वैक्सीन मैन अदार पूनावाला की एक्स पर प्रमोटेड पोस्ट पर यूजर्स ने लगाई क्लास, वैक्सीन को बताया जहर
15 महीनों से पेड प्रमोशन कर रखा है पोस्ट का, पांच हजार से ज्यादा लोगों ने दिए हैं जवाब
सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ और भारत में वैक्सीन मैन के रूप में पहचाने जाने वाले अदार पूनावाला की एक्स पर की गई प्रमोटेड पोस्ट पर लोगों ने उनकी क्लास लगा रखी है। खास बात यह है कि पूनावाला की यह पोस्ट सितंबर 2023 से पेड पोस्ट के रूप में चल रही है यानी कि पिछले 15 महीना से पूनावाला ने इसे प्रमोट कर रखा है। इसे अब तक 320 मिलियन लोग देख चुके हैं और हजारों लोग इस पर पूनावाला और इस पोस्ट में टैग किए बिल गेट्स और एस्पेन फार्मा केयर की आलोचना भी कर रहे हैं। पूनावाला अपनी इस पोस्ट में अफ्रीका में वैक्सीन निर्माण का अवसर मिलने पर माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स सहित के लोगों और संस्थानों को धन्यवाद दे रहे हैं। पूनावाला की कंपनी साउथ अफ्रीकन फार्मा कंपनी एस्पेन के साथ मिलकर वैक्सीन बना रहीं है। एस्पेन पर कई बार ओवर प्राइसिंग के चलते दुनिया के कई देशों में जुर्माना भी लगा है। इस मामले में पूनावाला बिल गेट्स को क्यों धन्यवाद दे रहे हैं इस पर भी सवाल है।
ये पोस्ट किया है पूनावाला ने
यानी कि पूनावाला इस पोस्ट में कह रहे हैं कि अफ्रीका में वैक्सीन बनाने की अपनी प्रतिबद्धता को ध्यान में रखते हुए, मुझे @aspenpharma के साथ हमारी साझेदारी की घोषणा करते हुए खुशी हो रही है और यह आपके समर्थन के बिना संभव नहीं होगा। इस पोस्ट में पूनावाला ने बिल गेट्स के साथ ही उनके गेट्स फाउंडेशन, गावी ,गावी सेठ, सीईपीआई वैक्सीन और अफ्रीका सीडीसी के एक अकाउंट को भी टैग किया है।
इसमें से बिल गेट्स और उनके फाउंडेशन के बारे में तो बहुत जानकारी उपलब्ध है। जहां तक गावी सेठ की बात ये तो एक्स ने इसका आईडी रूल्स का वायोलेशन करने के चलते बंद दिया है और गावी की बात है तो यह कोरोना काल में यह बहुत चर्चा में आया था। दरअसल यह वैक्सीन एलाइंस है जिसका मुख्यालय स्विट्जरलैंड के जिनेवा में है। कोरोना के समय गावी की भूमिका दुनिया में समान रूप से वैक्सीन उपलब्ध कराने की थी। वही CEPI वैक्सीन्स भी गावी की तरह मिलता जुलता ही संस्थान है जो एक फाउंडेशन है। यह उभरते संक्रामक रोगों (ईआईडी) के खिलाफ टीके विकसित करने के लिए स्वतंत्र अनुसंधान परियोजनाओं को फायनेंस करने के लिए सार्वजनिक, निजी, परोपकारी और सामाजिक संगठनों से दान लेता है। इसकी स्थापना 2017 में हुई थी और इसके पीछे भी बिल गेट्स की भूमिका मानी जाती है।
पूनावाला ने अपनी पोस्ट में जिन्हें टैग किया है उसमें एक अकाउंट अफ्रीका सीडीसी का भी है। इसका पूरा नाम Africa Centres for Disease Control and Prevention (Africa CDC) है। ये अफ्रीकी संघ की एक सार्वजनिक स्वास्थ्य एजेंसी है, जो सदस्य देशों की सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए उठाए जाने वाले कदमों का समर्थन करती है और रोग के खतरों से निपटने के लिए उनके स्वास्थ्य संस्थानों की क्षमता को मजबूत करती है। इसकी स्थापना 2013 में हुई थी।
कुछ इस तरह आए हैं रिप्लाय
