तालिबान के हाथों मारे गए ब्रिटिश सैनिक के पिता ने उस stray dog को ब्रिटेन बुलाया जिसने युद्ध के मैदान में भी बेटे का साथ नहीं छोड़ा

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Goonj Special

अफगानिस्तान की सड़कों पर घूमने वाले कुत्ते और एक ब्रिटिश सैनिक की यह कहानी 10 साल पुरानी है। 22 साल के ब्रिटिश पैरा सैनिक कोनरॉड लुइस सेना के साथ अफगानिस्तान गये थे। समय था 2011 का। एक दिन अचानक एक तालिबानी स्नाइपर द्वारा चलाई गई गोली से कोनराॅड मारे गए। पिता के लिए 22 साल के बेटे की मौत किसी सदमे से कम नहीं थी लेकिन उन्होने उसे जैसे तैसे उसे झेल लिया।

उन्हें पता चला कि अफगानिस्तान में उनके बेटे ने स्ट्रीट फीमेल डॉग को फीड करना शुरू किया था। यह फीमेल डॉग कोनरॉड के साथ घूमती रहती थी। यहां तक कि युद्ध के मोर्चे पर भी वो फीमेल डॉग के साथ ही रहती थी। कोनरॉड ने उसे पेग नाम दिया था जो कि ब्रिटिश पैराट्रूपर के लोगो पेगासस का शॉर्ट है।

कोनरॉड के फोटो के साथ पेग

तालिबानी खतरे के बीच पेग या पेगासस कोनराड की सच्ची दोस्त थी। कोनरॉड उसे खुद के राशन में से खिलाते थे और वे चाहते थे कि जब वे ब्रिटेन लौटें, तब पेग को साथ ले जाएंगे। यह बातें कोनरॉड के पिता को पता थीं। उन्होंने अफगानिस्तान में उनके बेटे के अंतिम समय की निशानी के तौर पर पेग को ब्रिटेन लाने का निर्णय लिया। उनका मानना था कि उनके बेटे के अफगानिस्तान में बिताए गए दिनों का एकमात्र संपर्क पेग है साथ ही उसे ब्रिटेन लाना उनके शहीद बेटे का भी सपना भी था।

क्या हुआ था कोनरॉड के साथ

9 फरवरी 2011 को कोनरॉड एक तालिबानी स्नाईपर की गोली का शिकार हो गए। वे अफगानिस्तान के हेलमंड प्रांत में तैनात थे। अक्टूबर 2010 में इस प्रांत की कुदरत चौकी पर कोनरॉड को पेगासस मिली थी। तब से उनकी मौत तक वह लगातार हर मोर्चे और पेट्रोलिंग पर उनके साथ जाती रही। ये बात कोनरॉड ने अपने माता-पिता को भी बताई थी।

अफगानिस्तान में कोनरॉड की तैनाती की अवधि पूरी होने में केवल दो माह का समय बचा था। कोनरॉड ने अपने मातापिता को भी बताया था कि वो पेगासस को अपने साथ लाने की तैयारी कर रहे हैं। पेगासस युद्ध के मोर्चे पर भी कोनरॉड के साथ जाती थी। कोनरॉड की मौत के बाद उनके पिता टोनी लुईस ने पेगासस को लाने की तैयारी की।

उसेअफगानिस्तान से साढ़े पांच हजार किमी दूर लाना बहुत कठिन काम था। इस पर चार हजार पाउंड का खर्च आया जिसे कि अफगानिस्तान की एक संस्था, जो कि ब्रिटिश सैनिक ने ही बनाई है, ने उठाया। जिसे बाद में कोनरॉड के पिता ने संस्था को लौटा दिया है।

टोनी लुईस ने कहा कि पेगासस इंग्लैंड लाने में कई लोगों ने बहुत मदद की है। सबसे तो अफगान सेना से उसे हेलमंड प्रांत से एक हेलीकॉप्टर में काबुल पहुंचाया। इस हेलीकॉप्टर में सेना उसे एक बैग में छिपाकर लाई थी। पेगासस को इंग्लैंड पहुंचने पर छह माह तक एक शेल्टर होम में कोरेंटाइन रखा गया था। जहां पर कानरॉड की मां सैंडी लुईस, बहन सियोबान और गर्लफ्रेंड जॉर्जिना हैरिस सप्ताह में दो बार उससे मिलने जाते थे।

कोनरॉड की मां सैंडी ने बताया कि जब हम पैगासस को घर ला रहे थे उस समय ऐसा लगा जैसे कोनरॉड हमें ऊपर से देख रहा है।

कोनरॉड के माता पिता के साथ पहली वाक पर पेगासस

लगभग 1600 स्ट्रे डाग्स और बिल्ली साथ ले गए सैनिक

अफगानिस्तान में अपनी तैनाती के दौरान स्ट्रे डॉग को एडॉप्ट करने का यह इकलौता मामला नहीं है। बताया जाता है कि वहां तैनात हुए सैनिक लगभग 1600 स्ट्रीट डॉग्स और कुछ बिल्लियों को घर लौटते समय अपने साथ ले गए।

इतना ही नहीं एक ब्रिटिश सैनिक ने तो अफगानिस्तान में अपनी तैनाती का समय समाप्त हो जाने पर वहीं पर नवजाद नाम से एक एनिमल शेल्टर होम भी खोला है। इसे ब्रिटिश मरीन रहे पेन फार्थिंग ने खाला है। इसके पीछे की कहानी भी दिलचस्प है। जब फार्थिंग अफनानिस्तान में तैनात थे। उस समय नवजाद नामक जगह पर उन्होंने दो कुत्तों की लड़ाई छुड़वाई थी। इसमें एक उनके पीछे आ गया जिसे फार्थिंग ने एडॉप्ट कर लिया और उसका नाम नवजाद रख दिया। फिलहाल अफगानिस्तान की सत्ता में तालिबान के आ जाने से फार्थिंग को भी डर सता रहा है और उन्होंने ब्रिटिश सरकार से कहा है कि उन्हें उनके स्टॉफ के साथ वहां से निकाला जाए।

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