चीफ जस्टिस बोले पिछले 30 साल में कोई बड़ा छात्र नेता नहीं उभरा
देश में लोकतंत्र के सशक्तिकरण के लिए यह अच्छा संकेत नहीं
नई दिल्ली
दिल्ली की नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी की कन्वोकेशन सेरेमनी में बोलते हुए देश के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना ने कहा कि आर्थिक उदारीकरण के लागू होने के बाद से इस देश में कोई भी छात्र नेता नहीं उभरा है यह चिंता की बात है। उन्होंने कहा कि इससे देश में लोकतंत्र के सशक्त होने पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। अपने उद्बोधन में रमन्ना ने कहा कि भारतीय समाज का नजदीक से अध्ययन करने वाले भी यहां अनुभव करेंगे कि देश में पिछले कुछ दशक से कोई बड़ा छात्र नेता सामने नहीं आया है। इसे ऐसा लगता है कि उदारीकरण के बाद छात्रों की सामाजिक कार्यों में भागीदारी कम हो गई है।
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए जस्टिस तमन्ना ने कहा कि यह आवश्यक है कि अच्छी समझ और दूरदर्शिता वाले छात्रों को सार्वजनिक जीवन में प्रवेश करें। उन्होंने छात्रों से आह्वान किया कि उन्हें नेता के रूप में उभरना चाहिए ताकि उनकी राजनीतिक चेतना और जानकारी भरी चर्चाओं से देश को स्वर्णिम भविष्य की ओर ले जाया जा सके। उन्होंने छात्रों से कहा कि वही स्वतंत्रता, न्याय , समानता तथा सामाजिक ताने-बाने के रक्षक हैं।
जस्टिस तमन्ना ने कहा कि जैसे ही कोई युवा सामाजिक और राजनीतिक रूप से चेतन होता है तो शिक्षा, भोजन, कपड़े और स्वास्थ्य जैसे आधारभूत मुद्दे राष्ट्रीय चर्चाओं में स्थान पाते हैं।
एनएलयू से निकले स्टूडेंट्स पर सवाल
जस्टिस रमन्ना ने इस अवसर पर नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी से निकले हुए छात्रों के ऊपर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि जब यह संस्थान खोले गए थे तब यह उम्मीद की गई थी कि यहां से निकले हुए छात्र वकालत के मापदंडों को ऊंचा उठाएंगे लेकिन इसकी बजाय वे कॉरपोरेट लॉ फर्म्स में काम करने में लग गए हैं। जस्टिस तमन्ना ने कहा कि कारपोरेट लॉ फर्म्स में काम करने वालों की तुलना में वकालत करने वाले युवा समाज के एक बड़े वर्ग के संपर्क में आते हैं। इससे वे अपने पैशन को फॉलो कर सकते हैं।