WhatsApp नई पॉलिसी को स्वीकार करें या नहीं ?
यूरोप में नहीं लागू की जा रही ये पॉलिसी
अभी सबसे बड़ा सवाले यही है कि क्या वाट्सएप की नई पॉलिसी को स्वीकार किया जाए या नहीं? हर कोई दूसरे से यही पूछ रहा है कि इसका असर क्या होगा? लेकिन सही जवाब किसी के पास नहीं है। आईए देखते हैं कि आखिर इस नई पॉलिसी के जरिए वाट्सएप क्या चाहता है? यह सवाल इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पॉलिस यूरोपीय देशों के लिए नहीं है।
सबसे पहले तो यह समझ लें कि आप वाट्सएप्प के ग्राहक नहीं हैं। क्योंकि आप उसे कुछ भी भुगतान नहीं करते हैं। दरअसल आप उसके उत्पाद हैं और इस पॉ़लिसी के जरिए वाट्सएप अपने उत्पाद यानी आपका ( यानी आपकी जानकारी का) उपयोग करने का अधिकार चाहता है।
दूसरी खास बात यह भी समझ लें कि आपको वाट्सएप्प ने कोई विकल्प नहीं दिया है। या तो आप उसके नई पॉलिसी स्वीकार करें या फिर इसका उपयोग करना बंद करें। इस तरह का कोई भी व्यवहार कम से कम लोकतांत्रिक तो नहीं कहा जा सकता है।
जाने क्या है पॉलिसी बदलाव
सबसे पहले जानिए कि अब तक वाट्सएप्प की प्राइवेट पाॅलिसी क्या थी। अंतिम बार यानी कि इन नई पॉलिसी के पहले अंतिम बार वाट्सएप्प ने अपनी पॉलिसी जुलाई 2020 में अपडेट की थी। इसमें कहा गया था कि ‘आपकी निजता का सम्मान करना हमारे डीएनए में है. हमने जबसे वॉट्सऐप बनाया है, हमारा लक्ष्य है कि हम निजता के सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए ही अपनी सेवाओं का विस्तार करें…’
अब इसे बदलकर नई पॉलिसी में कुछ इस तरह कर दिया गया है ‘हमारी प्राइवेसी पॉलिसी से हमें अपने डेटा प्रैक्टिस को समझाने में मदद मिलती है. अपनी प्राइवेसी पॉलिसी के तहत हम बताते हैं कि हम आपसे कौन सी जानकारियाँ इकट्ठा करते हैं और इससे आप पर क्या असर पड़ता है‘
लेकिन आप इससे केवल वाट्सएप्प की पॉलिसी को सैद्धांतिक रूप से ही समझ सकते हैं इसे वास्तविक रूप से समझने के लिए आपको कुछ और गहराई में उतरना पड़ेगा।
जानिए क्या होने वाला है?
नई पॉलिसी को बिन्दूवार इस तरह से समझा जा सकता है। पहले जानते हैं कि अब इस नई पॉलिसी से वाट्सएप्प आपसे क्या जानकारियां लेगा
- सबसे पहले आपके मोबाइल का आईपी एड्रेस लिया जाएगा (जो कि अभी भी लिया जाता है) और इसे अपने अन्य प्लेटफॉर्म जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम के अलावा किसी को भी दे सकेगा (फिलहाल अधिकारिक रूप से वाट्सएप्प ऐसा नहीं कर सकता है।) आपको याद होगा कि 2019 में फेसबुक पर अपने यूजर का डाटा थर्ड पार्टी को देने का आरोप लगा था। अब यह काम लीगल हो जाएगा।
- अब यदि आपने वाट्स को सही तरीके से अपने मोबाइल से डिलीट नहीं किया तो आपका डाटा वाट्सएप्प के पास ही रह जाएगा। सही तरीके से वाट्सएप्प डिलीट करने के लिए आपको माय एकाउंट में जाकर इसे डिलीट करना होगा।
- नई पॉलिसी के चलते भले ही आपने अपने मोबाइल में लोकेशन कोऑफ कर रखा हो लेकिन फिर भी इसकी जानकारी वाट्सएप्प के पास होगी कि आप किस देश, शहर और स्थान पर हैं।
