ब्रिटेन में कोरोना के चलते एक साल के लिए पढ़ाई छोड़ रहे यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स

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यूूनिर्सिटी नहीं छोड़ने दे रही कोरोना के चलते पढ़ाई

लंदन.

कोरोना वायरस ने अब पढ़ाई पर असर दिखाना शुरू कर दिया है। ब्रिटेन के स्टूडेंट्स कोरोना के चसते अगले साल की पढ़ाई छोड़ने की तैयारी कर रहे हैं उधर यूनिवर्सिटीज उन्हें इससे रोकने में लगी हैं। हालांकि यूनिवर्सिटीज घोषित रूप से इस तरह से कोई नीति बनाने से इंकार कर रही हैं लेकिन उनका कहना है कि स्टूडेंट्स को कोरोना वायरस के चलते अपनी पढ़ाई नहीं छोड़ना चाहिए। हालांकि यदि वे कोरोना पॉजीटिव हों तो बात अलग है। वहीं ब्रिटिश स्टूडेंट यूनियन भी इस मामले में स्टूडेंट्स के समर्थन में हैं और उनका कहना है कि आर्थिक रुप से कमजोर छात्रों केलिए तो इससे अच्छा विकल्प नहीं हैं।

कोरोना के कहर के चलते ब्रिटेन में स्टूडेंट्स ऑनलाइन क्लासेस अटेंड कर रहे हैं लेकिन वे इससे खुश नहीं हैं। उनका कहना है कि उनके पाठ्यक्रम प्रेक्टिकल पर आधारित हैं ऐसे में ऑनलाइन क्सासेस से उन्हें कोई फायदा नहीं हैं। इससे अच्छा यह है कि वे एक साल के लिए पढ़ाई बंद कर दें और इससे ब्रेक ले लें।

फर्स्ट ईयर के स्टूडेंट्स परेशान

ऑनलाइन पढ़ाई से सबसे ज्यादा परेशान फर्स्ट ईयर के स्टूडेंट्स हैं। इन्हीं में से एक हैं फ्रेया सेडलर। वे लंदन की गोल्डस्मिथ यूनिवर्सिटी में म्यूजिकल थिएटर की फर्स्ट ईयर स्टूडेंट हैं। वे सेल्टेश काॅर्नवाल में रहती हैं। उनका कहना है कि म्यूजिकल थिएटर एक प्रेक्टिकल सब्जेक्ट है और इसकी पढ़ाई के लिए ग्रुप की आवश्यकता होती है। घर बैठकर इसकी ऑनलाइन पढ़ाई करना मुश्किल है।

हालांकि सेकंड ईयर की पढ़ाई का क्या होगा इस बारे में ज्यादा कुछ नहीं कहा जा सकता लेकिन इसमें भी ऑनलाइन पढ़ाई से बचना मुश्किल होगा। इसके चलते सेडलर ने अपनी फैकल्टी से इस बारे में बात की तो उन्होंनेे कहा यूनिवर्सिटी कोविड-19 के चलते एक साल की पढ़ाई को स्थगित करने की अनुमति नहीं देगी।

यूनिवर्सटीज को है स्टूडेंट्स न आने की चिंता

उधर यूनिवर्सिटी के सामने अलग तरह की समस्याएं हैं । उन्हें पता है कि इस साल विदेशी स्टूडेंट्स की संख्या में 80 से 100 प्रतिशत तक की गिरावट होगी। उधर स्थानीय स्टूडेंट्स जिनकी स्कूल की पढ़ाई पूरी हो गई है और वेे इस साल यूनिवर्सिटी में प्रवेश लेने वाले हैं, के बारे में एक सर्वेक्षण सामने आया है कि इस साल स्कूल छोड़ने वाले प्रत्येक पांच स्टूडेंट्स में से एक इस साल यूनिवर्सिटी में प्रवेश नहीं लेगा। इस तरह से स्थानीय स्टूडेंट्स की संख्या में भी बीस प्रतिशत तक की कमी हो सकती है।

कोर्स में ऑप्शन होता है एक साल पढ़ाई छोड़ने का

वहीं स्थानीय स्टूडेंट्स से 9250 यूरो की ट्यूशन फीस ली जाती है। इनके पास यह विकल्प होता है कि वे एक या अधिक साल के लिए अपनी पढ़ाई डिसकंटीन्यू कर सकते हैं। यूनिवर्सिटीज इस नियम को ब्लॉक करने के बारे में सोच रही हैं। यूनिवर्सिटी का कहना है कि वे जानते हैं कि स्टूडेंट्स वायरस के चलते अपनी पढ़ाई को डिसकंटीन्यू करना चाहते हैं लेकिन कुछ यूनिवर्सिटीज ने केवल वायरस के डर से पढ़ाई स्थगित करने की अनुमति देने से इंकार किया है। उनका कहना है कि पढ़ाई छोड़ने की अनुमति केवल गंभीर मेडिकल परिस्थितियों में ही दी जाएगी।

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प्रोफेसर्स को है गरीब स्टूडेंट्स की चिंता

यूनिवर्सिटीज द्वारा वायरस के आधार पर पढ़ाई डिसकंटीन्यू करने की अनुमति न देने के एक तरफा निर्णय का कुछ प्रोफेसर्स ने भी विरोध किया है। इनका कहना है कि इसका बुरा असर उन स्टूडेंट्स पर पड़ेगा जो कि आर्थिक रूप से कमजोर हैं और जो पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए पार्ट टाइम नौकरी करते हैं। प्रोफेसर ली इलिएट का कहना है कि कोरोना के चलते पार्ट टाइम नौकरियां समाप्त हो चुकी हैं। ऐसे में इन स्टूडेंट्स को अपनी पढ़ाई जारी रखने में बहुत परेशानी होगी।

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