22nd November 2024

आर्थिक मंदी के दौर में भी 50 प्रतिशत बढ़ी भाजपा की आमदनी

image courtesy business standard

पार्टी को पिछले वित्त वर्ष में 3623 करोड़ रुपए की आय हुई

नई दिल्ली

जन सेवा के लिए राजनीति करने का दम भरने वाले राजनीतिक दलों की दसों उंगलियां घी में और सर कढ़ाई में है। जहां देश में अधिकांश उद्योग धंधे आर्थिक मंदी से जूझ रहे हैं ऐसी स्थिति में सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी पर इसका कोई असर दिखाई नहीं दे रहा है। वित्त वर्ष 2019-20 की वार्षिक रिपोर्ट बताती है कि पार्टी को उसके पिछले वित्त वर्ष 2018-19 में 2,410 करोड़ रुपये की आमदनी के मुकाबले उसे 50% के इजाफे के साथ 3,623 करोड़ रुपये की आय हुई।

हालांकि, उसके खर्च का वृद्धि प्रतिशत आमदनी के मुकाबले कहीं ज्यादा रहा। चुनाव आयोग को दी गई जानकारी में बीजेपी ने बताया कि उसने वित्त वर्ष 2019-20 में 1,651 करोड़ रुपये खर्च किए। उसके पिछले वित्त वर्ष में यह आंकड़ा 1,005 करोड़ रुपये का रहा था। इस प्रकार एक साल में बीजेपी का खर्च करीब 64% बढ़ गया।

इलेक्टोरल बॉंड से मिले ढ़ाई हजार करोड़

हालांकि इलेक्टोरल बांड से लिया गया चंदा गोपनीय होता है यानी कि यह पता नहीं चलता कि पार्टी को किससे चंदा मिला है (हालांकि पार्टियों को सब पता होता है।) इसके चलते दिल्ली हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगाई थी लेकिन मोदी सरकार ने इसके लिए अध्यादेश लाकर इस निर्णय को शून्य कर दिया। हालांकि ईमानदारी की बात करने वाली राजनीति की कसौटी पर यह एक बड़ा सवाल है।

आयोग की तरफ से की गई एनुअल ऑडिटिंग के मुताबिक, बीजेपी को वित्त वर्ष 2019-20 में इलेक्टोरल बॉन्ड से 2,555 करोड़ रुपये की आमदनी हुई जो वित्त वर्ष 2018-19 में हुई 1,450 करोड़ रुपये की आमदनी से 76% ज्यादा है। वहीं, पार्टी ने चुनावों पर खर्च क्रमशः 1,352 करोड़ और 792.40 करोड़ रुपये किए।

बीजेपी ने पिछले वित्त वर्ष में कांग्रेस के मुकाबले 5.3 गुना ज्यादा कमाई की है। कांग्रेस पार्टी को वित्त वर्ष 2019-20 में 682 करोड़ रुपये की आमदनी हुई। उसी वर्ष बीजेपी ने कांग्रेस के कुल 998 रुपये के खर्च के मुकाबले 1.6 गुना खर्च किया था। दिलचस्प बात यह है कि बीजेपी ने पिछले वित्त वर्ष में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, एनसीपी, बीएसपी, सीपीएम और सीपीआई की कुल आय से तीन गुना से भी ज्यादा कमाई की। ये सभी राष्ट्रीय दल हैं।

कांग्रेस की आमदनी 25 प्रतिशत घटी

बीजेपी की आमदनी 50% बढ़ी तो कांग्रेस की 25% घट गई। बीजेपी को 2,555 करोड़ रुपये इलेक्टोरल बॉन्ड से जबकि 844 करोड़ रुपये अन्य मदों से आए। पार्टी ने बताया कि उसे 291 करोड़ रुपये व्यक्तिगत दान, 238 करोड़ रुपये कंपनियों, 281 करोड़ रुपये संस्थाओं जबकि 33 करोड़ रुपये अन्य मदों से मिले। पार्टी को विभिन्न मोर्चों से 5 करोड़ रुपये और मीटिंग से 34 लाख रुपये हासिल हुए। आवेदन शुल्क से बीजेपी को 28 लाख, डेलिगेट फीस से करीब 1.3 करोड़ रुपये और सदस्यता शुल्क से 20.1 करोड़ रुपये मिले।

ये है बीजेपी का खर्च

बीजेपी ने वित्त वर्ष 2019-20 में विज्ञापनों पर 400 करोड़ रुपये खर्च किए जो उसके पिछले वित्त वर्ष के 299 करोड़ रुपये की रकम से ज्यादा है। पार्टी ने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को 249 करोड़ रुपये, प्रिंट मीडिया को 47.7 करोड़ रुपये दिए जो वित्त वर्ष 2018-19 के क्रमशः 171.3 करोड़ रुपये और 20.3 करोड़ रुपये से काफी ज्यादा है।

बीजेपी ने अपने नेताओं और उम्मीदवारों की हवाई यात्राओं पर 250.50 करोड़ रुपये खर्च किए जो एक साल पहले मात्र 20.63 करोड़ रुपये था। दरअसल, इसकी बड़ी वजह 2019 में लोकसभा चुनाव का आयोजन रही है। बीजेपी ने वित्त वर्ष 2019-20 में अपने उम्मीदवारों को करीब 198.3 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता की जो एक साल पहले सिर्प 60.4 करोड़ रुपये थी।

error: Content is protected !!