गुजरात और यूपी सहित आठ राज्यों के स्टूडेंट्स पर पांच ऑस्ट्रेलियाई यूनिवर्सिटी ने लगाए प्रतिबंध
हाल ही में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुआ था शिक्षा के क्षेत्र में समझौता
ऑस्ट्रेलिया की पांच यूनिवर्सिटीज ने भारतीय छात्रों को लेकर नियम कड़े कर दिए हैं। खास बात ये है कि ये नियम विशेष रूप से गुजरात, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान सहित आठ राज्यों के स्टूडेंट्स पर लागू होंगे। बताया जा रहा है कि ऐसा निर्णय इसलिए किया गया है क्योंकि इन राज्यों से ऑस्ट्रेलिया आने वाले अधिकांश स्टूडेंट्स पढ़ाई की बजाय ऑस्ट्रेलिया में काम करने के उद्देश्य से वहां जाते हैं। खास बात ये है कि ये प्रतिबंध ऐसे समय लगाए गए हैं जबकि हाल ही में ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथोनी अल्बानीस की भारत यात्रा के दौरान जोर शोर से भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच के शैक्षणिक संबंधों को मजबूती देने की बात हुई थी और साथ ही भारतीय यूनिवर्सिटीज की डिग्री को ऑस्ट्रेलिया में मान्यता देने की घोषणा की गई थी। भारत सरकार ने इसे अपनी उपलब्धि के तौर पर प्रस्तुत किया था।
जिन पांच यूनिवर्सिटीज ने भारतीय छात्रों पर प्रतिबंध लगाए हैं या फिर प्रवेश के लिए कड़े प्रतिमान तय किए हैं उनमें Victoria University, Edith Cowan University, the University of Wollongong, Torrens University और Southern Cross University शामिल हैं।
इनमें से पर्थ की एडिथ कोवन यूनिवर्सिटी ने फरवरी में ही पंजाब और हरियाणा के स्टूडेंट्स के प्रवेश पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है। वहीं विक्टोरिया यूनिवर्सिटी ने मार्च में गुजरात, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान सहित आठ राज्यों के स्टूडेंट्स पर प्रतिबंध लगाए हैं। हालांकि यूनिवर्सिटी के प्रवक्ता ने कहा है कि प्रतिबंध का अर्थ पूरी तरह से प्रवेश बंद करना नहीं हैं। प्रवक्ता ने कहा कि प्रतिबंध का अर्थ है कि इन राज्यों से आने वाले स्टूडेंट्स के रिकॉर्ड की बारिकी से जांच की जाएगी। इसमें मुख्य रूप से यह देखा जाएगा कि स्टूडेंट्स के एकाडमिक रिकॉर्ड में कितना है गैप है। जिन ,स्टूडेंट्स के एकाडमिक रिकॉर्ड में गैप होगा उन्हें प्रवेश नहीं दिया जाएगा। इस तरह से प्रतिबंध भारत के अलावा पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, मंगोलिया और नाइजीरिया सहित कुछ अन्य देशों के स्टूडेंट्स पर भी लगाए गए हैं।
बढ़ रहे है स्टूडेंट्स
इन प्रतिबंधों के पीछे एक कारण यह भी है ऑस्ट्रेलियन यूनिवर्सिटीज में दक्षिण एशिया से आने वाले स्टूडेंट्स की संख्या बढ़ती जा रही है। कोविड के पहले 2019 में यहां पर भारतीय स्टूडेंट्स की संख्या 75000 थी जिसके कि इस बार पार हो जाने की संभावना दिख रही है। स्टूडेंट वीसा प्रोग्राम देखने वाले ऑस्ट्रेलिया के गृह मंत्रालय के अनुसार स्टूडेंट्स वीसा के लिए अधूरे आवेदन आ रहे हैं या फिर उनमें फर्जी और गलत जानकारी दी गई है। ऑ,स्ट्रेलिया केवल पढ़ाई के लिए आने वाले स्टूडेंट्स को वीसा देना चाहता है जबकि गुजरात और यूपी सहित भारत के इन आठ राज्यों से आने वाले स्टूडेंट ज्यादातर पढ़ाई के लिए नहीं बल्कि यहां काम करने के लिए आते हैं। वे स्टूडेंट्स वीजा का दुरुपयोग करते हैं।
संसद में जताई थी चिंता
हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के सांसदों ने हाल में देश की अप्रवासन (immigration) नीति और इसके देश के अंतरराष्ट्रीय एजुकेशन बाजार पर इसके लांग टर्म इफेक्ट पर चिंता जताई थी। ऑस्ट्रेलिया में काम के लिए आने वाले लोगों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। इनमें से अधिकांश लोग यहां स्थाई रूप से बसना चाहते हैं। गृह मंत्रालय की रिपोर्ट में बताया गया है कि भारतीयों की 94 प्रतिशत वीजा एप्लीकेशन रिजेक्ट की गईं हैं। ये यहां पर वोकेशनल एजुकेशन के लिए आना चाहते थे जबकि यूके, यूएस और फ्रांस के मामले में यह आंकड़ा एक प्रतिशत से भी कम का है। खास बात ये है कि 2006 के बाद से वोकेशनल एजुकेशन के लिए जो आवेदन स्वीकृत किए गए थे, उनके भारतीय स्टूडेंट्स की संख्या 91 प्रतिशत है।
इसलिए जरूरी हैं इंटरनेशनल स्टूडेंट्स
ऑस्ट्रेलिया के इंटरनेशनल स्टूडेंट्स बहुत आवश्यक हैं क्योंकि ये स्थानीय स्टूडेंट्स की तुलना में तीन गुना ज्यादा ट्यूशन फीस चुकाते हैं। सिडनी यूनिवर्सिटी को 2021 इससे 1.4 बिलियन डॉलर की आय हुई थी तो मोनाश यूनिवर्सिटी को 917 मिलीयन डॉलर तथा क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी को 644 मिलीयन डॉलर की आय हुई थी।पीटर हर्ले जो कि , Victoria University के Mitchell Institute के डायरेक्टर हैं, ने कहा कि इंटरनेशनल स्टूडेंट्स ऑस्ट्रेलिया के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। इससे न केवल आय होती है बल्कि देश के तेजी से बढ़ते श्रम बाजार के लिए भी श्रमिक उपलब्ध होते हैं। उनकी यह राय ऑस्ट्रेलिया की सरकार से अलग है लेकिन फिलहाल कुछ भारतीय राज्यों के स्टूडेंट्स को ऑस्ट्रेलिया का वीजा मिलने में कठिनाई होगी।