फौलाद के शरीर में मासूम सा दिल

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आवारा पशुओं के हाल पर अमिताभ बच्चन के सामने रो दिए जॉन अब्राहम

मुंबई .

शुक्रवार को बॉलीवुड के माचोमैन जॉन अब्राहम कौन बनेगा करोड़पति की हॉट सीट पर थे। इस गेम में सेलिब्रिटी गेस्ट थे उनके द्वारा जीते जाने वाला पैसा उनके द्वारा तय किए गए किसी परमार्थ कार्य में दिया जाना था। जॉन अब्राहम ने इसके लिए स्ट्रे एनिमल्स के कल्याण को में लगी दो संस्थाओं को चुना था।

अमिताभ बच्चन के सामने देश में स्ट्रे एनिमल्स की दशा पर बात करते हुए जॉन अब्राहम बहुत भावुक हो गए। उन्होंने बताया कि 1960 में देश में एनिमल एट्रोसिटी एक्ट बना था जिसमें आज तक कोई बदलाव नहीं हुआ है। उन्होंने इसे कठोर बनाए जाने की मांग की ताकि लोग स्ट्रे एनिमल्स के साथ बराबर का व्यवहार करें। जॉन ने अमिताभ बच्चन को बताया कि उन्होंने टिक टॉक पर एक वीडियो देखा था जिसमें एक व्यक्ति ने एक युवक को गोली मारते हुए अपना वीडियो बनाकर पोस्ट किया था। उन्होंने कहा कि मासूम जानवरों के ऊपर मर्दानगी दिखाने के खेल बंद होने चाहिए। इससे किसको क्या हासिल होता है?

जॉन अब्राहम

बाद में एक एनिमल सेंटर के वीडियो को देखकर जॉन अपने आप को नहीं रोक सके और उनकी आंखों में आंसू आ गए। हालत यह हो गई कि अमिताभ बच्चन ने उन्हें टिशू पेपर ऑफर किया। जिससे उन्होंने अपने आंसू पोंछे।

सिक्स पैक दिखाएं

किक बॉक्सिंग के दौरान खुद को लगी हुई चोट का जिक्र करते हुए जॉन अब्राहम ने बताया कि उन्हें इस खेल में गंभीर चोट लगी थी जिसके निशान आज तक हैं। इसके बाद उन्होंने अमिताभ बच्चन के कहने पर सेट पर अपने ऐब्स दिखाए तो सेट पर तालियां बजने लगीं। जॉन अब्राहम बॉलीवुड के सबसे आकर्षक अभिनेताओं में शुमार किए जाते हैं और कई युवाओं के लिए वे रोल मॉडल भी हैं। खास बात यह है कि जब छोटे छोटे लोग बड़ी ब्रीड के डॉग पालने के पीछे घूम रहे हैं उस समय जॉन अब्राहम ने स्ट्रीट डॉग पाला हुआ है।

जॉन के पास है भारतीय श्वान

एक किलो चिकन से भी सस्ती है मासूमों की जान

61 बरस पुराना एनिमल एट्रोसिटी एक्ट को बदले जाने की जरूरत है लेकिन कोई भी इस पर बात करने को तैयार नहीं है। सरकार के लिए यह प्राथमिकता सूची में दूर-दूर तक नहीं आता जबकि यह 61 साल पुराना हो गया है कि इसमें एक स्ट्रीट डॉग की जान की कीमत केवल ₹50 का जुर्माना है जबकि खाने के लिए खरीदे गए एक चिकन की कीमत 20 से ज्यादा है।

यह उस देश में हो रहा है जहां पर की प्रकृति को धर्म से जोड़ा गया है और श्वान को काल भैरव का वाहन माना गया है। लेकिन काल भैरव के आशीर्वाद के आकांक्षी लोग भी उनके वाहन नफरत करते देखे गए हैं। पर्यावरण और पशु प्रेमी लंबे समय से इस बारे में मांग कर रहे हैं कि इन नियमों को कठोर बनाया जाए ताकि इस परिवास की रक्षा हो सके जिसमें मनुष्य रहते हैं, न तो सरकार और ना ही किसी राजनीतिक दल के एजेंडे में या विषय अब तक शामिल किया गया है।

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