कौन जीतेगा सांवेर उपचुनाव?
क्या कहता है सांवेर का सर्वे?
इंदौर.
फिलहाल ये तय नहीं है कि सांवेर में उपचुनाव कब होंगे लेकिन ये लगभग तय है कि भाजपा के तुलसी सिलावट के सामने कांग्रेस से प्रेमचंद गु्ड्डू मैदान पकड़ने वाले हैं। तुलसी सिलावट सांवेर के लिए नए भले ही न हो लेकिन भाजपा के लिए नए हैं इसलिए मुकाबला रोचक माना जा रहा है। इस समय लॉकडाउन चल रहा है और हमने फोन पर सांवेर के मतदाताओं से चुनाव के बारे में उनकी राय जानी है। हमने पांच प्रश्नों पर सांवेर की जनता की राय लेने की कोशिश की है।
इस पोल में हमने 650 मतदाताओं से राय जानने की कोशिश की लेकिन हमारी बात केवल 572 लोगों से हो पाई। शेष ने या तो फोन नहीं उठाया या फिर उनके नंबर बंद थे।
पहला सवाल, पार्टी देखेंगे या कौन लड़ रहा है यह देखेंगे?
इसमें 57 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे पार्टी देखेंगे और केवल 35 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे व्यक्ति देखेंगे। शेष का कहना था कि ये बात वे चुनाव के समय ही तय करेंगे। इस तरह से बहुमत पार्टी देखने वालों का है। इसका लाभ किसे मिलेगा ये तो आने वाले समय पर ही पता चलेगा क्योंकि पिछली बार सांवेर की जनता से थोड़े अंतर से कांग्रेस को जिताया था।
दूसरा सवाल, क्या दल बदल कर तुलसी सिलावट ने जनादेश का अपमान किया है?
इसे सांवेर के चुनाव में एक बड़ा मुद्दा माना जा रहा है। कांग्रेस का मानना है कि सिलावट दल बदलने का कारण नहीं बता पाएंगे क्योंकि वे कांग्रेस सरकार में भी मंत्री थे। इसके चलते इस मुद्दे पर वे परेशानी में घिर जाएंगे। लेकिन सर्वे के परिणाम सिलावट को कुछ राहत दे सकते हैं।
इस पर 54 प्रतिशत लोगों ने कहा कि नहीं जबकि 40 प्रतिशत ने माना कि हां भाजपा में जाकर तुलसी सिलावट ने जनादेश का अपमान किया है। वहीं छह प्रतिशत लोगों की इस बारे में कोई राय नहीं है। यानी कि तुलसी सिलावट के लिए यह राहत की बात है कि जनता उनके दलबदल को लेकर उनके खिलाफ नहीं है। उल्टे प्रेमचंद गुड्डू भी भाजपा में राजनीतिक पर्यटन करके आ चुके हैं। इसके चलते इस मुद्दे में मतदाताओं को ज्यादा दम नहीं लगता है।
तीसरा सवाल था कि कांग्रेस या भाजपा किसे वोट देंगे
ये ऐसा सवाल था जिस पर पूरे चुनाव की दिशा तय होगी। लेकिन इस मामले में भाजपा का प्रदेश की सत्ता में होना निर्णायक साबित हो सकता है। क्योंकि 56 प्रतिशत लोगों का कहना है कि वे भाजपा के साथ जाएंगे क्योंकि वो सत्ता में है। वहीं 40 प्रतिशत लोगों ने कांग्रेस के साथ जाने की बात कही है। शेष 4 प्रतिशत लोगों का कहना है कि उन्होंने अभी तय नहीं किया है कि वे मतदान करेंगे या नहीं।
इस तरह से भाजपा के पास कांग्रेस के ऊपर 14 प्रतिशत वोटों की बढ़त है। जो कि बहुत ज्यादा है। हालांकि ओपिनियन पोल में पांच प्रतिशत की गलती की गुंजाईश रहती है। लेकिन यह पूरी तरह से टेलीफोनिक सर्वे है इसलिए हम यह माने कि इसमें गलती की संभावना 7.5 प्रतिशत होगी तो भी कांग्रेस के लिए कड़ी चुनौती की स्थिति है।
कितने वोटों से हो सकती है हार जीत
इस सवाल का जवाब अलग-अलग लोगों ने अलग-अलग तरीके से दिया है। 37 प्रतिशत लोगों को लगता है कि कोई भी जीते। हार जीत का अंतर पांच हजार वोटों का होगा।
वहीं बीस प्रतिशत को लगता है कि हार जीत केवल 2500 से पाच हजार के बीच होगी, तो 34 प्रतिशत को लगता है कि इसका अंतर ढ़ाई हजार से कम रहेगा। शेष ने इस तरह का कोई भी अनुमान लगाने से मना कर दिया।
खास बात
- 572 में से दस प्रतिशत लोगों ने यह कहकर कोई राय नहीं दी कि वे अनजान लोगों से चुनाव के बारे में बात नहीं करते हैं।
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