अब तक पूनावाला की पोस्ट पर पांच हजार से ज्यादा रिप्लाई आए हैं। अधिकांश ने इस मामले में पूनावाला की खिंचाई की है। वैसे ऐसा लगता है कि वे बिल गेट्स को धन्यवाद देकर फंस गए हैं। क्योंकि उन्हें दुनिया जनसंख्या को कम करने के प्रोजेक्ट से जोड़कर देखा जाता है। यह बात इस पोस्ट पर दिए गए जवाबों में भी झलकती है। एक्स पर की गई पोस्ट के रिप्लाई में जाकर इन्हें पढ़ सकते हैं। फिर भी कुछ चुनिंदा जवाब हम यहां पेश कर रहे हैं।
एक्स पर Your sincerely नामक वेरीफाइड आईडी से , जो कि साउथ अफ्रीका की है, से रिप्लाई दिया गया है कि प्रिय अफ्रीकियों जिस चीज पर एस्पेन फार्मा और बिल गेट्स लिखा हो, वो आपके शरीर और स्वास्थ्य के लिए जहर है। वे वैक्सीन न लें। बिल गेट्स के पास कोविड गाथा है जिसका उन्हें अमेरिका में हिसाब देना होगा। वो जब तक ऐसा नहीं करते उन्हें किसी भी दवा का समर्थन करने से रोका जाना चाहिए।
साउथ एफ्रीका का एक और वेरिफाईड एकाउंट थेंजीवा खेसवा ने रिप्लाई किया है कि अफ्रीका हमेशा से प्रयोगों का मैदान रहा है।
लेस्ली लव ने जवाब दिया है कि नहीं, धन्यवाद आप इसे भारत में ही रखें। लॉंग लिव सुपा मेगा नाम के वेरीफाईड ने जवाब दिया है कि आप हमें नहीं मार सकेंगे और हम प्रजनन करना बंद नहीं करेंगे। अपने वैक्सीन अपने देशों में ले जाएं और हमें अपनी पाप से बचाएं। राहुल सुब्रमनियम नाम के भारतीय एक्स यूजर ने अपने वेरीफाईड एकाउंट से लिखा है कि मुख्य जहर फंडर बिल गेट्स के साथ पूरे महाद्वीप को जहर देने की घोषणा।
पोर्टिया नाम की साउथ अफ्रीकी यूजर ने लिखा है कि भारत क्यों नहीं आपके पास जनसंख्या है? कुछ लोगों ने पूनावाला को इस घोषणा पर बधाई भी दी है लेकिन इस तरह के जवाब बहुत गिने चुने हैं।
एस्पेन फार्मा से साझेदारी भी बनी समस्या
पूनावाला की कंपनी अफ्रीकी कंपनी एस्पेन फार्म केयर के साथ मिलकर ये वैक्सीन बना रही है। एस्पेन फार्मा पर पूर्व में इटली, यूके और यूरोपीयन यूनियन में कैंसर व अन्य बीमारियों के ईलाज मे उपयोग में आने वाली दवाओं की मनमानी कीमत वसूलने और इनकी कृत्रिम शॉर्टेज पैदा करने के मामलों में जांच हुई है। यहां तक कि एस्पेन को इटली में 2016 में इस तरह के एक मामले में दोषी पाया गया था और इस कंपनी पर 5.5 मिलियन डॉलर का जुर्माना लगाया गया था। 2016 में एस्पेन को ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, फ्रांस, ब्राजील, साऊथ अफ्रीका में दवाओं की सप्लाय नियंत्रित करके कीमत बढ़ाने का दोषी पाया गया था।
2011 से 2016 के बीच ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ सर्विस द्वारा कैंसर के ट्रीटमेंट में उपयोग की जाने वाली दवाओं की कीमतें एस्पेन 1143 प्रतिशत बढाई थी। जांच के बाद एस्पेन ने 2019 में नेशनल हेल्थ सर्विस को आठ मिलियन पाउंड राशि चुकाई थी। इसी तरह से यूरोपीयन यूनियन ने भी एस्पेन पर कैंसर की जेनरिक दवाओं की कीमतो में तीस सौ प्रतिशत तक की वृद्धि करने का आरोप लगाया था। इसके बाद एस्पेन अगले दस सालों तक दवाओं की निर्बाध आपूर्ति और कीमतों में 78 प्रतिशत कमी की थी। इस तरह के मामलों से एस्पेन को लेकर दुनिया में नकारात्मक राय बनी है। इसके चलते भी पूनावाला इस मामसे में निशानें पर हैं।