तीसरे चरण के मतदान पर इंदौर का इंपैक्ट
वोटिंग के लिए सोशल मीडिया पर याद करा रहे इंदौर और सूरत को
The Goonj Special
सात मई यानी आज लोकसभा चुनाव के लिए तीसरे चरण का मतदान हो रहा है। अधिक से अधिक मतदान की अपील के साथ इंदौर भी वाइरल है। जहां भाजपा नेताओं की अधिक मतदान की अपील पर लोग उनसे पूछ रहे हैं कि क्या इंदौर और सूरत की तरह मतदान करना है तो वहीं विपक्ष के समर्थक इंदौर और सूरत के घटनाक्रम को याद करा कर कह रहे हैं कि इस बार वोट कर लो नहीं को इंदौर और सूरत ही होना है। खास बात ये है कि इंदौर के घटनाक्रम के बाद मध्य प्रदेश में पहली बार मतदान हो रहा है। ऐसे में सबकी निगाहें इस पर लगी है कि पहले से कम मतदान वाले चुनाव पर इसका क्या असर पड़ता है?
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित सभी बड़े नेताओं ने अधिक से अधिक मतदान की अपील की है। यहां तक कि उनकी इस अपील पर भी रिप्लाय में कईं लोगों ने उन्हें इंदौर का हवाला देते हुए पूछा है कि क्या इंदौर की तरह मतदान करना है? इतना ही नहीं प्रधानमंत्री ने मतदान करते हुए वीडियो भी पोस्ट किया है इस पर लोगों ने उनसे कहा है कि आपने तो मतदान किया लेकिन इंदौर और सूरत वाले नहीं कर पाएंगे? उनके अलावा कईं लोग इंदौर सूरत और गांधीनगर की बात करते हुए इसे मतदान का आखरी मौका बताकर जम कर वोट करने की बात भी कर रहे हैं।
ध्रुव राठी ने जारी किया वीडियो
यू ट्यूबर ध्रुव राठी ने भी इंदौर, सूरत और गांधीनगर का हवाला देते हुए वीडियो पोस्ट किया है। इस पोस्ट पर उन्होंने लिखा है कि हमारे लोकतंत्र का अपहरण कर लिया गया है। ये आपके लिए मतदान का आखरी मौका हो सकता है। उन्होंने आगे लिखा है कि सूरत, चंड़ीगढ़, इंदौर और गांधीनगर में मतदान पहले ही अपना मतलब खो चुका है।
इस वीडियो में उन्होंने गांधानगर लोकसभा से नामवापस लेने वाले प्रत्याशी जितेन्द्र चौहान का वीडियो भी पोस्ट किया है। इस वीडियो में चौहान रोते हुए अपने नाम वापसी की कहानी बता रहे हैं। उनका खास फोकस गांधीनगर लोक सभा सीट पर है जहां 16 प्रत्याशियों की नाम वापसी हुई है और यहां से गृहमंत्री अमित शाह चुनाव लड़ रहे हैं।
नाम वापसी के बाद पहला चुनाव
सूरत में कांग्रेस प्रत्याशी का नामांकन रद्द किए जाने की घटना 24 अपैल को हुई थी। इसके दो दिन बाद 26 अप्रैल को मतदान हुआ था। उस समय तक ये मामला उतना गर्माया नहीं था। वहीं इंदौर में नामवापसी 29 अप्रैल को हुई थी। इसके बाद तीसरे चरण का मतदान सात मई को हो रहा है। इस दौरान विपक्ष के पास भी इस मामले के गर्माने का अच्छा खासा समय मिला और ये मामला मतदान के दिन ट्रेंड कर रहा है। भाजपा ने कभी भी नहीं सोचा होगा कि ये लगभग जीती हुई सीटों पर निर्विरोध निर्वाचन की कवायद उसे कितनी भारी पड़ सकती है? ऐसा लगा रहा है कि भाजपा ने अपने खिलाफ एक और मुद्दा खड़ा कर लिया है।
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