डीयू में एडमिशन के नाम पर भ्रष्टाचार की सरकारी गली, छात्र और शिक्षकों का विरोध
कुलपति और प्रिंसीपल्स को दिया एडमिशन का अतिरिक्त (Supernumerary) कोटा, व
नई दिल्ली
सभी जानते हैं कि दिल्ली यूनिवर्सिटी यानी (DU) में प्रवेश लेना कितना मुश्किल होता है। लेकिन अब सरकार ने इसमें भी एक गली निकाल दी है। यह है Supernumerary कोटा इसके सारे अधिकार कुलपति और कॉलेज के प्राचार्यों के पास रहेंगे। Supernumerary का हिन्दी में एक अर्थ फालतू भी होता है और ये शिक्षकों और छात्र समूहों ने इस कोटे को इसी तरह का बताते हुए इसका विरोध किया है। इस कोटे को कॉलेज यूनिर्सिटी सीट का नाम दिया गया है। इसे साल की प्रवेश प्रक्रिया समाप्त होने के बाद ही लागू किया गया है।
कार्यपरिषद की भूमिका
इस बारे में विवि के रजिस्ट्रार ने जो सर्कुलर जारी किया है उसमें कहा गया है कि दिल्ली विवि के सदस्य कॉलेजों के प्राचार्य और कार्यपरिषद सदस्यों की ओर से इस तरह के कोटे की संभवनाओं का पता लगाने के लिए कहा था। इसके बाद इस हेतु कमेटी बनाई गई थी। विवि की सक्षम अधिकारियों ने इस कमेटी की रिपोर्ट की पुष्टि की है और इसके बाद इस कोटे को लागू किया जा रहा है। इसमें भी कोविड का हवाला दिया गया है। कहा गया है कि कोविड के चलते कॉलेजों ने इस अतिरिक्त सीटों की मांग की थी। इन पर प्रवेश भी मैरिट के जरिए ही होगा।
इस नियम के बाद कॉलेज के प्राचार्य स्नातक स्तर पर पांच प्रवेश दे सकेंगे जिनमें से दो की अनुशंसा विवि करेगा।
एकाडमिक काउंसिल ने किया विरोध
इस नियम के लागू होने के साथ ही विवि की एकाडमिक काउंसिल के चार सदस्यों ने कार्यवाहक कुलपति पीसी जोशी को पत्र लिखकर इसका विरोध किया है। इनका कहना है कि सभी को पता है कि दिल्ली विश्विद्यालय में प्रवेश के लिए कितना कठिन कॉम्पीटिशन होता है ऐसे में यह कोटा पूरी तरह के गैर कानूनी और अनैतिक है। उन्होंने कहा है कि इस तरह से कोविड-19 के नाम पर अपारदर्शी सिस्टम को फिर से लागू किया जा रहा है। इस कोटे का कोविड से कोई संबंध नहीं है लेकिन कुछ लोगों के निहित स्वार्थ के कारण इसे लागू किया जा रहा है।
कोविड के नाम पर फीस को कम नहीं की
अपने शिकायत में एकाडमिक काउंसिल के सदस्यों का कहना है कि कोविड का हवाला देकर कोटा लागू करने वाले विवि ने कोविड के समय कॉलेजों को स्टूडेंट्स की फीस कम करने के लिए तो कोई निर्देश नहीं दिए। जबकि कोविड के चलते बहुत से स्टूडेंट्स वित्तीय परेशानी से जूंझ रहे हैं। ऐसे मे कोविड के नाम कोटा लागू करना हास्यास्पद है। इस कोटे के जरिए कॉलेज संचालक कम अंकों वाले स्टूडेंट्स को प्रवेश दे देंगे जो कि डीयू में प्रवेश के मामले में उच्च न्यायालय के निर्देशों का उल्लंघन होगा।
छात्र संगठनों का विरोध
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद यानी एबीवीपी ने इस सकुर्लर को वापस लेने की मांग की है। इसी तरह से वामपंथी छात्र संगठन आईसा ने भी इसे समाप्त किए जाने की मांग की है। एबीवीपी के प्रांत मंत्री सिद्धार्थ यादव ने इस कोटे का विरोध करते हुए कहा है कि यह मेधावी छात्रों के साथ अनुचित है इसके वापस लिया जाना चाहिए। वहीं आईसा ने इसका विरोध करते हुए कहा है कि यह स्कीम केवल उन स्टूडेंट्स के लिए है जो कि पैसे के दम पर कॉलेज में प्रवेश लेना चाहते हैं। यह भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाली है।