18th October 2024

ये 13 सीट तय करेंगी असली शिवसेना कौन ?

इस बार के लोकसभा चुनाव में हर कोई यह जानना चाहता है कि महाराष्ट्र में क्या चल रहा है? महाराष्ट्र की राजनीति में इतनी गड्‌डमड्‌ड कभी नहीं हुई। खास बात ये है कि देश में लोकसभा सीटों की संख्या के मामले में महाराष्ट्र दूसरे स्थान पर आता है और पिछले दो लोकसभा चुनाव में यहां भाजपा को यूपी से भी ज्यादा सफलता मिली है। ऐसे में महाराष्ट्र की सफलता भाजपा के लिए बहुत जरुरी है। इस बार भाजपा दो पार्टियों को तोड़ने का आरोप झेल रही है और इसके चलते जानकारों के मुताबिक शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे और एनसीपी प्रमुख शरद पवार के पक्ष में थोड़ी सहानुभूति भी दिख रही है।

माना जा रहा है कि चार जून 2024 के परिणामों के बाद एक बार फिर राज्य की राजनीति में भूचाल आ सकता है। यदि परिणामों में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजीत पवार के धड़ों के अपेक्षित सफलता नहीं मिली तो इनके अस्तित्व पर संकट मंडरा जाएगा। यही हाल शरद पवार और उद्धव ठाकरे का भी है।

ये सीटें तय करेंगी किसकी शिवसेना असली

ये वो 13 सीटें हैं जिन पर उद्धव की शिवसेना का शिंदे की सेना के साथ सीधा मुकाबला हैं। इन सीटों के परिणाम सीधे तौर पर ये तय करेंगे कि किसकी शिवसेना असली ?

1) मुंबई नॉर्थ वेस्ट –
यहां रवींद्र वायकर (शिवसेना) बनाम अमोल कीर्तिकर (ठाकरे ग्रुप) के बीच मुकाबला है। खास बात ये है कि अमोल कीर्तिकर के पिता गजानन कीर्तिकर शिंदे के साथ हैं लेकिन बेटा उद्धव के साथ है। इसे लेकर गजानन कीर्तिकर की पत्नी ने खुलेआम कहा कि वे बेटे के साथ हैं। इस मामले शिंदे के प्रत्याशी ने गजानन कीर्तिकर की शिकायत भी की थी। कीर्तिकर खुद यहां के वर्तमान सांसद हैं। यहां ठाकरे गुट का पलड़ा भारी माना जा रहा है।

2) साउथ सेंट्रल मुंबई –
राहुल शेवाले (शिवसेना) बनाम अनिल देसाई (ठाकरे ग्रुप) की लड़ाई है। अनिल देसाई मातोश्री के विश्वस्त हैं, राज्यसभा सांसद भी रहे हैं। शिवसेना में टूट के बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका उन्होंने ही दायर की थी। बताया जा रहा है कि मुंबई की ये एकमात्र सीट है जिस पर शिंदे गुट लडाई में दिख रहा है।

3) मुंबई साउथ –
यामिनी जाधव (शिवसेना) बनाम अरविंद सावंत (ठाकरे ग्रुप) की लड़ाई में अरविंद सावंत भारी माने जा रहे हैं। सावंत पुराने सांसद हैं और लोकसभा में शिवसेना के नेता भी हैं। वे उद्धव ठाकरे के निकट के लोगों में शुमार होते हैं।

4)बुलढ़ाना –
प्रतापराव जाधव (शिवसेना) बनाम नरेंद्र खेडेकर (ठाकरे ग्रुप) के बीच के चुनाव में माना जा रहा है कि खेड़ेकर बाजी मार सकते हैं। जाधव 15 साल से सांसद हैं लेकिन यहां पर कर्ज के चलते किसानों की आत्महत्या और फसल बीमा योजना की उलझन के चलते किसान भाजपा से नाराज हैं। उन्होंने चंदा करके खुद का प्रत्याशी खड़ा किया है। इसके चलते खेड़ेकर मजबूत हो गए हैं।

