27th July 2024

FTII है जेएनयू का नया पता..!

राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह वाले दिन फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया में बाबरी के समर्थन में बैनर लगाया

बैनर फाड़ने पर सात लोग गिरफ्तार

जेएनयू को भूल जाईए। अब पुणे स्थित फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया यानी (एफटीआईआई) जेनएयू की मानसिकता का नया पता है। यहां से एक्टिंग से लेकर फिल्म और टेवीविजन प्रोडक्शन के विभिन्न पाठ्यक्रमों की पढ़ाई होती है। यहां से मिथुन चक्रवर्ती, जया बच्चन, शत्रुध्न सिन्हा, ओमपुरी जैसे कलाकार निकले हैं। 22 जनवरी के दिन जो कुछ इस शैक्षणिक संस्थान में हुआ वो सीधे-सीधे सुप्रीम कोर्ट की अवमानना थी लेकिन केस दर्ज हुआ इनका विरोध करने वाले कार्यकर्ताओं पर।

राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह पर एफटीआईआई के कैंपस में बाबरी मस्जिद के समर्थन में एक बैनर लगाया गया। Remember Babri, Death of constitution यानी कि बाबरी को याद करें वो संविधान की मौत थी। इस बैनर को एफटीआईआई स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने लगाया था।

इसके अलावा छात्रों ने 22 जनवरी को ही बाबरी मस्जिद विध्वंस पर एक फोटो प्रदर्शनी भी आयोजित की, साथ ही आनंद पटवर्धन की ‘राम के नाम’ डॉक्यूमेंट्री भी दिखाई गई।

ये सारी घटनाएं कुछ संकेत करती हैं लेकिन इन पर किसी ने सवाल नहीं उठाए हैं। सवाल उठाए गए हैं हिन्दू जन जागरण संगठन के कार्यकर्ताओं पर जिन्होंने इसका विरोध किया और इस बैनर को उतार कर जला दिया। एफटीआईआई के छात्रों ने आरोप लगाया कि इन बाहरी तत्वों ने संस्थान के स्टूडेंट्स के साथ मारपीट भी की है और एफटीआईआई के छात्र संघ अध्यक्ष को गंभीर चोट आईं हैं।

एफटीआईआई स्टूडेंट एसोसिएशन की  प्रेस रिलीज मे कहा गया है कि “ घटना दोपहर करीब 1.30 बजे घटी. 20-25 लोगों की भीड़ परिसर में दाखिल हुई। जब मनकप नोकवोहम (एफटीआईआईएसए के अध्यक्ष) मुख्य द्वार की ओर बढ़ रहे थे तभी भीड़ ने जोर-जोर से नारे लगाना शुरू कर दिया। इस बीच भीड़ ने मनकप पर हमला कर दिया। सुरक्षा गार्ड भी इस भीड़ को रोकने में नाकाम रहे।  मनकप को बेरहमी से पीटा गया। हमले में उनके कपड़े फट गए. उन्हें गंभीर चोटें आई हैं। इसके बाद सायंतन (महासचिव, एफटीआईआई) पर भी हमला किया गया। जो छात्र इन्हें बचाने आए उन्हें भी बुरी तरह से पीटा गया।”

न्यूज का तमाशा

छात्र संगठन ने पुलिस पर आरोप लगाया कि पिटाई के दौरान पुलिस तमाशा देखती रही और कोई भी कार्रवाई नहीं की।  भीड़ के हौसले इतने बुलंद थे कि वह डेक्कन थाने के बाहर पहुंच गई,  जब पुलिस छात्रों के बयान ले रही थी।

मामले में उम्मीद के मुताबिक न्यूज लांड्री जैसी न्यूज वेबसाइट्स ने भौकाल बनाने की कोशिश की है। इन्होंने इस ममले की विस्तृत रिपोर्ट की है लेकिन एफटीआईआई के कथित पीडित छात्रों से यह पूछने की तकलीफ नहीं उठाई कि जब देश का सुप्रीम कोर्ट इस मामले में निर्णय दे चुका है तो फिर बाबरी ढ़ांचे को संविधान की हत्या कैसे बताया जा रहा है?

इस वेबसाइट ने एफटीआईआई के छात्र इरफान से बात व अन्य छात्रों से बात की और लिखा है कि इरफान ने बताया कि दोपहर करीब 1:30 बजे कई लोग अचानक से ‘जय श्री राम’ के नारे लगाते हुए कैंपस में घुस आए।  उन्होंने उत्पात मचाना शुरू कर दिया।  कैंपस में लगे बैनर और पोस्टर फाड़कर जला दिए. स्टूडेंट एसोसिएशन की ओर से लगाए गए ये सभी पोस्टर-बैनर बाबरी मस्जिद से जुड़े थे।

इरफान कहते हैं, “भीड़ में शामिल लोगों ने छात्रों को पीटना शुरू कर दिया। थोड़ी देर बाद पुलिस आ गई लेकिन पुलिस के सामने भी उन्होंने छात्रों की पिटाई की. पुलिस सब देखती रही।” 

इरफान के मुताबिक भीड़ में लोगों ने गले में गमछे डाल रखे थे और जो भी सामने आ रहा था, उसकी पिटाई कर रहे थे।  

एक अन्य छात्र ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि कैंपस के कई छात्रों के साथ मारपीट की गई है। इतनी टाइट सिक्योरिटी होने के बाद भी ये लोग कैसे अंदर घुस गए ये समझ से बाहर है। उनका आरोप है कि हमला योजनाबद्ध तरीके से हुआ है. न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए वह सवाल उठाते हैं कि अगर यही सब होता रहा तो उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी कौन लेगा? 

आरोपित संगठन से कोई बात नहीं     

अब तक इस मामले में सात लोगों को गिरफ्तार किया गया है। न्यूज लांड्री के हिसाब से इनमें हिंदू जन जागरण संगठन के लोग भी शामिल हैं।  वहीं, बाकी लोगों की पहचान के लिए सीसीटीवी कैमरे की मदद ली जा रही है. पुलिस ने इन पर आईपीसी की धारा 147, 148, 149, 452, 323, 504, 506 और 427 के तहत मामला दर्ज किया है।

लंबी चौड़ी रिपोर्ट में आरोपियों के पक्ष का कहीं कोई उल्लेख नहीं है। उनसे और हिन्दू जन जागरण संगठन से बात किए बिना ही गिरफ्तार आरोपितों को संगठन से जुड़ा बता दिया गया है।

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