ब्रिटेन में कोरोना का कहर, वृद्धों की बजाय युवाओं को ईलाज देने पर जोर क्योंकि उनके बचने की संभावना ज्यादा
अस्पतालों में जगह और सुविधाएं कम पड़ी, फिर लग सकता है लॉकडाउन
लंदन.
ब्रिटेन में एक बार फिर कोविड को लेकर स्थितियां गंभीर हो गई हैं। प्रधानमंत्री बोरिस जानसन ने शुक्रवार को नागरिकों से अपील की थी कि वे घरों पर रहें और कोरोना को फैलने से रोकें। वहां पर एक दिन में अब तक कि सर्वाधिक 1325 मौतें रिकॉर्ड की गई हैं। इस स्थिति को वहां पर pandemic within a pandemic कहा जा रहा है।
इतना ही नहीं ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने कोरोना की वर्तमान गाईडलाइन को ढ़ीला बताते हुए इसे कड़ा किए जाने की मांग की है। इसके बाद यह भी माना जा रहा है कि ब्रिटेन में एक बार फिर लॉकडॉउन लग सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि 90 प्रतिशत नागरिक नियमों का पालन कर रहे हैं लेकिन पिछले सप्ताह सड़कों और पब्लिक ट्रांसपोर्ट में ज्यादा भीड़ रहने के चलते वाइरस को फैलने में मदद मिली है।
पब्लिक हेल्थ लंदन के रीजनल डायरेक्टर प्रो. केविन फेंटन ने कहा कि कोरोना के मरीजों की संख्या बढ़ रही है इसके चलते नेशनल हेल्थ सर्विस अन्य मरीजों को ठीक से सेवाएं नहीं दे पा रही हैं। उन्होंने कहा कि जिसे भी स्थिति की गंभीरता का अंदाजा नहीं हो वे लगातार इसके संबंध में दी जारी रही जानकारियों को देखते और पढ़ते रहें।
नया वाइरस भी बढ़ा रहा मुश्किलें
इस मामले में कहा जा रहा है कि फिलहाल लोगों को एक-दूसरे के घरों में जाने की आजादी है। इसके अलावा धार्मिक और अन्य आयोजनों में भी लोग एकत्रित हो रहे हैं। इसके अलावा घरों में काम करने वाले कईं कर्मचारियों का भी घरों में आना जाना है। इसके चलते स्थितियां खराब हो रही हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इसकेे अलावा अब एक नया वाइरस भी है जो कि पुराने की तुलना में 50 से 70 प्रतिशत अधिक संक्रामक है। इसके चलते कड़े लॉकडाउन की आवश्यक है।
युवाओं को बचाने पर जोर
इतना ही नहीं अस्पतालों में मरीजों की भीड़ है और डॉक्टर्स को वहां मौजूद सुविधाओं के आधार पर यह चुनना पड़ रहा है कि किसे आपातकालीन सेवाएं दी जाएं और किसे नहीं। इस मामले में डॉक्टर्स जवानों को आपात कालीन सेवाएं दे रहे हैं क्योंकि उनके बचने की संभावनाएं ज्यादा होती हैं। इसके पीछे यह कारण बताया जा रहा है कि ब्रिटेश की नेशनल हेल्थ सर्विस अपनी पूरी कैपेसिटी पर काम कर रहा है और अस्पतालों के पास अब मरीजों के लिए और बेड नहीं है।
ऐसे में अस्पताल आपातकालीन प्रावधानों के अनुसार काम कर रहे हैं जिसमें कि उसे पहले ईलाज की सुविधाएं दी जाती हैं जिसके बचने की संभावनाएं ज्यादा हों। इसके चलते युवाओं को वृद्धों के ऊपर ईलाज में प्राथमिकता दी जा रही है।