दिन में टीचिंग और रात में शराबी स्टूडेंट्स की निगरानी, कुछ ऐसा है पीएचडी स्टूडेंट्स का हाल

यूरोप में खस्ता हाल हैं रिसर्च स्टूडेंट्स, झेल रहे आर्थिक तंगी और कोविड का खतरा
Scotland/England
कोरोना काल में सेंट एंड्रयूज यूनिवर्सिटी के पीएचडी स्टूडेंट्स बड़ी परेशानी झेल रहे हैं। ये वे स्टूडेंट्स हैं जो कि रिसर्च कर रहे हैं लेकिन होस्टल का खर्च उठाने की स्थिति में नहीं है। इन्हें यूनिवर्सिटी ने अपने ही हॉस्टल में सहायक वार्डन बना दिया है। इन्हें इसके बदले में हॉस्टल रहने और खाने की सुविधा मिल जाती है।
लेकिन इस सुविधा ने उल्टे इनके परेशानी बड़ा दी है। एक असिस्टेट वॉर्डन स्टूडेंट्स ने बताया कि नशे में धुत्त स्टूडेंट्स को नियमों के बारे में समझाइश देने पर दुर्व्यवहार करते हैं। स्टूडेंट्स कोरोना के खतरे के बीच भी रात में पार्टी करते हैं और बिना मास्क के घूमते हैं। इसके चलते अपनी फीस के लिए एसिस्टेंट वॉर्डन बने कोविड के खतरे का भी सामना कर रहे हैं।

पीजी स्टूडेंट्स से करा रहे फेस टू फेस टीचिंग
हाल ही में एक स्टूडेंट यूनियन ने अपने ब्लॉग में इस दर्द को जाहिर किया है। इस ब्लॉग में लिखा है कि पीजी और पीएचडी स्टूडेंट्स को घंटे के हिसाब से टीचिंग के पैसे मिलते हैं। यूनिवर्सिटी के रेग्यूलर स्टॉफ ने कोविड काल में फेस टू फेस टीचिंग के काम में इन्ही को लगा रखा है। इन स्टूटेंड्स की समस्या ये है कि इन्हें न केवल पैसे चाहिए बल्कि टिचिंग एक्सीपीरिएंस की भी जरुरत है। इसके चलते यूनविर्सिटीज इन पीजी और पीएचडी स्टूडेंट्स को एक लेक्चर के पैसे देकर दजर्नभर स्टडी ग्रुप को हैंडल करने का काम उन्हें दे देते हैं।
स्टाएपेंड की दिक्कत हो रही
पीएचडी के ज्यादातर स्टूडेंट्स को यूके रिसर्च एंड इनोवेशन (UKRI) के प्रोग्राम से रिसर्च के लिए फंड (स्टायपेंड) मिलता है। इसकी एक समससीमा होती है लेकिन कोविड के चलते पीएचडी स्टूडेंट्स रिसर्च नहीं कर पाए। लेकिन उनके खर्च उसी तरह होते रहे अब UKRI पीएचडी की समय सीमा समाप्त हो जाने के बाद स्टापेंड देने से इनकार कर रहा है। इसके चलते स्टूडेंट्स के सामने समस्या खड़ी हो गई है। एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी से केमिस्ट्री में पीएचडी कर रहीं ब्रॉयनी हॉकिन कहती हैं इन परिस्थितियों के चलते उनके फेस टू फेस टीचिंग जॉब करने के अलावा कोई चारा नहीं है। मेरे भाई कोरोना संक्रमित थे और लंबे समय तक अस्पताल में रहे थे।
अब हाॅकिन अब पीएचडी स्टूडेंट्स द्वारा शुरू किए गए Pandemic Postgraduate Researchers का हिस्सा हैं। यह मुहिम पीएचडी स्टूडेंट्स के लिए सहायता लेने के लिए शुरू किया गया है। उनका कहना है कि बहुत से स्टूडेंट्स की समस्या है कि महामारी के चलते वे आर्थिक तंगी में हैं।

अंडर ग्रेजुएट्स यूनिवर्सिटी के कस्टमर हैं
पीएचडी स्टूडेंट्स कहते हैं कि यूनिवर्सिटी और डिपार्टमेंट्स के लिए अंडर ग्रेजुएट स्टूडेंट्स कस्टमर हैं क्योंकि उनसे यूनिवर्सिटी के भारी फीस मिलती है लेकिन हम न तो स्टॉफ हैं और न ही हमे स्टूडेंट गिना जाता है। अब यूनिवर्सिटी एंड कॉलेज यूनियन इन पीएचडी स्टूडेंट्स के लिए आगे आया है। वो अब इन्हें स्टॉफ मेंबर मानने की मुहिम शुरू करने की तैयारी कर रहे हैं।
इसके अलावा यूनिवर्सिटी ऑफ नाटिंघम की रिसर्च विभाग की प्रो वाइस चांसलर जेसिका कॉर्नर ने कहा है कि यूनिवर्सिटी पीएचडी स्टूडेंट्स की मदद के लिए योजना बना रही है। उनका कहना है कि कुछ ही दिनों नें इसे सार्वजनिक कर दिया जाएगा। वहीं सेंट एंड्रयूज यूनिवर्सिटी ने भी कहा है कि असिस्टेंट वॉर्डन का काम कर रहे पीएचडी स्टूडेंट्स को कोविड गाईड लाइन का पालन कराने के लिए हेल्पलाइन और मदद दी गई है।