजनीतिक हालातों के चलते चर्चा में है लेकिन पिछले 40 साल में इस राज्य ने भारत को 25 ओलंपियन और तीन ओलंपिक मेडल दिलाए हैं। मणिपुर भारत के उनके गिने चुने राज्यों में है जहां पर युवाओं में स्पोर्ट्स कल्चर दिखाई देता है। खेलो इंडिया योजना में मणिपुर को 46.71 करोड़ रूपया मिला है जो कि राज्य के आकार के हिसाब से देखा जाए तो ठीक दिखाई देता है लेकिन वहीं जब समान आकार और जनसंख्या वाले पड़ोसी राज्य अरुणाचल प्रदेश से इसकी तुलना की जाती है तो ऐसा लगता है कि मणिपुर के साथ भी अन्याय किया गया है। खेल मंत्री के अरुणाचल प्रदेश के होने के चलते अरुणाचल प्रदेश को खेलो इंडिया योजना में 148.91 करोड़ रूपया मिला है जबकि यहां से आज तक एक भी एथलीट ओलंपिक तक नहीं पहुंचा है।

अरुणाचल प्रदेश के अलावा पूर्वोत्तर भारत में मेघालय ही ऐसा दूसरा राज्य है जहां से आज तक कोई भी खिलाड़ी ओलंपिक में नहीं पहुंचा है। मेघालय को खेलो इंडिया योजना में 87.43 करोड़ रूपया मिला है। ऐसे में मणिपुर भी अपने साथ अन्याय का आरोप लगा सकता है।

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सात ओलंपियन देने वाले राज्य को 9 करोड़

झारखंड भारतीय हॉकी की नई पहचान के रूप में उभरा है। इसके अलावा इस राज्य के खिलाड़ियों ने तीरंदाजी की विश्व प्रतियोगिताओं में भी अपने झंडे गाड़े हैं। यहीं की दीपिका कुमारी एक समय दुनिया में पहले नंबर की तीरंदाज थीं। वे इस बार भी ओलंपिक में भाग ले रहीं हैं। हॉकी और तीरंदाजी में मिलाकर अब तक झारखंड देश को सात ओलंपिक खिलाड़ी दे चुका है। खेलो इंडिया योजना के तहत झारखंड को केवल 9.63 करोड़ रूपया मिला है जो कि खेलों में इस राज्य के योगदान की तुलना में बहुत कम है। यदि सरकार कम खिलाड़ी भेजने वाले राज्यों को ज्यादा राशि दिए जाने का बचाव खेल सुविधाओं के विकास के आधार पर करती है तो यह भी माना जाना चाहिए कि झारखंड भी सुविधाओं में बहुत पीछे है ऐसे में उसे भी अधिक पैसा मिलना चाहिए था।

नीतीश को यहां भी मांगना चाहिए विशेष पैकेज!

जहां भारत के भारी जनसंख्या वाले राज्य उत्तर प्रदेश कोखेलो इंडिया योजना में 438 करोड रुपए मिले हैं तो वहीं इसी तरह की जनसंख्या वाले दूसरे राज्य बिहार को केवल 20 करोड रुपए खेलो इंडिया योजना में मिले हैं। इस आधार पर ऐसा लगता है कि बिहार के लिए विशेष पैकेज मांग रहे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सरकार से खेलों मेबी बिहार के लिए विशेष पैकेज मांगना चाहिए!

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