मोदी के आत्मनिर्भर भारत को बैंक कर्मचारियों ने बैंक निर्भर भारत ट्रेंडकर दिया जवाब
सरकार और अपनी यूनियनों के रवैये से बैंकर्स नाखुश, सुबह से टॉप पर ट्रेंड कर रहा है #बैंक निर्भर भारत
अभी देश में नरेंन्द्र मोदी सरकार के 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज की चर्चा चल रही है। हर दिन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन पत्रकार वार्ता कर इस पैकेज की जानकारी दे रही हैं। इसी बीच रविवार सुबह अचानक ट्विटर पर #BankNirbharBharat ट्रेंड करने लगा। दोपहर तक इस पर 1.70 लाख ट्वीट्स किए जा चुके थे।
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ट्वीट्स को देखकर पता चलता है कि बैंक कर्मी सातवे वेतनमान सहित कुछ अन्य मामलों पर सरकार तथा अपनी यूनियन के रवैये से खुश नहीं हैं। वे रेड जोन में बैंक की ब्रांच खोले जाने का भी विरोध कर रहे हैं। अपने ट्वीट्स में बैंक कर्मचाारियों ने सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि सरकारी योजनाएं बैंकर्स चलाते हैं लेकिन उन्हें न तो दूसरे अधिकारियों के समान वेतन मिलता है और न ही सरकार इन योजनाओं की सफलता में उनके योगदान याद करती है।
वॉयस ऑफ बैंकर्स नाम के ट्वीटर हैंडल ने बैंक कर्मियों को इकॉनॉमी वॉरियर बताते हुए कहा कि 928 दिन हो चुके है लेकिन अब तक सरकार पर कोई असर नहीं हो रहा है। बैंक ऑफ बड़ौदा ऑफिसर्स यूनियन, जलगांव के ट्वीटर हैंडल ने बोझा ढ़ोते हुए एक मजदूर को फोटो पोस्ट करते हुए ट्वीट किया कि हम बहुत मेहनत करते हैं औऱ हम इन मजदूरों को सलाम करते हैं, ये फोटो ये बताता है कि हम कितनी मेहनत करते हैं , फिर भी हमारी उपेक्षा की जा रही है। हमारा वेतन पुनरीक्षण 928 दिनों से लंबित है।
इसी तरह से शोषित बैंकर नाम के एक ट्वीटर हैंडल ने देवबंद के विधायक का पोस्टर पोस्ट किया है जिसमें वे मोदी सरकार द्वारा किसानों के लिए दो लाख करोड़ का पैकेज दिए जानेे पर प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री का आभार प्रकट कर रहे हैं। ट्वीट में कहा गया है कि ये क्यों इतनी खुशी पकट कर रहे हैं। यदि इन्हें आभार ही मानना है तो बैंकर्स का माने और हमें 928 दिन से लंबित वेतनमान के निर्धारण में मदद करें।
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क्या है मामला
बैंक कर्मचारियों की मांग है कि उनके वेतन में हर पांच साल पर रिविजन होना चाहिए। पिछली बार उनकी सैलरी साल 2012 में रिवाइज की गयी थी, इसके बाद यह रिविजन साल 2017 में होना था, लेकिन अब तक नहीं हो पाया है। बीती 11 मार्च को भी बैंकर्स ने हड़ताल की घोषणा की थी लेकिन बाद में यूनियन ने आईबीए के साथ वेतन संबंधित मुद्दे पर सार्थक चर्चा की बात कहते हुए हड़ताल वापस ले ली थी। अभी बैंकर्स काा कहना है कि यदि गरीबों में अनाज का वितरण हो जाए तो खाद्य निगम की प्रशंसा होती है लेकिन यदि लोगों के खाते में सीधे पैसा पंहुच जाए तो इसे बैंकर्स की नहीं डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर स्कीम की सफलता माना जाता है।
PRESENT MODI GOVT.IS NOT C9NSIDE4ING GENUINE DEMANDS RELATED TO SALARY REVISION OF BANKERS BUT PUTTING EXTRA WORK BURDEN ON BANKERS.
IT IS INJUSTICE TO BANKERS.