5) यवतमाल – वाशिम
राजश्री पाटिल (शिवसेना) बनाम संजय देशमुख (ठाकरे ग्रुप) के बीच मुकाबला है। यहां से शिंदे ने हिंगोली के नाराज नेता हेमंत पाटिल को मनाने के लिए उनकी पत्नी राजश्री को प्रत्याशी बनाया है। इसके चलते पांच बार की सांसद भावना गवली का टिकट कट गया। इससे वे नाराज हैं। वहीं ठाकरे गुट ने यहां से दो बार निर्दलीय विधानसभा का चुनाव जीतने वाले संजय देशमुख को मैदान में उतारा है। यहां सभी विधायक महायुति के हैं लेकिन फिर भी शिंदे सेना में नाराजगी के चलते मुकाबला उलझ गया है।

6) हिंगोली –
बाबूराव कदम (शिवसेना) बनाम नागेश पाटिल अष्टिकर (ठाकरे ग्रुप) के बीच मुकाबला है। यहां से पिछली बार शिवसेना के हेमंत पाटिल जीते थे। वे शिंदे के साथ हैं लेकिन उनका टिकट कट गया है। उनकी नाराजगी दूर करने के लिए उनकी पत्नी को यवतमाल से टिकट दिया गया है। इतना ही नहीं इस सीट से भाजपा के पुराने जिलाध्यक्ष शिवाजीराव जाधव ने निर्दलीय ताल ठोंक ली है। इसके अलावा महायुति में खींचतान भी चल रही है। इसके चलते इस सीट पर ठाकरे गुट के नागेश पाटिल मजबूत स्थिति में हैं।

7) औरंगाबाद –
संदीपन भुमरे (शिवसेना) बनाम चंद्रकांत खैरे (ठाकरे ग्रुप) के अलावा यहां से औवेसी की पार्टी के वर्तमान सांसद इम्तियाज जलील भी मैदान में हैं। यहां त्रिकोणीय लड़ाई है। ठाकरे गट के चंद्रकांत खैर यहां से पहले भी जीत चुके हैं। त्रिकोणीय संघर्ष में वो भारी दिखाई दे रहे हैं। संदीपन भुमरे शिंदे सरकार में मंत्री हैं लेकिन जिले में पार्टी नेताओं से खींचतान चल रही है।

8) नासिक –
हेमंत गोडसे (शिवसेना) बनाम राजाभाऊ वाजे (ठाकरे ग्रुप) के बीच मुकाबला है। यह सीट अजीत पवार खेमा अपने लिए चाहता था। यहां एनसीपी के पुराने नेता छगन भुजबल चुनाव लड़ना चाहते थे। उनकी दावेदारी के चक्कर में यह सीट आखरी तक उलझी रही। अंत में यहां से पिछली बार के सांसद हेमंत गोड़से को ही टिकट दिया गया है। इसके चलते कहा जा रहा है कि पुराने शिवसैनिक छगन भुजबल नाराज हैं। वे महाराष्ट्र सरकार में मंत्री भी हैं। इसके चलते राजाभाऊ वाजे को मजबूत माना जा रहा है।

9) शिरडी –
सदाशिव लोखंडे (शिवसेना) बनाम भाऊसाहेब वाकचौरे (ठाकरे ग्रुप) के बीच मुकाबला है। यहां से एनडीए में शामिल रिपब्लिकन पार्टी के नेता और केंद्रीय राज्यमंत्री रामदास आठवले भी चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन मामला जमा नहीं। सदाशिव लोखंड़े पिछली बार के सांसद हैं तो वहीं भाऊसाहेब वाकचौरे 2009 में शिवसेना के टिकट पर यहां से सांसद चुने गए थे। इसके बाद उनका टिकट काट दिया गया था। शिंदे गुट में यहां भी टिकट को लेकर बहुत मारा मारी थी। इसके चलते सीट पर मुकाबला कड़ा है।

