27th July 2024

जब एक नाकेदार से उपचुनाव हारे थे प्रेमचंद गुड्‌डू

0

इंदौर.

1996 में आलोट के विधायक थावरचंद गेहलोत देवास शाजापुर संसदीय क्षेत्र से सांसद चुने गए थे। इसके चलते यहां उपचुनाव हुआ था। उस समय प्रदेश में कांग्रेस सरकार थी और प्रेमचंद गुड्‌डू युवक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष थे। कुल मिलाकर इस उपचुनाव के लिए प्रेमचंद गुड्डू जीतने की जिस स्थिति में थे उस स्थिति में तो वे आज भी नहीं हैं। हर कोई ये मान रहा था कि गुड्‌डू आराम से विधानसभा पहुंच जाएंगे लेकिन वे 3750 वोटों से हार गए। उन्हें हराने वाला था नगर पालिका का एक 28 वर्षीय नाकेदार। खास बात ये है कि उस नाकेदार ने फिर कभी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा। इस युवा का नाम था अशोक सांखला।

थावरचंद गेहलोत के सांसद बन जाने के बाद आलोट में हर कोई ये सोच रहा था कि अब पार्टी उपचुनाव किसे लड़ाएगी। सांसद के रूप में गेहलोत बड़ौद में एक कार्यक्रम में आए तो कार्यकर्ताओं ने उनसे यही प्रश्न पूछा था। उस गेहलोत ने हंसते हुए अशोक सांखला की ओर देख कर कहा था कि यदि अशोक अपने बाल कटवा ले, तो टिकट अशोक को भी मिल सकता है। अशोक ने बाल छोटे कराए और उन्हें टिकट भी मिला। खेल प्रेमी अशोक उस समय नाकेदार के रूप में कार्यरत थे और स्थानीय स्तर खेल आयोजनोंं में सक्रिय रहते थे। इसी के चलते लंबे बाल भी रखते थे।

पूरी सरकार लगी थी गुड्‌डू के लिए

मुकाबला आसान नहीं था। सामने था मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह केे खास प्रेमचंद गुड्‌डू । उनके लिए दिग्विजय सिंह के एक दर्जन मंत्री प्रचार के लिए आलोट पहुंचे थे। इस उपचुनाव को याद करते हुए आलोट के निवासी बताते हैं कि प्रचार को दौरान चुनाव गुड्‌डू के पक्ष में दिख रहा था। उनका आभामंडल अशोक सांखला के सामने बहुत बड़ा दिखाई दे रहा था। ऐसा लग रहा था कि कोई बड़ा नेता आलोट में चुनाव लड़ने आया है।

तत्कालीन विधायक अशोक सांखला जिन्होंने उपचुनाव में गुड्‌डू को हराया था।

उधर, सांखला के पास केवल सहजता और मिलनसारिता की पूंजी थी। लेकिन जब परिणाम सामने आया तो गुड्‌डू का सपना टूट गया और 28 साल के स्थानीय युवा को जनता ने विधानसभा भेज दिया। सांखला का विधायक के रूप में कार्यकाल ढ़ाई वर्ष का रहा। वे जिस उम्र में विधायक बन गए थे, उससे ऐसा लग रहा था कि वे राजनीति में बहुत ऊंचाईयों को छुएंगे। लेकिन इस उपचुनाव के बाद भाजपा ने उन्हें कभी टिकट नहीं दिया।

1998 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने मनोहर उटवाल को यहां से चुनाव मे उतारा। वे भी जीतने में सफल रहे। लेकिन गुड्‌डू आलोट को भुला नहीं सके और 2003 में फिर से आलोट चुनाव लड़ने गए। इस बार वे जीत गए। 2003 के बाद से ही गुड्‌डू ने सांवेर से कोई चुनाव नहीं लड़ा है। इसके बाद वे एक बार उज्जैन से सांसद रहे।

उधर अशोक सांखला का इस पांच मई को ह्रदयघात से 52 वर्ष की आयु में निधन हो गया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से लेकर ज्योतिरादित्य सिंधिया तक सभी ने उन्हें ट्वीट कर श्रद्धांजलि दी। सांखला इस दुनिया में नहीं हैं और गुड्‌डू फिर एक उपचुनाव की तैयारी में लगे हुए हैं।

सांवेर का सर्वेक्षण : कौन जीतेगा सांवेर उपचुनाव?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!