21st November 2024

एक शहर जो ग्लोबल वार्मिंग के कहर से बचने के लिए लगा रहा है 1.80 करोड़ पौधे

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केवल 18 लाख जनसंख्या है ग्लासगो की

ग्लासगो.

स्कॉटलैंड की राजधानी ग्लासगो (Glasgow) ग्लोबल वार्मिंग (Global warming) और उसके प्रभाव से परेशान है। पिछले सितंबर से यह शहर ग्लोबल वार्मिंग के दुष्प्रभावों को झेल रहा है। फ्लाइट नदी के किनारे एक गांव से शहर के रूप में विकसित हुआ ग्लास्गो ने तय किया है कि इस शहर में रहने वाले हर व्यक्ति के लिए 10 पौधे लगाए जाएंगे इस तरह से 18 लाख की जनसंख्या वाले इस शहर में एक करोड़ 80 लाख पौधे लगाने की तैयारी है। यह काम इस साल नवंबर के पहले पूरा कर लिया जाएगा। 

यह परेशानी चल रहा है ग्लासगो क्लाइड नदी के किनारे बसा यह शहर भारी बारिश और उसके चलते आने वाली बाढ़ की परेशानी झेल रहा है। माना जा रहा है कि क्लाइमेट चेंज के चलते इस तरह की घटनाएं बढ़ती जाएगी और 18 लाख की आबादी वाला यह शहर इससे निपटने में सक्षम नहीं रहेगा।  इसके चलते स्कॉटिश सरकार ने 15 परिषदो, यूनिवर्सिटीज, नेशनल हेल्थ स्कीम और इंफ्रास्ट्रक्चर बोर्ड का एक अलायंस बनाया है, जिसका नाम क्लाइमेट रेडी क्लाईड है।

इस समूह ने अपनी जो रिपोर्ट दी है उसके हिसाब से ग्लासगो को ग्लोबल वार्मिंग के कहर से बचाने के लिए 184 मिलीयन यूरो की जरूरत है। इस रिपोर्ट में शहर में 1.80 करोड़ पौधे लगाने का सुझाव दिया गया है जिससे कि बढ़ते हुए तापमान पर नियंत्रण रखा जाएगा। 

नवंबर में होना है पर्यावरण सम्मेलन

इस साल नवंबर में ग्लासगो में cop26 पर्यावरण सम्मेलन होना है। यह सम्मेलन संयुक्त राष्ट्र ने क्लाइमेट चेंज पर बुलाया है। 31 अक्टूबर से शुरू होकर 12 नवंबर तक चलेगा। इस सम्मेलन को लेकर पहले से ही क्लाइमेट चेंज कार्यकर्ता ग्लासगो और यूके में प्रदर्शन कर रहे हैं। क्लाइमेंट चेंज से बचने के लिए ये लोग विशेष कदम उठाने की मांग कर रहे हैं।

2018 में 32 डिग्री तक पहुंचा था तापमान

ग्लासगो में गर्मियों का सर्वाधिक तापमान जून 2018 में 32 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था। इस तापमान में भी रेलवे लाइनें टेढ़ी-मेढ़ी हो गई थी। कहा जा रहा है कि जिस गति से ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रही है, उसके चलते अनुमान लगाया जा रहा है कि 2050 तक ग्लासगो में गर्मियों का तापमान सामान्य रूप से 32 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाएगा। इसके साथ ही संभावना जताई जा रही है कि इस अवधि तक बारिश में 5% की कमी आ जाएगी लेकिन नदी में बाढ़ आने की घटनाएं बढ़ जाएंगी क्योंकि सर्दियों में होने वाली बारिश 5% बढ़ जाएगी। 

Gloasgow flood

यह तैयारी कर रहा है स्कॉटलैंड

  • ग्लासगो के निवासियों को हीट वेव से बचाने के लिए घरों में आवश्यक संशोधन करने के लिए मदद देना। विशेषकर कम आय वर्ग के लोगों को।
  • ट्री प्लांटेशन और तालाब के निर्माण में इन्वेस्टमेंट करना।
  • खाली पड़ी जमीन को आरक्षित कर उसे बाढ़ प्रबंधन के लिए उपयोग करना।
  • वार्निंग सिस्टम डिवेलप करना ताकि बाढ़ अतिवृष्टि और गर्मी जैसी बातों की पहले से जानकारी मिल जाए।

हमारे यहां से करें इसकी तुलना

जहां यूरोप में क्लाइमेट चेंज से बचने के लिए बड़े पैमाने पर कदम उठाए जा रहे हैं वही हमारे यहां इसके उलट खनन, नई सड़क परियोजनाएं और यहां तक कि भवन बनाने के लिए तालाबों की हत्या की जा रही है। बक्सवाहा का मामला इसका ज्वलंत उदाहरण है जहां पर हीरो के लिए जीवनदायी लाखों पेड़ों को काटने की तैयारी की जा रही है।

खास बात यह है कि सरकार पुरजोर तरीके से अपनी बात मनवाने पर अड़ी हुई है उसे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि लाखों पेड़ कट जाने का पर्यावरण पर क्या असर पड़ेगा। सरकार चाहे तो ग्लास्गो मामले से सीख ले शक्ति है।

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