गुलाम नबी आजाद के लिए मोदी क्यों रोए? डेढ़ साल पहले इसी राज्य सभा में मोदी ने आजाद पर कसे थे तंज
कहा था आजाद को धुंधला दिखाई देता है
नई दिल्ली.
ये न्यूज वाइरल है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राज्य सभा में कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद को विदाई देते हुए भावुक हो गए और उनकी आंखों में आंसू आ गए। आजकलआंसू की खुराक के बगैर राजनीति भी आगे नहीं बढ़ती, जहां टिकैत के आंसू ने किसान आंदोलन को फिर से जिंदा कर दिया वहीं अब ये देखना है कि मोदी के आंसू राजनीति में क्या रंग दिखाते हैं।
मोदी और आजाद के संबंध सार्वजनिक रूप से कभी नहीं दिखाई दिए। बल्कि इसके उलट डेढ़ साल पहले राज्य सभा में मोदी आजाद पर गालिब एक शेर के माध्यम से तंज कस चुके हैं। मामला झारखंड में हुई मॉब लिंंचिंग की घटना का था। राज्य सभा मेंं बोलते हुए आजाद ने उस समय भाजपा शासित झारखंड को मॉब लिंचिंग की फैक्ट्री बताया था।
इसके अगले दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सदन में सरदार पटेल के स्टेच्यू ऑफ यूनिटी के बारे में बोलते हुए कहा था कि में गुलाम नबी जी से अनुरोध करूंगा कि कुछ दिन तो गुजारिए गुजरात में। इसके बाद मोदी ने कहा था कि गुलाम नबी जी को धुंधला दिखाई देता है। ऐसे लोगों के बारे में गालिब ने कहा है कि ताउम्र गालिब ये भूल करता रहा, धूल चेहरे पर थी और आईना साफ करता रहा।
मोदी पर डराने की राजनीति करने का आरोप लगाया था
इसकेे पहले फरवरी 2018 में गुलाम नबी आजाद ने राज्य सभा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर डराने की राजनीति करने का आरोप लगाया था। उन्होंने राज्य सभा में कहा था कि सरकार विपक्ष की एकता को खंडित करने के लिए ईडी, आयकर और एनआईए का उपयोग कर रही है। मैने इस तरह की राजनीति कभी नहीं देखी। अगर यदि आप कांग्रेस से है, सपा, बसपा या ममता बैनर्जी के साथी हैं तो हम आपको जेल में डाल देते हैं।
धारा 370 हटाने का किया था विरोध
गुलाम नबी आजाद हमेशा से भाजपा के वैचारिक विरोधी रहे हैं। उन्होंने कश्मीर में धारा 370 को हटाए जाने को देश के साथ गद्दारी बताते हुए इसे इतिहास का काला दिन भी बताया था। इतना ही नहीं उन्होंने इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका भी दायर की थी। इसके अलावा आजाद ने सीएए और एनसीआर का भी पुरजोर विरोध किया था। आजाद सदन में कईं बार गृह मंत्री अमित शाह से भी उलझे थे।
….फिर क्यों निकले मोदी के आंसू..?
ऐसे में सवाल उठता है कि प्रधानमंत्री मोदी और गुलाम नबी आजाद इतने भावुक क्यों हो गए। तो इसके पीछे व्यक्तिगत कारण क्या हैं ये तो अलग विषय है लेकिन इसका संबंध अगस्त 2020 के उस पत्र से जोड़ा जा रहा है, जिसमें आजाद ने सोनिया गांधी से पार्टी से त्यागपत्र देने की अनुमति मांगी थी। उस समय राहुल गांधी ने इशारों में आजाद सहित पार्टी के कुछ नेताओं पर भाजपा के साथ सांठ गांठ करने का आरोप लगाया था। इसके सितंबर में उन्हें कांग्रेस के महासचिव के पद से हटा दिया गया था।
माना जा रहा है कि आजाद नया राजनीतिक ठिकाना तलाश रहे हैं और मोदी को भी बंगाल में दिखाने के लिए एक मुस्लिम चेहरा चाहिए है। कहीं ये एक-दूसरे की जरुरत के आंसू तो नहीं या फिर ये किसी नई राजनीतिक खिचड़ी की तैयारी है।