गुमनाम चिट्ठी के जरिए प्रोफेसर पर लगे यौन शोषण के आरोप, 470 छात्राओं के बयान दर्ज
विवि प्रशासन की रुचि यह जानने में ज्यादा कि पत्र किसने लिखा ?
सिरसा.
पुलिस और जांच कमेटी ने किये नये खुलासे सिरसा की चौधरी देवीलाल यूनिवर्सिटी में छात्राओं ने प्रोफसर पर यौन शोषण का आरोप लगाया है। मामले में आए दिन नए खुलासे हो रहे हैं. मामले की जांच सिरसा पुलिस और यूनिवर्सिटी प्रशासन कर रहा है। हालांकि यह कहा जा रहा है कि विवि प्रशासन की ज्यादा रुचि ये जानने में है कि यौन शोषण के आरोप का पत्र आखिर किसने लिखा है?
शुक्रवार को पुलिस अधिकारी ने यूनिवर्सिटी की छात्राओं से आगे बढ़ने और बोलने का आग्रह किया। पुलिस ने कहा कि आप इस प्रोफेसर के बारे में जो भी महसूस करती हैं उसे लिख दें और डरने की कोई ज़रूरत नहीं है, किसी को कुछ नहीं होगा। एक सीनियर प्रोफेसर और डीन द्वारा युवतियों के साथ छेड़छाड़ का आरोप लगाने वाले एक गुमनाम पत्र द्वारा सीडीएलयू में उथल-पुथल होने के एक हफ्ते से भी अधिक समय बाद, पुलिस ने कोई नई प्रगति नहीं की है, खास बात ये है कि अब तक मामले में कोई पीड़ित और कोई एफआईआर नहीं है।
इस मामले में हिंदी में लिखे गए इस दो पेज के पत्र को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर, राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय, राज्य महिला आयोग और एक स्थानीय पत्रकार को भेजा गया था। इसमें लिखा है, कि हमारा डीन सुशील कुमार महीनों से हमारा यौन उत्पीड़न कर रहा है, वो हमें प्रैक्टिकल परीक्षाओं में अच्छे अंक देकर लुभाने की कोशिश करता है। उसने हमारे निजी अंगों को छुआ और हमें धमकी दी कि अगर हमने उसकी शिकायत की, तो हमारे लिए अच्छा नहीं होगा।
विवि प्रशासन का डीन को समर्थन
असल में इस मामले में पुलिस की मुश्किल यह है कि छात्रों का भरोसा जीतने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि विवि प्रशासन डीन के शानदार रिकॉर्ड का हवाला दे रहा है। वहीं यहां ज्यादातर फैकल्टी इस बात को लेकर आश्वस्त है कि असल में डीन ही पीड़ित है। इसके चलते उन्हें अभी तक निलंबित या प्रशासनिक छुट्टी लेने के लिए नहीं कहा गया । इतना ही नहीं 200 से अधिक शिक्षकों ने खट्टर को उनके कई गुणों की प्रशंसा करते हुए एक पत्र पर हस्ताक्षर भी किए हैं।
यूनिवर्सिटी के कुलपति अजमेर सिंह भी डीम के पक्ष में हैं। “वे डीन को ईमानदार और मेहनती मानते हैं उनका कहना है कि मैं काम को लेकर उन पर भरोसा कर सकता हूं। जो भी अच्छा और योग्य है उसे जिम्मेदारी मिलती है।” उन्हें भी गुमनाम पत्र मिला लेकिन वे इसे विवि को अस्थिर करने के प्रयास का मानते हैं।
कहा जा रहा है कि जांच में ज्यादातर छात्राओं ने कहा कि उन्हें यह भी नहीं पता कि सुशील कुमार हैं कौन? सुशील कुमार के पास यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ ग्रेजुएट स्टडीज़ के बहुत से प्रशासनिक काम है, इसके चलते वे कम ही क्लास लेते हैं।
इधर विवि में कुछ प्राध्यापकों का यह भी मानना है कि कुलपित और डीन सुशील कुमार बहुत ताकतवर हैं इसके चलते उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। बताया जा रहा है कि डीन ने त्यागपत्र दे दिया है लेकिन कुलपति ने इसे स्वीकार नहीं किया है। डीन सुशील कुमार ने मीडिया को बताया कि उनके खिलाफ षड्यंत्र हो रहा है। में विवि में अधिक सक्रिय हूं इसके चलते मुझे निशाना बनाया जा रहा है।
दो महीने पहले नवंबर में इसी तरह गुमनाम पत्र के जरिए जींद में एक पब्लिक स्कूल के प्रिंसिपल पर कम से कम 150 छात्राओं से छेड़छाड़ का आरोप लगाया था जांच के शुरुआती दिनों में केवल 5 लड़कियां ही पुलिस के सामने बयान देनेआईं थी।