इंदौर में 90 प्रतिशत मतदान केंद्रों पर होगा केवल भाजपा का ही एजेंट!

कांग्रेस में निर्दलीय प्रत्याशियों के जरिए एजेंट बैठाने पर मंथन, ताकि फर्जी मतदान रोक सकें

कांग्रेस प्रत्याशी के मैदान में न रहने के चलते इस बार के मतदान में 90 प्रतिशत मतदान केन्द्र ऐसे होंगे जहां केवल भारतीय जनता पार्टी का ही मतदान एजेंट होगा। चुनाव मैदान में बचे निर्दलीय और अन्य दलों के प्रत्याशियों के पास इतने संसाधन नहीं है कि वे ढ़ाई हजार से अधिक मतदान केन्द्रों पर एजेंट बैठा सकें। इस तरह से कांग्रेस ने नोटा का समर्थन कर 90 प्रतिशत से ज्यादा मतदान केन्द्रों को भाजपा के हवाले कर दिया है। अब इन मतदान केन्द्रों के भीतर केवल भाजपा का ही मतदान एजेंट होगा। ऐसे में दूसरे प्रत्याशियों की ओर से मतदान की निगरानी करने वाला भी कोई नहीं होगा। इस तरह से कांग्रेस ने भाजपा के लिए एक नहीं दो मैदान खाली छोड़ दिए हैं।

राजनीतिक दल चुनाव जीतने के लिए क्या-क्या हथकंड़े नहीं अपनाते हैं। इंदौर और सूरत के हाल देखकर ये आसानी से समझा जा सकता है। फर्जी मतदान भी ऐसा ही जरिया है। शायद ही कोई चुनाव हो जिसमें राजनीतिक दल एक–दूसरे पर फर्जी मतदान कराने का आरोप न लगाते हों। इंदौर में कांग्रेस मुकाबले से बाहर है। ऐसे में वो अपने मतदान केंद्रों पर अपने एजेंट नहीं बैठा सकती है। हालांकि पार्टी का कहना है कि मतदान केन्द्र के बाहर उनकी टेबलें लगेंगी लेकिन इससे मतदान केंद्र के भीतर की निगरानी संभव नहीं है। वहीं निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों में से किसी के पास न तो इतने कार्यकर्ता हैं और न ही संसाधन कि वे हर बूथ के लिए एजेंट की व्यवस्था कर सकें। मैदान में बची पार्टियों में से केवल बहुजन समाज पार्टी ही एकमात्र राष्ट्रीय दल है लेकिन पहले के चुनाव में भी उनके मतदान एजेंट सीमित केंद्रों पर ही देखे गए हैं। निर्दलीय चुनाव लड़ रहे अभय जैन का प्रचार तो दिख रहा है लेकिन उनके पास भी 2577 मतदान केंद्रों के लिए एजेंट होंगे, ऐसा नहीं लगता है।

क्या करते हैं मतदान एजेंट

मतदान केंद्र के भीतर प्रत्याशियों को अपने मतदान एजेंट बैठाने का अधिकार है। ये एजेंट मूल रूप से फर्जी मतदान रोकने के लिए बैठाए जातें हैं। ये स्थानीय होते हैं जो कि वहां के मतदाताओं को पहचानते हैं। जो भी मतदाता मतदान के लिए आता है मतदान दल उसका नाम पुकारता है और दोनों एजेंट अपनी-अपनी मतदाता सूची में उसका नाम टिक कर लेते हैं। यदि दोनों में से किसी भी एजेंट को लगता है कि मतदान के लिए आया हुआ व्यक्ति असली नहीं है तो वे तुरंत आपत्ति ले सकते हैं। लेकिन अब मैदान खुला है।  पार्टियों की गुटबाजी में तो कहीं कहीं पर जब एजेंट पार्टी के भीतर ही किसी दूसरे नेता से जुड़ा हो और प्रत्याशी को उसी नेता से  भीतरघात का खतरा हो तो उम्मीदवार अपनी पार्टी के एजेंट की निगरानी के लिए भी निर्दलीय प्रत्याशियों के नाम से मतदान केंद्रों में एजेंट नियुक्त करते हैं। इससे मतदान केंद्र में बैठे एजेंट का महत्व समझ सकते हैं।

कांग्रेस बैठा सकती है निर्दलियों के जरिए एजेंट

ऐसा नहीं है कि कांग्रेस को इस स्थिति के बारे में जानकारी नहीं है। उन्हें भी मतदान केंद्रों पर केवल भाजपा के पोलिंग एजेंट से होने वाले नुकसान का अंदाजा है और इस के चलते वे चितिंत भी हैं। सूत्रों के हवाले से पता चला है कि कांग्रेस निर्दलीय प्रत्याशियों के जरिए मतदान एजेंट नियुक्त करेगी।  फिलहाल ये स्पष्ट नहीं है कि किस निर्दलीय प्रत्याशी से पार्टी की इस बारे में बातचीत हो रही है लेकिन कहा जा रहा है कि पार्टी की कोशिश है कि भाजपा के लिए मैदान खुला नहीं छोड़ा जाए। बताया गया है कि भले ही सारे मतदान केंद्रों पर एजेंट नहीं हो लेकिन आधे से ज्यादा मतदान केंद्रों पर कांग्रेस निर्दलीय प्रत्याशियों के जरिए एजेंट बैठाएगी। हालांकि केवल मतदान नही मतगणना में भी यही स्थिति बनेगी।

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