21st November 2024

नहीं तो तुम्हारी लाडली बहना योजना बंद कर देंगे

सुप्रीम कोर्ट की महाराष्ट्र सरकार को चेतावनी

नई दिल्ली

सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की खंडपीठ ने आज महाराष्ट्र सरकार को एक जमीन का अधिग्रहण कर उसके मालिक को पर्याप्त मुआवजा न दिए जाने के मामले में कठोर टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि आप मुआवजे की सही राशि के साथ कोर्ट नहीं आते हैं तो हम आपकी लाडली बहन और लाडली बहू जैसी योजनाएं बंद कर देंगे । कोर्ट का कहना था कि आपके पास इस तरह की मुफ्त की चीज बांटने के लिए पैसा है लेकिन आपने जिसकी जमीन ली है उसका मुआवजा देने के लिए आपके पास पैसा नहीं है । मामला जस्टिस आरएस गवई तथा के विश्वनाथन की पीठ में चल रहा है। 

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से कहा कि आपके पास मुफ्त चीजों पर बर्बाद करने के लिए करोड़ों रुपये हैं, लेकिन उस व्यक्ति को मुआवजा देने के लिए पैसे नहीं हैं जिसकी जमीन अवैध रूप से ली गई है।’

न्यायालय एक वादी द्वारा दायर र आवेदन पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें दावा किया गया था कि उसके पूर्ववर्तियों ने 1950 के दशक में पुणे में 24 एकड़ जमीन खरीदी थी। राज्य सरकार ने 1963 में उस जमीन पर कब्जा कर लिया था। आवेदक ने मुकदमा दायर किया और सर्वोच्च न्यायालय तक जीत हासिल की। ​​इसके बाद, डिक्री को निष्पादित करने की मांग की गई, लेकिन राज्य ने एक बयान दिया कि जमीन एक रक्षा संस्थान को दे दी गई है। रक्षा संस्थान ने अपनी ओर से दावा किया कि वह विवाद का पक्ष नहीं था और इसलिए उसे बेदखल नहीं किया जा सकता।

इसके बाद, आवेदक ने बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर कर अनुरोध किया कि उसे वैकल्पिक भूमि आवंटित की जाए। 2004 में हाई कोर्ट ने 10 साल तक वैकल्पिक भूमि आवंटित न करने के लिए राज्य के खिलाफ कड़ी फटकार लगाई।

आवंटित की गई। आखिरकार, केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति ने आवेदक को सूचित किया कि उक्त भूमि अधिसूचित वन क्षेत्र का हिस्सा है। कल न्यायालय ने महाराष्ट्र राज्य को उचित राशि न देने के लिए कड़ी फटकार लगाई, साथ ही सख्त चेतावनी भी दी कि वह “लाडली बहना” जैसी योजनाओं को रोकने का जैसी योजनाओं को रोकने का आदेश देगा तथा अवैध रूप से अधिग्रहित भूमि पर निर्मित संरचनाओं को ध्वस्त करने का निर्देश देगा।

1963 से लेकर आज तक उस भूमि का अवैध रूप से उपयोग करने के लिए मुआवज़ा देने का निर्देश देंगे और फिर अगर आप अब अधिग्रहण करना चाहते हैं, तो आप इसे नए (भूमि अधिग्रहण) अधिनियम के तहत कर सकते हैं।” न्यायमूर्ति गवई ने सख्ती से कहा, ” एक उचित आंकड़ा लेकर आइए। अपने मुख्य सचिव से कहिए कि वे मुख्यमंत्री से बात करें। अन्यथा, हम उन सभी योजनाओं को बंद कर देंगे।”

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