कोरोना को बिल गेट्स का वैक्सीन प्लान बता कर अमेरिका में हो रहे प्रदर्शन
उठ रहे सवाल कि क्या कोरोना महामारी फार्मा कंपनियों का एक षड्यंत्र है?
वाशिंगटन
कोरोनावायरस और इसके इलाज को लेकर सबसे ज्यादा चर्चाएं हैं लेकिन इससे भी ज्यादा बात इसकी हो रही है कि आखिर कोरोना के पीछे कौन है? इस मामले में दुनिया में 10 तरह की थ्योरी प्रचलित हैं। जो चीन से लेकर तो 5G मोबाइल तक को इसके लिए जिम्मेदार ठहराती हैं। इनमें से एक है फार्मा कंपनियों का षड्यंत्र और इसी से जुड़ा है कि इसके पीछे माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स हैं।
इस थ्योरी में स्थिति यहां तक पहुंच गई है कि अमेरिका में कोरोना को वैक्सीनाइजेशन का षड्यंत्र बताते हुए बिल गेट्स के खिलाफ प्रदर्शन भी किए गए हैं। ये प्रदर्शन पिछले माह बड़ी संख्या में हुए थे। प्रदर्शनकारी हाथ में जो बैनर लिए हुए थे उनमें लिखा था कि Say no to gates और gates go to hell।
लेकिन खास बात ये है कि गेट्स के खिलाफ गुस्सा केवल सोशल मीडिया में है। बाकी मीडिया उनके खिलाफ उठने वाले सवालों का जवाब खुद दे रहा है। वहीं यदि आपको गेट्स के खिलाफ दुनिया में बढ़ रहे गुस्से को देखना हो तो गेट्स के सोशल मीडिया पर जो कमेंट्स किए जा रहे हैं, उन्हें देख सकते हैं।
कहा तो यह भी जा रहा है कि वे कंटेंट जिनमें कोरोना को फार्मा कंपनियों का षड्यंत्र बताया जा रहा है, उन्हें ब्लॉक किया जा रहा है।
2015 से कर रहे हैं वायरस की बात
बिल गेट्स को कोरोना के पीछे बताने वाले उनके 2015 के एक वीडियो का भी हवाला देते हैं। इस वीडियो में बिल गेट्स इबोला के बारे में बात कर रहे हैं और कह रहे हैं कि इससे भी खतरनाक वाइरस आने वाला है।
गेट्स को कटघरे में खड़ा करने वाले इस वीडियो के हवाले से कहते हैं कि गेट्स ने 2015 में इस तरह की बात कही थी। इसके चलते वे इसके लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। इसके अलावा गेट्स पिछले दो साल से लगातार ये कहते हुए पाए गए हैं कि दुनिया में महामारी से निपटने की तैयारी नहीं हैं। वे इस बारे में लगातार चेतावनी दे रहे हैं।
बिल गेट्स का डब्ल्यूएचओ का संबंध क्या है?
यहां सवाल उठ सकता है कि आखिर बिल गेट्स का विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO से क्या संबंध है? क्योंकि वे तो सूचना प्रोद्योगिकी के व्यवसाय में हैं। जब आप विश्व स्वास्थ्य संगठन के वेब पेज पर जाएंगे तो आपको वर्क फोर्स एलाइंस के मेंबर पाटर्नर की सूची में बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन दिखाई देगा। 2007 में बिल गेट्स का यह फाउंडेशन WHO से जुड़ा था। कोरोना की महामारी को लेकर WHO की भूमिका पर भी अमेरिका सहित अनेक देशों ने सवाल उठाए हैं।
लेकिन गेट्स का फार्मा कंपनियों से क्या संबंध है?
इस पर भी बात होना चाहिए। बिल गेट्स के फाउंडेशन में 2002 में ही अमेरिका की नौ बड़ी फार्मा कंपनियों के शेयर्स में 205 मिलीयन डॉलर का निवेश किया था। इसके बाद फाउंडेशन या बिल गेट्स ने इन कंपनियों में कितना निवेश किया इसका कोई लेखा जोखा उपलब्ध नहीं है। लेकिन ऐसी खबरें हैं कि कोरोना की महामारी प्रारंभ होने के बाद फाउंडेशन ने वैकसीन की खोज में लगी फार्मा कंपनियों को आर्थिक मदद दी है।
इसके अलावा गेट्स के फाउंडेशन ने Public Health Informatics, Computational, and Operations Research (PHICOR) team को भी वित्तीय मदद की है।
वो प्रश्न जो कोरोना को लेकर आपको पूछना चाहिए ?
सबसे पहले कुछ प्रश्न जो कि कोरोनावायरस के बारे में आपको अपने आप से पूछना चाहिए।
- पहला अगर कोरोना की कोई दवा उपलब्ध नहीं है तो मरीजों का इलाज कौन सी दवा से हो रहा है?
- दूसरा, इसके मरीजों की मृत्यु दर क्या है और क्या सबसे ज्यादा है?
इन प्रश्नों के उत्तर आप खोजने का प्रयास करेंगे तो आपको कोरोना में कुछ स्थितियां स्पष्ट होने लगेंगी। अब हम आते हैं सबसे पहली बात पर कि जब की कोई दवा उपलब्ध नहीं है तो वर्तमान में मरीजों का इलाज कौन सी दवा से हो रहा है?
कोरोना के चलते एक साल के लिए पढ़ाई छोड़ रहे ब्रिटेन के स्टूडेंट्स
भारत में कोरोना पॉजिटिव मरीजों के ठीक होने की दर लगभग 49% है। जितने पॉजिटिव के साए हैं उनमें से आधे लोग ठीक हो कर जा चुके हैं। वही कोरोना से मृत्यु की दर केवल 3% है। ऐसे में 97% लोग किस दवा से ठीक हो रहे हैं, यह सोचने वाली बात है। कोरोना एक प्रकार का फ्लू है। इसलिए वर्तमान में कोरोना का इलाज वायरल की दवाओं से हो रहा है। वैसे अस्पताल से लौटे हुए मरीज बताते हैं कि गर्म पानी, योग और धूप का उपयोग दवाओं से ज्यादा है और इस ईलाज से ठीक होने वाले मरीजों की दर 97% है।
कोरोना के मरीजों की मृत्यु दर क्या है और क्या सबसे ज्यादा है?
कोरोना से संक्रमित व्यक्तियों की मृत्यु दर भारत में दो से लेकर तीन प्रतिशत के बीच है तो वहीं वैश्विक ,स्तर पर ये दर लगभग छह प्रतिशत है। यानी यदि भारत में सौ लोगों में कोरोना संक्रमण पाया जाता है तो इनमें से अधिकतम तीन लोगों की मौत होती है। इस मृत्यु दर की तुलना अन्य बीमारियों से करें तो स्पष्ट होता है कि यह दुनिया में बहुत ही सामान्य मृत्यु दर है। दुनिया में हर साल सबसे ज्यादा मौत कोरोनरी आर्टरी डीजीज यानी कि ह्रदय रोग से होती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनिया में हर साल मरने वाले लोगों में से 15.5 प्रतिशत की मौत इसी से होती है।
नोट : कोरोना को लेकर हम किसी वैज्ञानिक खोज में सक्षम नहीं है लेकिन आंकड़ों के आधार पर कुछ पता लगाने का प्रयास किया जा सकता है।