जुगाड़ से सीखी जिमनास्टिक, अब वर्ल्ड चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व करेगी श्रद्धा

indian express

रद्दी सामान से रागगढ़ के गांव में जुटाई जिम्नास्टिक की सुविधाएं

ठाणे

जिमनास्टिक जैसी स्पर्धाओं में भारत की मौजूदगी ना के बराबर ही है। रियो ओलंपिक खेलों में दीपा कर्मकार ने पहली बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह महसूस कराया कि भारत में भी जिमनास्टिक होती है। उन्हीं की प्रेरणा कहिए कि रायगढ़ की ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने वाली श्रद्धा तलेकर 27 साल की उम्र में विश्व जिमनास्टिक प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी। 

खास बात यह है कि श्रद्धा ने जिमनास्टिक की प्रैक्टिस जुगाड़ से बने अनइवन बार और उपकरणों के साथ की है। इस काम में उनका हौसला उनके मामा ने बढ़ाया और जुगाड़ करके घर को जिम्नास्टिक सेंटर बनाने का आइडिया भी उन्हीं का था। 

27 साल की उम्र सामान्यतः जिमनास्टिक के लिए रिटायरमेंट की उम्र मानी जाती है इस उम्र तक आते-आते खिलाड़ी खेलना छोड़ कर या तो नौकरी में लग जाते हैं या अपना परिवार शुरू कर लेते हैं। ऐसी ही स्थिति श्रद्धा के सामने भी थी। 2013 से छह बार से आधे अंक से भारतीय टीम में स्थान बनाने से चूक रही थीं।

श्रद्धा ने बताया कि मार्च 2020 में प्रतियोगिताएं स्थगित हो गई। उस समय मेरी उम्र 26 साल थी और मुझे लगने लगा था कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतियोगिताओं में भाग लेने का मेरा सपना पूरा नहीं हो सकेगा। ऐसे में मेरे परिवार ने मेरी हिम्मत बंधाई और मुझे ट्रेनिंग चालू रखने के लिए कहा। मेरी उम्र में जिम्नास्ट नौकरियों में लग जाते हैं या शादी कर लेते हैं। मुझे भी लगता था किसी भी दिन प्रैक्टिस से घर लौटने पर घर वाले कह देंगे कि अब बस अब शादी कर लो।

मामा ने की मदद जुगाड़ से जुटाई सुविधाएं

जब लॉक डाउन के चलते प्रैक्टिस बंद हो गई तो श्रद्धा के मामा विश्वास गोफन ने उन्हें सपोर्ट किया। उन्होंने रायगढ़ जिले के पेड़ाली गांव में श्रद्धा के लिए जुगाड़ से प्रैक्टिस की व्यवस्था की। उन्होंने जिम्नास्टिक के अभ्यास के लिए जरुरी लैंडिग मैट यानी गद्दे की व्यवस्था की। इसके लिए उन्होंने कईं आयोजनों के लिए लगे पर्दे , विज्ञापन औरइसी तरह के अनुपयोगी सामान से लैंडिंग मैट बनाई। इतना ही नहीं उन्होंने स्थानीय बढ़ाई से मिलकर मिनी अन इवन बार और बैलेंस बीम भी प्रेक्टिस के लिए तैयार किए। इन्ही पर लॉकडाउन के दौरान श्रद्धा प्रैक्टिस करती रही।

श्रद्धा बताती हैं कि उनके मामा कराटे के खिलाड़ी रहे हैं। श्रद्धा के भाई ट्रेकिंग करते हैं। वहीं उनके पिता रायगढ़ में एक चावल मिल में काम करते हैं। मां गृहिणी हैं। इस सामान्य पृष्ठभूमि वाले परिवार ने श्रद्धा के विश्व चैंपियनशिप में भाग लेने के सपने को प्रोत्साहित किया और अब श्रद्धा जापान में होने वाली ‌‌विश्व जिम्नास्टिक चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी।

नौ साल की उम्र से जिम्ननास्टिक में

श्रद्धा ने नौ साल की आयु से जिम्नास्टिक शुरू की थी। हालांकि यह उम्र भी जिम्नास्टिक शुरू करने के लिए अधिक थी लेकिन उनकी नेचुरल एजिलिटी यानी चपलता उनके लिए वरदान साबित हुई। श्रद्धा बताती हैं कि उनकी पहली प्रतियोगिता सब जूनियर स्कूल नेशनल थे, जो हुबली में हुए थे। श्रद्धा ने बताया कि ये प्रतियोगिता मैदान में हुुई थी। कुलमिलाकर प्रतियोगित के स्तर पर भी सुविधाएं न के बराबर ही थीं। 2011 में श्रद्धा ने राष्ट्रीय स्तर पर टीम स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता था। इसके बाद उन्होंने 2018 में अन इवन बीम स्पर्धा में व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीता है।

विश्व चैंपियनशिप के लिए हुए ट्रायल्स में श्रद्धा 44.25 के स्कोर के साथ तीसरे पर रहीं थीं। अब वे अपने बचपन के विश्व चैंपियनशिप में खेलने के सपने को पूरा करने जापान जा रहीं हैं।

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