विनेश को 50 किलो वर्ग में क्यों लड़ना पड़ा?
क्या है शिवानी पवार और अंतिम पंघाल के दावों का सच?
विनेश फोगाट ओलंपिक फाइनल में पहुंचकर भी पदक से वंचित रह गई हैं हालांकि उनके पदक की अंतिम उम्मीद उनके द्वारा की गई अपील पर टिकी हैं जिसका निर्णय होना अभी शेष है।
इस बीच सोशल मीडिया और मीडिया में अलग-अलग कहानियों चल रही हैं कि 53 किलोग्राम वर्ग में लड़ने वाली विनेश 50 किलोग्राम वर्ग में कैसे आईं? इसमें किसकी क्या भूमिका है और जो दावे शिवानी पवार ने किए हैं उनमें कितना दम है? साथ एक राजनीतिक आरोप भी विनेश फोगाट पर लगा कि वे बिना ट्रायल के ओलंपिक जाना चाहती थीं। इन सभी बातों में कितनी और क्या सच्चाई है इसे लेकर खेल पत्रिका स्पोर्ट्स स्टार ने बड़ी खबर की है।
इसके मुताबिक कहा गया है विनेश 53 किलोग्राम वर्ग में ही लड़ना चाहती थीं लेकिन कुछ परिस्थितियों के चलते उन्हें 50 किलोग्राम में जाना पड़ा। ओलंपिक खेलों में जहां तक कुश्ती की बात है वहां पर कोटा खिलाड़ी को नहीं बल्कि ओलंपिक कमेटी को मिलता है, इसके चलते खिलाड़ियों को भेजने के लिए इस बार ट्रायल्स कराए गए थे। इस बार के ट्रायल कोर्ट द्वारा नियुक्त ऐड हॉक कमेटी द्वारा कराए गए थे।
तीन सदस्य इस एड हॉक कमिटी में भूपेंद्र सिंह बाजवा के अलावा ओलंपिक गोल्ड मेडल विजेता हॉकी खिलाड़ी एमएम सोमैया तथा बैडमिंटन की राष्ट्रीय चैंपियन रही मंजूषा कंवर शामिल थीं।
मार्च महीने में यह ट्रायल हुए थे और इसमें कहा गया था कि ट्रायल्स का विजेता एशियाई ओलंपिक क्वालीफायर खेलने जाएगा तथा उपविजेता एशियाई चैंपियनशिप में भाग लेगा।
53 किलोग्राम वर्ग में अंतिम पंघाल पहले ही विश्व कुश्ती प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीतकर ओलंपिक कोटा प्राप्त कर चुकी थीं इसलिए एड हॉक कमिटी ने कहा कि 53 किलोग्राम वर्ग में ट्रायल्स केवल एशियाई चैंपियनशिप में जाने के लिए होंगेएशियाई ओलंपिक क्वालीफायर्स के लिए नहीं होंगे।
एड हॉक कमिटी ने यह भी कहा कि सेमीफाइनल में पहुंचने वाले पहलवानों के बीच बाद में किसी तिथि पर एक ट्रायल और कराया जाएगा। इसके विजेता को ओलंपिक कोटा दिया जाएगा। अन्य खेलों की तरह कुश्ती में ओलंपिक कोटा खिलाड़ियों को नहीं बल्कि ओलंपिक एसोसिएशन को मिलता है। इसके चलते ओलंपिक एसोसिएशनअंतिम पंघाल का स्थान किसी अन्य पहलवान को दे सकता था।
विनेश ने 53 किलोग्राम वर्ग के लिए इस बारे में एड हॉक कमिटी से लिखित आश्वासन चाहा कि बाद में ओलंपिक के लिए फिर से ट्रायल होगा लेकिन एडहॉक कमेटी ने विनेश को यह लिख कर देने से इनकार कर दिया। विनेश को संदेह था कि कुश्ती फेडरेशन बाद में 53 किलोग्राम वर्ग के ट्रायल्स नहीं करेगा।
