भारत से एक तिहाई जनसंख्या के बाद भी अमेरिका में डॉग बाइट के मामले ज्यादा

स्वच्छता सर्वे में प्रथम 10 स्थानों पर आने वाले शहरों के राज्य में डॉग बाइट के मामले बढ़े

मोदी के प्रयासों को पलीता लगा रहे भाजपाई, मोदी सरकार के राज में एक तिहाई हुए डॉग बाईट के मामले

भारत सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक देश को रैबीज मुक्त बना दिया जाए। डॉग बाईट के पिछले पांच साल के आंकड़े इस दिशा में सरकार के प्रयासों की कहानी कह रहे हैं। पिछले पांच साल के मोदी राज में डॉग बाईट के मामलों में 66 प्रतिशत की कमी आई है। इस उपलब्धि को बढ़ाने की बजाए कुछ भाजपाई डॉग बाइट के मामलों को बढ़ा चढ़ा कर अपनी ही सरकारों को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। केंद्र सरकार के आंकड़ों के आधार पर अकेले मध्य प्रदेश में ही इनकी संख्या में 70 प्रतिशत से अधिक की गिरावट दर्ज की गई है। खास बात ये है कि भारत से ज्यादा कुत्ते के काटने के मामले अमेरिका में दर्ज किए जाते हैं। अमेरिका की 35 करोड़ की जनसंख्या के बावजूद वहां पर डॉग बाइट के वार्षिक मामले 45 लाख हैं

दिसंबर में लोक सभा में एक प्रश्न के जवाब में भारत सरकार ने पूरे देश में राज्यवार डॉग बाईट के मामले जारी किए हैं। इसके अनुसार 2023 में दिसंबर तक देश में डॉग बाईट के कुल 27.59 लाख मामले सामने आए हैं जबकि 2018 में इनकी संख्या 75.66 लाख थी। इस तरह से पिछले पांच साल में देश में डॉग बाईट के मामलों में 64 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। हालांकि इन आंकड़ों में 2022 की तुलना में 12 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

वहीं मध्य प्रदेश के आंकड़ों को देखें तो 2018 में प्रदेश में डॉग बाईट के 2.81 लाख मामले दर्ज किए गए थे जो कि 2023 में घटकर 1.02 लाख बचें हैं। यानr कि यहां भी इन मामलों 64 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।

अमेरिका से कम मामले

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की वेबसाइट के अनुसार अमेरिका में पिछले साल डॉग बाईट के 45 लाख मामले सामने आए हैं। इनकी तुलना भारत की आंकड़ों से करें तो ये भारत की तुलना में 60 प्रतिशत ज्यादा हैं। इसे जनसंख्या के आधार पर देखें तो अमेरिका की जनसंख्या लगभग 35 करोड़ है जबकि भारत की जनसंख्या 140 करोड़ है।

इस हिसाब से अनुमान लगाया जा सकता है कि भारत में डॉग बाईट के मामलों को लेकर सरकार ने कितना अच्छा काम किया है। इसको जनता तक पहुंचाने की बजाय भाजपा के ही कुछ नेता इसमें राजनीति में उलझे हुए हैं। भारत में रैबीज से होने वाली मौतों की संख्या ज्यादा है। इस मामले में विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि भारत में स्वास्थ्यकर्मी इस तरह के मामलों से निपटने के लिए प्रशिक्षित नहीं हैं। साथ ही डब्ल्यूएचओ ने सुझाव भी दिया है कि बच्चों को किसी भी पशु के आस पास अकेला न छोड़ें।

कुछ भाजपा नेता और उनके कारनामें

  • मैसूर के भाजपा सांसद प्रताप सिम्हा मीडिया से अपील करते पाए गए थे कि वो जब स्ट्रीट डॉग्स की हत्या करेंगे तब मीडिया चुप रहे। वीडियो वाइरल हुआ और मोदी और शाह तक पहुंच गया। सिम्हा को सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी पड़ी। उनके भाई जंगल कटाई के मामले में गिरफ्तार किए गए और राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह वाले दिन उन्हें मैसूर के राम मंदिर में जन विरोध का सामना करना पड़ा। फिलहाल टिकट के लिए संघर्षरत।
  • दिल्ली भाजपा के नेता विजय गोयल डॉग बाईट के मामलों से अपनी राजनीति चमकाने की कोशिश करते दिखे। उनके डॉग अब्यूज के वीडियों सामने आए। वीडियो भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के टैग किए गए। और गोयल ट्रोल भी किए गए। फिलहाल राजनीतिक हाशिए पर।
  • भोपाल के निगम पार्षद रविंद्र यति इसी तरह के एक मामले में बद्तमीजी करते हुए दिखाई दिए। वे खुद को संवैधानिक आदमी बताकर अंसैवाधानिक रूप से मारने की धमकी देते देखे गए। इस वीडियो को सैंकड़ों की संख्या में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमित शाह को टैग किया गया है। बताया जा रहा है कि अब इनकी राजनीति भी भैरव कृपा पर ही निर्भर करेगा !

स्वच्छता वाले राज्यों में परेशानी

खास बात ये है कि 2022 की तुलना में 2023 में देश में डॉग के बाईट के मामलों में बढ़ोतरी देखी गई है। इसमें भी खास बात ये है कि 2023 के स्वच्छता सर्वेक्षण में पहले दस स्थानों पर जो शहर हैं उन सभी राज्यों में डॉग बाईट के मामलों में वृद्धि देखी गई है। पहले स्थान पर मध्य प्रदेश का शहर इंदौर है। मप्र में 2022 की तुलना में डॉग बाईट के मामले प्रतिशत के लगभग 35 प्रतिशत बढ़े हैं यही स्थिति गुजरात में है यहां भी 2022 की तुलना में डॉग बाईट के मामले लगभग 35 प्रतिशत बढ़ गए हैं। तीसरे स्थान पर महाराष्ट्र का शहर नवी मुंबई है। यदि यहां पर डॉग बाईट के मामलों की तुलना करें तो 2022 की तुलना में दस प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। यही स्थित तेलंगाना की है। आंध्र प्रदेश में भी डॉग बाईट के मामलों में मामूली वृद्धि ही दर्ज हुई है।

इन आंकड़ों का निष्कर्ष ये है कि स्वच्छता वाले शहरों में कुत्तों को भोजन नहीं मिल पा रहा है जिसके वजह से घटनाएं बढ़ रही हैं।

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