UPSC ने विवादित प्रशिक्षु आईएएस पूजा खेड़कर के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई

सिविल सेवा परीक्षा 2022 रद्द करने के लिए जारी किया कारण बताओ नोटिस

अलग-अलग प्रकार की जलसाजी का आरोपों का सामना कर रही प्रशिक्षु आइएएस अधिकारी पूजा खेडकर के खिलाफ यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन यानी यूपीएससी ने आपराधिक अभियोजन के कार्रवाई शुरू कर दी है। यूपीएससी पूजा के खिलाफ जालसाजी कर निर्धारित से अधिक बार यूपीएससी की परीक्षा देने केमामले में एफआईआर कराई है।

इस संबंध में यूपीएससी ने एक प्रेस रिलीज जारी करते हुए कहा है कि आयोग ने अपने पास मौजूद रिकॉर्ड की जांच की और उसके आधार पर पाया की पूजा ने अपने माता-पिता के नाम, तस्वीर, , ईमेल , मोबाइल नंबर और पता बदलकर फर्जी पहचान बनाई और परीक्षा नियमों के तहत निर्धारित प्रयासों की तुलना में धोखाधड़ी करके अधिक बार परीक्षा दी है। अन्य पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवार यूपीएससी में अधिकतम 9 बार शामिल हो सकते हैं।

UPSC press release

यूपीएससी द्वारा जारी प्रेस रिलीज में कहा गया है किसंघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने सिविल सेवा परीक्षा-2022 की अनंतिम रूप से अनुशंसित उम्मीदवार सुश्री पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर के कदाचार की विस्तृत और गहन जांच की है। इस जांच से यह पता चला है कि उसने अपना नाम, अपने पिता और माता का नाम, अपनी तस्वीर/हस्ताक्षर, अपनी ईमेल आईडी, मोबाइल नंबर और पता बदलकर अपनी फर्जी पहचान बनाकर परीक्षा नियमों के तहत स्वीकार्य सीमा से अधिक प्रयास का धोखाधड़ी से लाभ उठाया इसलिए, यूपीएससी ने उसके खिलाफ कार्रवाई की एक श्रृंखला शुरू की है, जिसमें पुलिस में प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज करके आपराधिक अभियोजन, सिविल सेवा परीक्षा 2022 मेंपूजा की उम्मीदवारी रद्द करने के लिए कारण बताओ नोटिस (एससीएन) जारी करने का निर्णय लिया है साथ ही भविष्य में सिविल सेवा परीक्षा 2022 के नियमों के अनुसार भविष्य में सिविल सेवा परीक्षा देने पर रोक शामिल है।

आगे प्रेस रिलीज में यूपीएससी ने कहा है कि वह इस मामले में किसी भी प्रकार की कार्रवाई में कोई समझौता नहीं करेगा और निष्पक्षता के साथ काम करेगा । यूपीएससी ने परीक्षा देने वाले अभ्यर्थियों के मन में जो विश्वास और विश्वसनीयता अर्जित की है उसे हर हाल में बरकरार रखा जाएगा उससे कोई समझौता नहीं किया जाएगा । माना जा रहा है कि यूपीएससी की इस कार्रवाई के बाद अब पूजा के पास बचने के सारे रास्तेबंद हो चुके हैं। अब सिविल सेवा में उनकी वापसी लगभग असंभव दिखाई दे रही है।

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