भाजपा का चुनाव चिन्ह बैन करने के लिए मुस्लिम लीग की सुप्रीम कोर्ट में याचिका
भाजपा के कमल सहित 26 दलों के चुनाव चिन्हों को बताया धार्मिक प्रतीक
नई दिल्ली.
इंडियन मुस्लिम लीग को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के चुनाव चिन्ह से आपत्ति है। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम लीग ने एक याचिका दायर की। इसमें मुस्लिम लीग ने कोर्ट से धर्म से जुड़े चुनाव चिन्ह को बैन करने की मांग की है। मुस्लिम लीग का कहना है कि हिंदुओं के देवी-देवताओं का संबंध कमल के फूल से है। धार्मिक भावनाओं को देखते हुए इसे प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। भाजपा को धार्मिक नामों और प्रतीकों से रोकने की मांग वाली याचिका में प्रतिवादी बनाए जाने की भी मांग की है।
इसके पहले यूपी शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष सैयद वसीम रिजवी (अब जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी) ने भी सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि पार्टियों के नाम में धार्मिक शब्दों का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। सोमवार को जस्टिस एमआर शाह और सीटी रवि कुमार की बेंच के सामने मुस्लिम लीग की याचिका पर सुनवाई हुई।
इन दलों के चिन्ह पर भी आपत्ति
मुस्लिम लीग के एडवोकेट दुष्यंत दवे ने कहा कि भाजपा के अलावा 26 दलों के चुनाव चिन्ह भी धार्मिक हैं। इन्हें भी प्रतिवादी बनाना चाहिए। इसमें शिवसेना, हिंदू सेना, हिंदू महासभा, क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक फ्रंट, शिरोमणि अकाली दल और इस्लाम पार्टी शामिल हैं। दवे ने कहा कि हमने भाजपा के अलावा 26 दलों को इस मामले में प्रतिवादी बनाने के लिए निवेदन किया है। इस पर विचार किया जाना चाहिए।
उन्होंने अपनी दलील में कहा कि हिंदू और बौद्ध दोनों ही धर्मों में कमल को धार्मिक रूप में बताया गया है। इस याचिका पर भारत के पूर्व अटॉनी जनरल ने सवाल उठाए हैं। पूर्व अटॉर्नी जनरल और सीनियर एडवोकेट वेणुगोपाल मामले में याचिका के खिलाफ एआईएमआईएम की तरफ से कोर्ट में पेश हुए। उन्होंने याचिका पर ही सवाल खड़े कर दिए। वेणुगोपाल ने कहा कि याचिका दायर करने वाली पार्टी के किसी भी मौलिक अधिकार का हनन नहीं हो रहा है, इसलिए याचिका को खारिज कर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि पहले से इस मामले से जुड़ा एक मामला दिल्ली कोर्ट में लंबित है।