वो देश जहां 27% नाबालिग लड़कियां हो जाती हैं प्रेगनेंट

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स्कूल से निकाल दी जाती हैं ऐसी लड़कियां,

अब कर रही हैं अपने अधिकार के लिए संघर्ष

नैरोबी

भीषण गरीबी झेल रहे पूर्वी अफ्रीकी देश तंजानिया में 15 से 19 साल के बीच की उम्र में ही 27% लड़कियां गर्भवती हो जाती हैं। दूसरे शब्दों में कहे तो तंजानिया में नाबालिग लड़कियों के गर्भवती होने की दर दुनिया में सबसे ज्यादा है। सबसे दुखद बात यह है कि यह लड़कियां भोजन और अपनी दैनिक जरूरतों का सामान खरीदने के लिए पुरुषों से संबंध बनाती हैं और गर्भवती हो जाती हैं।

  इन लड़कियों को समाज और सरकार दोनों उपेक्षित करते हैं। 1961 में यहां की सरकार ने एक कानून बनाया था जिसके चलते गर्भवती हो जाने वाली नाबालिग लड़कियों को स्कूल छोड़ना पड़ता है। अब इस कानून को खत्म करने के लिए तंजानिया के सर्वोच्च न्यायालय में याचिका लगाई गई है। तंजानिया की नाबालिग लड़कियों की इस दुखद कहानी को 17 साल की गैब्रिएला ( परिवर्तित नाम) ने बयान किया है।

गैब्रिएला को भी दो साल पहले गर्भवती होने के चलते स्कूल छोड़ना पड़ा था। उसने बताया कि हमारी मां हम भाई बहनों के लिए खाना और अन्य चीजों का बंदोबस्त करने में लगी रहती थी लेकिन इसके बाद भी कई बार हम लोगों को भूखे ही सोना पड़ता था। इस दौरान गैब्रिएला की मुलाकात एक 26 साल के युवक से हुई। जिसने गैब्रिएला की दैनिक जरूरतों की पूर्ति की और बदले में उससे सैक्स की डिमांड की। गैब्रिएला उसी साल यानी 15 साल की उम्र में प्रेगनेंट हो गई और उसे स्कूल छोड़ना पड़ा। खास बात तो यह है कि नाबालिक लड़कियों के गर्भवती होने की सर्वाधिक दर वाले इस देश में इस तरह के यौन अपराध को लेकर सजा देने की प्रक्रिया बहुत सुस्त है। 

इक्वेलिटी नाउ ने उठाया है मुद्दा

मानव अधिकारों की दिशा में काम करने वाले एक संगठन इक्वेलिटी नाउ ने तंजानिया के स्थानीय संगठनों के साथ मिलकर इस मुद्दे को उठाया है। संगठन पिछले 2 साल से तंजानिया की सरकार से इस नियम को बदलने की मांग कर रहा है। संगठन का कहना है कि तंजानिया में लड़कियां गरीबी के चलते पुरुषों से संबंध बनाती हैं, ऐसे हाल में उन्हें स्कूल से निकाल देने का मतलब उन्हें जीवनभर के लिए गरीबी और शोषण के दुश्चक्र में छोड़ देना है। शिक्षा के अवसर समाप्त हो जाने के बाद इन लड़कियों के पास अपना जीवन बदलने के अवसर भी लगभग समाप्त हो जाते हैं।

गर्भवती के स्कूल आने से दूसरों पर बुरा असर

इस मामले में तंजानिया की सरकार 1961 में बने हुए नियम का बचाव करती आई है। सरकार का कहना है कि गर्भवती नाबालिक लड़कियों के स्कूल में आने से अन्य लड़कियों के ऊपर इसका बुरा असर पड़ता है। इसके चलते यह नियम बनाया गया है। फिलहाल सरकार का इसे समाप्त करने का कोई इरादा नहीं है। इसके चलते ही इक्वेलिटी नाउ जैसे संगठन इसे लेकर तंजानिया के सर्वोच्च न्यायालय में गए हैं। इस मामले में यही उनकी आखिरी उम्मीद है। इस मामले में यूएनओ भी आवाज उठा रहा है।

सिएरा लियोन के कोर्ट ने बदला है नियम

 इसी तरह का नियम तंजानिया के पड़ोसी देश सिएरा लियोन में भी था । जिसे इक्वेलिटी नाउ ने वहां के ECOWAS कोर्ट में चुनौती दी थी। कोर्ट ने इस नियम को समानता के अधिकार का हनन मानते हुए इसे समाप्त करने का निर्देश दिया है। इसके बाद सिएरा लियोन की सरकार ने इस नियम को समाप्त कर दिया है और अब वहां पर नाबालिग गर्भवती लड़कियां स्कूल में पढ़ाई जारी रख सकती हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि जल्द ही तंजानिया की इन नाबालिग लड़कियों को भी शिक्षा का अधिकार मिल सकेगा।

story by Punaksh Kamal Yadav, a psychology student

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