अपवाद स्वरूप एड हॉक कमिटी ने विनेश को 50 और 53 दो वर्गों में भाग लेने की अनुमति दे दी। 53 किलोग्राम वर्ग के सेमीफाइनल में पहुंचकर विनेश ने अंजू के खिलाफ मैच छोड़ दिया और 10-0 से बिना प्रतिरोध के हार गईं क्योंकि उन्हें केवल ओलंपिक कोटा ट्रायल के लिए पात्रता चाहिए थी और साथ ही 50 किलोग्राम वर्ग के मैच के लिए ऊर्जा बचाना थी। 53 किलोग्राम वर्ग के सेमीफाइनल में पहुंचने से ही विनेश को अंतिम पंघाल को चुनौती देने की पात्रता मिल गई थी।
दिनेश ने 50 किलोग्राम वर्ग का ट्रायल जीता और उन्हें एशियाई ओलंपिक क्वालीफायर्स में खेलने की पात्रता मिल गई थी। 21 मई को भारतीय कुश्ती फेडरेशन ने एड हॉक कमिटी को भंग कर दिया। इसके साथ ही फेडरेशन ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि कोई भी सिलेक्शन ट्रायल्स अब नहीं होंगे। फेडरेशन की इस घोषणा के बाद विनेश को 53 किलोग्राम वर्ग में अंतिम पंघाल को चुनौती देने का अवसर ही नहीं मिला। फेडरेशन ने ऐसा अमन सहरावत, जिन्होंने की पेरिस ओलंपिक में कांस्य पदक जीता है, सहित पांच अन्य पहलवानों की मांग पर किया।
कुश्ती फेडरेशन के अध्यक्ष संजय सिंह ने पत्रकार वार्ता में यह जानकारी दी और कहा कि ये पांच खिलाड़ी बिना ट्रायल के ओलंपिक जाना चाहते हैं । साथ ही उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि बिना ट्रायल के ओलंपिक जाने की मांग करने वालों में विनेश फोगाट शामिल नहीं है। सोशल मीडिया पर सरकार के खिलाफ धरना देने वाले पहलवानों पर यह आरोप लगाए गए थे कि वह बिना ट्रायल के ओलंपिक जाना चाहते थे जबकि सच्चाई यह थी कि विनेश अकेली ऐसी पहलवान थी जिन्होंने ट्रायल के बिना ओलंपिक में जाने की मांग नहीं की थी। यह बात कुश्ती फेडरेशन के अध्यक्ष संजय सिंह ने स्वीकार की जिन्हें बृजभूषण शरण सिंह का करीबी माना जाता है।
2016 की रियो ओलंपिक और 2020 के टोक्यो ओलंपिक के लिए कुश्ती महासंघ ने कोई भी ट्रायल नहीं कराए थे लेकिन कुश्ती महासंघ 2024 के पेरिस ओलंपिक से पहले खिलाड़ियों का ट्रायल करना चाहता था। जैसा कि बताया गया है की कुश्ती में कोटा ओलंपिक संघ को मिलता है खिलाड़ियों को नहीं। इस आधार पर कुश्ती फेडरेशन का मानना था कि ट्रायल के जरिए खिलाड़ियों का फॉर्म और फिटनेस टेस्ट की जाए और उसके आधार पर उन्हें ओलंपिक में भेजा जाए लेकिन बाद में पांच पहलवानों के आग्रह पर कुश्ती फेडरेशन ने ट्रायल करने का विचार त्याग दिया और इसके चलते विनेश फोगाट को 53 किलोग्राम की बजाय 50 किलोग्राम के भार वर्ग में ओलंपिक में खेलना पड़ा।
खास बात यह है कि विनेश की जगह 53 किलोग्राम वर्ग में भेजी गई अंतिम पंघाल पहले ही दौर में हार गईं और इसके साथ ही उन पर अपने ओलंपिक पास के जरिए अपनी बहन को ओलंपिक गांव में एंट्री दिलाने का आरोप लगा। इतना ही नहीं ओलंपिक आयोजकों ने पंघाल के स्टाफ पर टैक्सी के किराए को लेकर टैक्सी वाले से झगड़ा करने का आरोप भी लगाया और इसके चलते उन्हें वापस भारत भेज दिया गया।