एबीवीपी से इस बार भी नहीं सुलझी जेएनयू की गुत्थी

जेएनयू छात्र संघ चारों पदों पर वामदल जीते, जेएनयू में 27 साल बाद दलित अध्यक्ष

एक बार फिर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी यानी जेएनयू के छात्र संघ चुनाव की गुत्थी सुलझाने में असफल रही है। शनिवार को संपन्न हुए चुनाव में छात्र संघ की सभी चारों सीटों पर वाम दलों ने कब्जा जमाया है। अध्यक्ष चुने गए धनंजय कुमार दलित वर्ग से आते हैं और 1996 के बाद पहली बार कोई दलित जेएनयू छात्र संघ का अध्यक्ष बना है। वे भी कन्हैया कुमार की चरह बिहार से आते हैं और गया जिले के निवासी हैं।

इसके पहले जेएनयू में शुक्रवार को हुए मतदान हुआ। इसमे लगभग 73 प्रतिशत वोट पड़े। ये पिछले 12 सालों में सर्वाधिक हैं। यदि पिछले चुनाव की बात करें तो 2019 में मतदान 67.8 प्रतिशत था। जेएनयू की इलेक्शन कमिटी के चेयरपर्सन शैलेंद्र कुमार ने बताया कि छात्र संघ चुनाव में अध्यक्ष पद पर धनंजय, उपाध्यक्ष पद पर अविजीत घोष, महासचिव पद पर प्रियांशी आर्या और संयुक्त सचिव पद पर मोहम्मद साजिद निर्वाचित हुए हैं।

अध्यक्ष पद पर जीते ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) के धनंजय ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के उमेश चंद्र अजमीरा को पराजित किया। धनंजय को 2598 और उमेश चंद्र अजमीरा को 1676 वोट मिले। इस तरह से धनंजय 922 वोट के अंतर से जीते हैं। उपाध्यक्ष पद पर स्टूडेंट्स फ़ेडरेशन ऑफ इंडिया यानी एसएफआई के अविजीत घोष जीते हैं, उन्होंने एबीवीपी की दीपिका शर्मा को हराया है। घोष को 2409 वोट मिले तो एबीवीपी की दीपिका को 1482 वोट ही मिले। इस तरह से अविजीत घोष 927 वोट से जीते हैं। महासचिव पद पर बिरसा आंबेडकर फुले स्टूडेंट्स एसोसिएशन (बाप्सा) की प्रियांशी आर्या जीतीं। उन्हें लेफ्ट संगठनों का समर्थन प्राप्त था। प्रियांशी को 2887 वोट मिले जबकि एबीवीपी के अर्जुन आनंद 1961 वोट ही हासिल कर पाए। इस तरह से प्रियांशी ने 926 वोट से जीत दर्ज की।

इस पद पर लेफ्ट की तरफ से पहले स्वाति को प्रत्याशी थीं लेकिन मतदान के कुछ घंटे पहले उनका नामांकन खारिज हो जाने से लेफ्ट संगठनों ने बाप्सा की प्रियांशी आर्या को समर्थन दिया था। संयुक्त सचिव पद पर इस बार ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फ़ेडरेशन (एआईएसएफ़) के मोहम्मद साजिद को जीते। उन्होंने एबीवीपी के गोविंद दांगी को हराया है। साजिद को 2574 वोट मिले तो दांगी को 2066 वोट पर संतोष करना पड़ा। इस तरह से साजिद 508 वोट से जीते हैं।

जेएनयू में पिछला छात्र संघ चुनाव साल 2019-20 में हुआ था, उसमें भी वामपंथी संगठनों ने ही जीत हासिल की थी। उसके बाद कोविड के चलते पहलीबार चुनाव हुए हैं।

अध्यक्ष के चुनाव में दूसरे नंबर पर रहे एबीवीपी के उम्मीदवार उमेश चंद्र अजमीरा नक्सली हमले के पीड़ित हैं। उन्होंने एक नक्सल हमले में अपने माता-पिता को खो दिया था। उनके अलावा बाप्सा ने आदिवासी समुदाय के बिस्वजीत मिंजी को अध्यक्ष पद के लिए मैदान में उतारा था तो वहीं समाजवादी छात्र सभा की आराधना यादव थीं। वे इस पद के लिए एकमात्र महिला प्रत्याशी थीं।

जेएनयू छात्र संघ की स्थापना के बाद से ही इस पर वामपंथी छात्र संगठनों का दबदबा रहा है। अब तक स्टूडेंट फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडिया ने 22 बार और ऑल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन (आइसा) ने 11 बार अध्यक्ष पद जीता है। तो वहीं, दक्षिणपंथी छात्र संगठन एबीवीपी ने अब तक केवल एक बार ही अध्यक्ष पद पर जीत हासिल की है। केवल वर्ष 2000 के चुनाव में एबीवीपी के संदीप महापात्रा जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष बने थे।

एबीवीपी लगातार यहां पर जीतने की कोशिश कर रही है लेकिन उससे मुकाबले के लिए सभी वामपंथी छात्र संगठन एकजुट हो गए हैं। वे मिलकर प्रत्याशी उतारते हैं।

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