12 साल पहले मुस्लिम बने 19 लोगों ने की ‘घर वापसी’
शव दफनाने की परंपरा के चलते बने थे मुस्लिम
शामली
यूपी में शामली जिले के कांधला कस्बे के सूरजकुंड मंदिर में सोमवार को 3 परिवारों के 19 लोगों ने फिर से हिंदू धर्म अपना लिया। करीब 12 साल पहले बंजारा समाज के इन लोगों ने मुस्लिम धर्म अपना लिया था। सोमवार को महंत यशवीर महाराज ने पूरे रीति-रिवाज से 19 लोगों को हिंदू धर्म में फिर से दीक्षित किया है। दरअसल एक हफ्ते पहले ही कांधला के ही एक मुस्लिम दंपती और उनके चार बच्चे भी स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन कर हिंदू बने थे।
इमराना से फिर से अनीता बन गईं हैं। उन्होंने बताया कि पहले हमारे समाज की परंपरा में मरने वालों को दफनाते थे। लेकिन हिंदू समाज के लोग हमारे मृतक समाजजनों को दफनाने नहीं देते थे। इसी बात से नाराज होकर हमने 12 साल पहले मुस्लिम धर्म अपना लिया था। आज 3 परिवारों के 19 लोगों ने फिर से हिंदू धर्म अपना लिया है। इनमें बड़े भी हैं, छोटे भी हैं और बच्चे भी हैं। उन्होंने कहा कि हमने खुशी से और अपनी मर्जी से हिंदू धर्म में वापसी की है।
दफनाना भी हिन्दू समाज की परंपरा – महंत यशवीर
इन सभी लोगों को धार्मिक रीजि-रिवाज से ‘घर वापसी’ कराने वाले महंत यशवीर महाराज ने बताया कि हिंदू धर्म में अंतिम संस्कार की अलग-अलग प्रक्रियाएं प्रचलित हैं, इनमें दफनाना भी शामिल है। अगर कोई अपने शवों को परंपरा के अनुसार दफनाता है तो हिंदू समाज को कोई आपत्ति नहीं है। उन्होंने बताया कि बंजारा समाज के समाजजनों के सामने जब हमने अपने विचार रखे तो इन सब की बात समझ में आ गई। और इन्होंने फिर दोबारा अपने ‘घर वापसी’ करते हुए हिंदू धर्म अपना लिया है।
यशवीर महाराज ने कहा कि हमारे पूर्वज तो एक ही हैं, चाहें उन्होंने कोई भी मजहब अपना लिया हो। इस बारे में विश्व हिंदू परिषद के जिला मंत्री सोहन वीर सिंह ने कहा कि जहां भी लोग धर्म परिवर्तन कर मुस्लिम बन रहे हैं, उनकी ‘घर वापसी’ कराने के लिए विश्व हिंदू परिषद तन मन धन से उनके साथ है।
पत्नी और 4 बच्चों के साथ अपनाया हिंदू धर्म
इससे पहले शामली के कंधाला के ही एक मुस्लिम दंपती और उनके चार बच्चों ने अपनी मर्जी से धर्म परिवर्तन कर हिंदू धर्म अपना लिया था। दंपती ने शामली कलेक्ट्रेट पहुंचकर अधिकारियों को एफिडेविट दिया। राशिद से बने विकास का कहना है कि 12 साल पहले उनके माता-पिता ने मुस्लिम धर्म अपना लिया था, लेकिन वो अब मुस्लिम नहीं रहना चाहते हैं इसलिए अपनी मर्जी से हिंदू धर्म अपना रहे हैं।