10) मावल –
श्रीरंग बारणे (शिवसेना) बनाम संजोग वाघेरे-पाटिल (ठाकरे ग्रुप) की आमने सामने की लड़ाई है। बारणे दो बार से यहां के सांसद हैं। चुनाव के बाद उन्होंने आरोप लगाया कि अजीत पवार की पार्टी ने चुनाव में उनका सहयोग नहीं किया है। इस पवार गुट के विधायक सुनील शेल्के ने कहा कि बारणे को यह मान लेना चाहिए कि क्षेत्र में उन्हें लेकर नाराजगी थी। इसके बीच ठाकरे गुट के प्रत्याशी संजोग वाघेरे ने पौने दो लाख वोटों से जीत का दावा किया है।

11) कल्याण –
श्रीकांत शिंदे (शिवसेना) बनाम वैशाली दरेकर (ठाकरे ग्रुप) के बीच मुकाबला है। श्रीकांत मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के पुत्र हैं। इसके चलते यहां उनकी व्यक्तिगत प्रतिष्ठा दाव पर लगी है। माना जा रहा है कि श्रीकांत चुनाव जीत जाएंगे हालांकि यहां भाजपा ने तगड़ी दावेदारी की थी क्योंकि इस सीट पर उसके तीन विधायक हैं लेकिन शिंदे के पास केवल एक विधायक ही है। देवेंद्र फड़नवीस ने यह कहकर स्थानीय भाजपा नेताओं को शांत किया है कि उन्होंन शिंदे के सम्मान में ये सीट छोड़ी है। इसके चलते यहां शिवसैनिक ही शिंदे पर सावल उठा रहे हैं।

12) ठाणे –
नरेश म्हास्के (शिवसेना) बनाम राजन विचारे (ठाकरे ग्रुप) के बीच मुकाबला है। विचारे यहां के वर्तमान सांसद हैं। इस क्षेत्र में भी शिंदे का प्रभाव माना जाता है लेकिन सीट के शिंदे गुट के जाने के बाद मीरा -भायंदर के भाजपा पदाधिकारियों ने अपने पद से इस्तीफे दे दिए थे। यहां के सांसद को ठाकरे गुट के साथ चले जाने के चलते भाजपा यह मानकर चल रही थी कि यह सीट उन्हें मिलेगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। शिंदे के प्रत्याशी यहां भी सहयोगी दलों की नाराजगी का सामना कर रहे हैं।

13) हटकनंगले –
धैर्यशील माने (शिवसेना) बनाम सत्यजीत पाटिल (ठाकरे ग्रुप) के बीच यहां रोचक मुकाबला है। यहां से दो बार सांसद रहे शेतकारी संगठन के राजू शेट्‌टी भी मैदान मे हैं। वैसे उनका ठाकरे गुट के साथ समझौता हो रहा था लेकिन बात मशाल चुनाव चिन्ह पर लड़ने के चलते उखड़ गई और शेट्‌टी अलग से मैदान में आ गए। इसके चलते यहां पर मामला त्रिकोणीय है। माने पिछली बार के सांसद हैं।

क्या है संभावना ?

महाराष्ट्र के राजनीतिक विश्लेषक शिंदे और ठाकरे की लड़ाई में ठाकरे को बढ़त दे रहे हैं। उनका कहना है कि लोगों में ठाकरे को लेकर साहानुभूति है तथा शिवसेना की शाखाओं पर भी उन्हीं का कब्जा है। इतना ही नहीं महाराष्ट्र में उनकी रैलियों में भीड़ भी उमड़ रही है। ऐसे में माना जा रहा है कि उन्हें यहां पर इसका फायदा होगा। संख्या की बात करें तो यह माना जा रहा है कि ठाकरे गुट को इन 13 सीटों में से आठ से लेकर दस सीट तक मिल सकती हैं। कुछ जानकार तो ठाकरे को 11 से 12 के बीच की सीट भी दे रहे हैं। उनका मानना है कि यदि शिंदे की शिवसेना असली होती तो वो भाजपा के साथ 15 सीटों पर गठबंधन नहीं करते बल्कि कम से कम महाविकास अघाड़ी में जितनी सीट उद्धव ठाकरे को मिली है, कम से कम उतनी तो मांगते। महाविकास अघाड़ी के साथ उद्धव सेना 21 सीटों पर चुनाव लड़ रही है।

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