ऐसे करें केमिकल से पके आम की पहचान
आम के शौकीन जानते हैं कि आम को फलों का राजा क्यों कहते हैं। हम भारत में सबसे ज्यादा बिकने वाला फल है और बुरी तरीके से यह केमिकल की चपेट में भी है। यानी बाजार में मिल रहा है आधे से ज्यादा आम केमिकल से पकाए गए हैं। इस तरह के आम कई तरीके की स्वास्थ्य कत परेशानी पैदा करते हैं लेकिन आम आदमी की मजबूरी यह है कि उसके पास यह जांचने का कोई तरीका नहीं है कि आम प्राकृतिक रूप से पकाया गया है या केमिकल का उपयोग करके।
ऐसे कई तरीके हैं, जिनसे आप आर्टिफिशिअल रूप से पके आमों की पहचान कर सकते हैं। इनमें से सबसे सरल है बाल्टी यानी बकेट टेस्ट। दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि यदि आम पानी में तेरा तो समझ लीजिए कि आप डूब जाएंगे।
आमों को एक बाल्टी पानी में डालें और देखें। अगर आम पानी पर तैरते हैं, तो उन्हें पकाने के लिए केमिकल का इस्तेमाल किया गया है। अगर वे डूब जाते हैं, तो वे प्राकृतिक रूप से पके हुए हैं।
इसकी पहचान करने के लिए कुछ और तरीके भी हैं। जैसे आम के हरे और पीले रंग की जांच। केमिकल के इस्तेमाल से पके आमों (Chemically Ripened Fruits) में, सतह पर पीले और हरे रंग का मिश्रण हो सकता है। यहां हरा और पीला पैच अलग-अलग दिखता है। लेकिन प्राकृतिक रूप से पके आमों में यह हरे और पीले रंग का एक समान मिश्रण होगा।
आम को चखकर लगाए पता
जब आप केमिकल डालकर पकाए गए आमों (Chemically Ripened Fruits) को खाते हैं, तो एक तरह की जलन का हल्का सा एहसास होगा। कुछ मामलों में, लोगों को पेट दर्द, दस्त और गले में जलन भी हो सकती है। इसके अलावा कहा जाता है कि प्राकृतिक रूप से पका हुआ आम ज्यादा रसदार होता है जबकि केमिकल के जरिए पका हुए आम में कम रस होता है।