प्रदेश में 10 साल बाद बढ़ी थी न्यूनतम मजदूरी, कोर्ट ने नोटिफिकेशन पर रोक लगाई
21 मई को होगा अंतिम फैसला, दस साल बाद नए मुख्यमंत्री ने बढ़ाई थी श्रमिकों की मजदूरी
प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद में डॉ. मोहन यादव ने बहुत से निर्णय लिए थे। इसमें प्रदेश के मजदूरों के न्यूनतम वेतन में 25% की वृद्धि करने का निर्णय भी शामिल था। सरकार ने 4 मार्च को इसकी अधिसूचना जारी की थी, इसमें 1 अप्रैल से नई दरों से वेतन भुगतान को अनिवार्य किया गया था। इस मामले को दो औद्योगिक संगठनों ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय ने इस अधिसूचना पर अगली सुनवाई तक के लिए रोक लगा दी है। मामले की अगली सुनवाई 21 मई को होगी।
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ में ये याचिकाएं पीथमपुर औद्योगिक संगठन तथा मध्य प्रदेश टैक्सटाइल मिल्स एसोसिएशन ने दायर की थी। 8 मई को मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस एस ए धर्माधिकारी तथा जस्टिस गजेंद्र सिंह की बेंच ने दोनों याचिकाओं की सुनवाई की । याचिकाकर्ताओं की तरफ से सीनियर एडवोकेट गिरीश पटवर्धन ने पैरवी करते हुए कहा कि न्यूनतम वेतन में वृद्धि की नोटिफिकेशन कानून के प्रावधानों के विपरीत है। इसमें इंदौर,, जबलपुर और रीवा जैसे स्थानों पर काम करने वाले श्रमिकों को दूरस्थ स्थानों में काम करने वाले श्रमिकों के समान माना गया है। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में कॉस्ट ऑफ लिविंग अलग-अलग होती है। इसके चलते याचिकाकर्ताओं को इसे लागू करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। याचिकाकर्ताओं के वकील ने कोर्ट से मामले को अंतिम रूप से सुनने तक नोटिफिकेशन पर रोक लगाने की मांग की।
सरकार की ओर से मामले में प्रस्तुत हुए डिप्टी एडवोकेट जनरल अनिकेत नायक ने नोटिफिकेशन पर स्टे दिए जाने का विरोध करते हुए कहा कि इस पर स्टे देना इस पर अंतिम रूप से रोक लगाने जैसा ही है। मामले में त्वरित सुनवाई की आवश्यकता तथा जल्दी अंतिम रूप से इसके निपटारे की आवश्यकता को देखते हुए याचिकाकर्ताओं की अंतरिम राहत की मांग को स्वीकार कर लिया गया। मामले में अगली सुनवाई 21 में को होगी। कोर्ट ते याचिकाकर्ताओं को इस तिथि के पहले रिजाइंडर पेश करने की अनुमति दी और साथ ही यह स्पष्ट किया है कि अगली सुनवाई में स्थगन नहीं दिया जाएगा। यानी की मुख्यमंत्री द्वारा बढ़ाई गई न्यूनतम वेतन के मामले में न्यायालय अगली तिथि को अंतिम निर्णय कर देगा।
10 साल बाद बढ़ी थी मजदूरी
इस साल मार्च के महीने में मध्य प्रदेश की सरकार ने मजदूरों को बड़ी राहत देते हुए असंगठित मजूदरों की मजदूरी में 25 फीसदी की बढ़ोतरी की थी। प्रदेश में आखिरी बार 2014 में असंगठित क्षेत्र के मजदूरों की मजदूरी रिवाइज की गई थी। इस नोटिफिकेशन में अकुशल मजदूरों को हर महीने 11,450 रुपए, अर्द्धकुशल मजदूरों को 12,446 और खेतिहर मजदूरों को 9,160 रुपए मजदूरी देने का प्रावधान किया गया था। साथ ही पार्ट टाइम मजदूरी करने वाले लोगों को संबल योजना से जोड़ने की घोषणा भी की गई थी।