- अब वाट्सएप्प के पास आपके मोबाइल के बारे में इतनी जानकारियां होंगी जितनी कि पहले कभी नहीं थीं जैसे कि आपके मोबाइल में बैटरी कितनी चार्ज है, आप कौन से इंटरनेट का उपयोग करते हैं, आपके इंटरनेट के सिग्नल किस तरह के हैं, आप किस टाइम जोन में हैं जैसी सारी जानकारियां सतत रूप से वाट्सएप्प को मिलती रहेंगी।
बैंक और बिजनेस पर असर
आजकल हम में से अधिकांश बैंकिंग और भुगतान के लिए मोबाइल का उपयोग करते हैं। इसके चलते सबसे ज्यादा चिंता इसी को लेकर है। यहां तक कि कुछ लोगों के पास वाट्सएप्प का बिजनेस वर्जन भी है। अब यहां खास बात यह है कि वाट्सएप्प भी अपना पैमेंट सर्विस लेकर आ रहा है। इस नई पॉलिसी के चलते वे लोग जो इसकी इस सेवा का उपयोग करेंगे, उनके बारे में सारी जानकारियां वाट्सएप्प के पास होंगी ।
इसी तरह से वे लोग जिनके पास वाट्सएप्प का बिजनेस एकाउंट है उनकी भी व्यवसाय से संबंधित बहुत से जानकारियां जैसे उनके क्लाइंट और सेवा तथा उत्पाद की जानकारी वाट्सएप्प के पास होगी और वो इसे थर्ड पार्टी के साथ शेयर कर सकेगा। इसके चलते इन लोगों को बहुत सावधान रहने की जरुरत होगी।
इसका अलावा हम वाट्सएप्प पर मैसेज के जरिए अपने बैंक खातों की जो डिटेल किसी और को भेजेंगे उसकी जानकारी भी वाट्सएप्प को हो जाएगी। ऐसे में वित्तीय लेन-देन में वाट्सएप्प का उपयोग करना भी जोखिम भरा हो जाएगा।
भारत सरकार मजबूर
खास बात ये है कि पूरे मामले में डिजीटल इंडिया का राग अलापने वाली भारत सरकार मजबूर है कि वो वाट्सएप्प के 40 करोड़ उपयोगकर्ताओं के हितों का सरंक्षण करने में सक्षम नहीं हैं। भारत में इस स्थिति से निपटने के लिए कोई कानून नहीं है। जो कानून हैं वो इस तरह की परिस्थितियों में बेबस हैं। भारत में पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन और साइबर सुरक्षा के लिए प्रोद्यौगिकी सूचना क़ानून (आईटी ऐक्ट), 2000 है लेकिन सेक्शन 79 भी वॉट्सऐप जैसे सर्विस प्रोवाइडर्स के लिए कोई कठोर प्रावधान नहीं करती है।
इसमें कहा गया है कि सेक्शन-79 के अनुसार इंटरमीडिएरीज़ को यूज़र्स के डेटा का इस्तेमाल करते हुए पूरी सावधानी बरतनी होगी और डेटा सुरक्षित रखने की ज़िम्मेदारी उसी की होगी। वाट्सएप्प भारतीय कानून के अंर्तगत इंटरमीडियरी कहलाता है क्योंकि यह अमेरीकी कंपनी है और इसका मुख्यालय भारत में नहीं है। ऐसे में सरकार कुछ खास नहीं कर सकती है।
वैसे यह भी कहा जा रहा है कि वाट्सएप्प ने अपनी पॉलिसी में बदलाव की जानकारी सार्वजनिक रूप से दे दी है। ऐसे कितने ही एप्प हैं जो कि उपयोगकर्ता की जानकारी के बिना ही अपनी पर्सनल डाटा उपयोग करने की पॉलिसी में बदलाव कर लेते हैं।
तो क्या करें ?
पूरी कथा का अंतिम प्रश्न यही है कि फिर क्या किया जाए? इस नई पॉलिसी को स्वीकार किया जाए या नहीं। तो इसका सीधा सा जवाब है कि यह निर्णय आपको अपने जोखिम पर लेना होगा। कईं लोग कॉल रिकॉर्ड न हो जाए इसके लिए गोपनीय बातें वाट्सएप्प कॉल कर करते थे, जो कि अब गोपनीय नहीं रह पाएगी। कुल मिलाकर उपयोग करें लेकिन सावधानियां रखे कि आप वाट्सएप्प पर क्या शेयर कर रहे हैं। अपने निजी लेन-देन और बिजनेस के मैसेज न करें तो अच्छा होगा।