चौंकाता है भाजपा की दूसरी सूची का पहला नाम
प्रत्याशी के पति सात बार के सांसद थे उन्होंने की थी आत्महत्या
भाजपा ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए अपने प्रत्याशियों की दूसरी सूची जारी कर दी है। इसमें कुल 72 प्रत्याशियों के नाम हैं। सूची की शुरुआत जिस नाम से होती है वो नाम अपने आप में बहुत चौंकाने वाला है। यह नाम है कला बेन मोहन भाई डेलकर का। कलाबेन दादरा और नगर हवेली की वर्तमान सांसद हैं और उपचुनाव शिवसेना के टिकट पर जीतीं थीं। यह उपचुनाव उनके पति और यहां से सात बार सांसद रहे मोहन डेलकर की आत्महत्या के चलते हुआ था। मोहन डेलकर निर्दलीय सांसद थे और उन्होंने मुंबई की एक होटल में 15 पेज का सुसाइड नोट लिखकर आत्महत्या कर ली थी।
यह सुसाइड नोट कभी सार्वजनिक नहीं हुआ लेकिन बताया जाता है कि इनमें उन नौ लोगों के नाम थे जिनसे मोहन भाई परेशान थे औऱ जिनकी शिकायत वे लोकसभा अध्यक्ष तथा लोकसभा की विशेषाधिकार समिति के सामने कर चुके थे। इस मामले में कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना ने उनकी मदद की थी। शशि थरुर ने मोहन डेलकर के लिए लोकसभा अध्यक्ष को पत्र भी लिखा था। इतना ही नहीं मोहन डेलकर ने इस मामले में लोकसभा में भी उठाया था कि दादरा और नगर हवेली के अधिकारियों ने उनका अपमान किया है और 35 साल से दादरा और नगर हवेली की स्वतंत्रता दिवस पर सांसद द्वारा संबोधित करने की जो परंपरा चली आ रही थी, उसका पालन नहीं किया गया है। देखिए ये वीडियो
दादरा और नगर हवेली के प्रशासक पर आरोप
58 वर्षीय डेलकर 22 फरवरी, 2021 को दक्षिण मुंबई के मरीन ड्राइव में एक होटल के कमरे में मृत पाए गए थे। मोहन डेलकर के सुसाइड नेट में जिन लोगों के नाम थे, मुंबई पुलिस ने इन लोगों के खिलाफ मार्च 2021 में एफआईआर दर्ज की थी। इनमें दादरा एवं नगर हवेली के प्रशासक प्रफुल्ल खोड़ा पटेल के आलावा आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के नाम थे। इनमें तत्कालीन जिलाधिकारी संदीप सिंह, तत्कालीन पुलिस अधीक्षक शरद दराडे, तत्कालीन उपजिलाधिकारी अपूर्वा शर्मा, अनुमंडल अधिकारी मनस्वी जैन, पुलिस निरीक्षक (सिलवासा) मनोज पटेल, डीएनएच प्रशासनिक विभाग के अधिकारी रोहित यादव, राजनीतिक नेता फत्तेसिंह चौहान और दिलीप पटेल शामिल थे।
बाद में इन सभी लोगों ने इस एफआईआर के खिलाफ हाई कोर्ट की शरण ली और कोर्ट ने इन सभी के खिलाफ एफआईआर खारिज करने का आदेश दिया। अब सवाल ये है कि मोहन डेलकर ने आत्महत्या क्यों की? पुलिस ने यह एफआईआर मोहन डेलकर के पुत्र अभिनव डेलकर की शिकायत पर मरीन ड्राइव पुलिस ने दर्ज की थी।
कौन थे मोहन डेलकर
मोहन डेलकर दादरा और नगर हवेली से रिकॉर्ड सात बार सांसद रहे । वे अनुसूचित जनजाति वर्ग से आते थे और कुल नौ बार चुनाव लड़े थे। उनके पिता भी यहां सांसद रहे थे। मोहन डेलकर ने युवावस्ता में सिलवासा और आसपास की निजी कंपनियों में काम करने वाले आदिवासी युवाओं को नौकरी से निकालने जैसे मुद्दों को लेकर आंदोलन किए थे। इसके चलते उनकी इस वर्ग में अच्छी पैंठ थी। 1985 में उन्होंने आदिवासी लोगों के लिए आदिवासी विकास संगठन की शुरुआत की। 1989 में, वह एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में दादरा और नगर हवेली निर्वाचन क्षेत्र से 9वीं लोकसभा के लिए चुने गए ।
1991 और 1996 में उन्हें उसी निर्वाचन क्षेत्र से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में फिर से चुना गया । 1998 में, वह फिर से उसी निर्वाचन क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार के रूप में लोकसभा के लिए चुने गए । 1999 और 2004 में, वह क्रमशः एक स्वतंत्र और भारतीय नवशक्ति पार्टी (बीएनपी) के उम्मीदवार के रूप में लोकसभा के लिए फिर से चुने गए ; एक पार्टी जो उन्होंने बनाई थी. 4 फरवरी 2009 को वह फिर से कांग्रेस में शामिल हो गये। और 2019 में उन्होंने खुद को कांग्रेस से अलग कर लिया और एक स्वतंत्र राजनेता के रूप में चुने गए।
इसलिए चौंकाता है ये टिकट
ऐसा नहीं है कि इन लोगों के खिलाफ मोहन डेलकर ने पहले मोर्चा नहीं खोला था। यू ट्यूब पर उनके वीडियों मौजूद हैं जिसमें उन्होंने प्रशासक प्रवीण खोडा पटेल और अन्य अधिकारियों और भाजपा नेता पर उन्हें परेशान करने, समर्थकों पर झूठे केस दर्ज कराने और कार्यकर्ताओं को नौकरी से निकलवाने की शिकायत की थी। यही बात उन्होंने सदन में भी दोहराई थी लेकिन उनकी आत्महत्या के पीछे क्या कारण थे यह सामने नहीं आ पाया। उनकी पत्नी ने भी ड़ेलकर की आत्महत्या के बाद इन अधिकारियों और सरकार पर आरोप लगाए थे। आत्महत्या मुंबई में हुई थी और उस समय उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री थे। मोहन डेलकर की पत्नी ने उनसे मुलाकात भी की थी और बाद में उन्होंने शिवसेना के टिकट पर उपचुनाव भी लड़ा था। बाद में उनकी सरकार गिर गई।
जब मोहन डेलकर भाजपा नेता और प्रशासक जिसकी नियुक्ति भी केन्द्र सरकार ने की थी, से परेशान थे तो ऐसे में कलाबेन का भाजपा में जाना अपने आप में एक अचंभा है। इसके अलावा जब डेलकर अपने अपमान का मुद्दा उठा रहे थे, उस समय उन्हें कांग्रेस ने मदद की थी और मोहन डेलकर स्वयं कांग्रेस से भी सांसद रह चुके थे। इतना ही नही डेलकर के पुत्र अभिनव ने बताया कि कुछ महीने पहले उनके पिता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को चिट्ठी लिखकर प्रफुल पटेल की हरकतों के बारे में बताया था, लेकिन उन्हें वहाँ से भी निराशा ही हाथ लगी थी। उसके बाद मोहन डेलकर ने लोकसभा से इस्तीफ़ा देने का मन बना लिया था। ऐसे में यह टिकट बहुत से सवाल भी खड़े करता है।